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विस्तरियो
( ६४२ )
विसति
विस्तरियो-देखो "बिस्तर'।
स्थाई भाव । ३ अभिमान, गर्व । ४ शक, संदेह । -कारी विस्तार, विस्तार-पु० [सं०] १ प्रसार, फैलाव। २ वृक्ष की | -वि० माश्चर्यान्वित करने वाला, ताज्जुब में डालने , शाखाएं। ३ अधिकता, बाहुल्य । ४ वृत्तान्त, विवरण।
वाला। विस्तारक-वि० विस्तार करने वाला।
विस्मरण-पु० [सं०] स्मृति से निकलने या भूलने की अवस्था । विस्तारण-स्त्री. विस्तार या प्रसार की क्रिया या भाव । विस्मरणी, विस्मरणो-वि० भूलने वाला, भुलक्कड़ । विस्तारणी (बो)-क्रि० १ विस्तार करना, फैलाना। २ बिखेरना | विस्मरणी (बी)-क्रि० भूलना, स्मृति में न रहना ।
छितराना। ३ ध्वनित करना, उच्चरित करना। ४ बढोतरी विस्मारक-वि. भुलाने वाला, विस्मरण कराने वाला। करना । ५ हिलाना-डुलाना। ६ प्रचार करना।
विस्मि, विस्मिय-देखो 'विस्मय' । विस्तारि-देखो 'विस्तार'।
विस्मित-वि० माश्चर्य युक्त, चकित । विस्तारी-वि० [सं० विस्तारिन्] जिसका विस्तार अधिक हो। | विस्मिता-पु. एक प्रकार का वणिक छन्द । विस्तीरण-वि० [सं० विस्तीर्ण] १ विस्तृत फैला हुमा । विस्मिय-देखो विस्मय'। __ २ बहुत लम्बा चौड़ा।
विस्र खल (ला)-वि० [सं० विशृखल] १ जिसमें कोई विस्त्रत, विस्त्रित-वि० [सं० विस्तृत] १ फैला हुपा, विस्तरित, शृखला न हो, सिलसिला विहीन । २ उद्दण्ड, उत्पाती। व्याप्त । २ लम्बा चौड़ा। ३ विपुल, परिव्याप्त ।
___ ३ दुराचारी लंपट । विस्न, विस्न-१ देखो 'विस्णु'। २ देखो 'व्यसन'।
विस्र भ-पु० [सं० विश्वम्भ] १ दृढ़ विश्वास । २ प्यार, प्रेम, विस्नी, विस्नी-देखो 'व्यसनी' ।
मुहब्बत । ३ विधाम । ४ संभोग के समय प्रेमी-प्रेमिका का विस्फार-पु० [सं०] १ धनुष की टंकार । २ धनुष की डोरी। होने वाला झगड़ा । ५ गुप्त बात । ६ हत्या।
३ कम्पन, सिसकन । ४ स्फूति, तेजो। ५ विस्तार, विकास। विस्र भी-वि० [सं० विश्रम्भी] १ विश्वास करने वाला । ६ खिचाव, तनाव।
२ प्रेम या मुहब्बत संबंधी। विस्फारित-वि० [सं०] १ टंकारा हुमा । खेंचा हपा । २ कपिल, विस्र-पु० खून रक्त ।
थरथराता हुमा। ३ खींचा हमा, ताना हमा। ४ स्फूति- विस्रब्ध-वि० [सं० विश्रब्ध] १ जिसका विश्वास किया जाय । युक्त । ५ विस्तृत, फैला हुआ।
२ जो विश्वास करता हो। ३ निर्भय, निडर । ४ जो विस्फुरणी (बी)-क्रि० १ कांपना, कंपित होना। २ डरना, उद्धत न हो सुशील ।
भयभीत होना । ३ हिलना-डुलना । ४ थरथराना, | विस्रव, विस्रवा-पु० [सं० विश्रवस्] १ पुलस्त्य ऋषि का पुत्र फरकना।
एवं रावण का पिता। २ लंकापति रावण । ३ पुलस्त्य विस्फुराणो (बो)-क्रि० १ कम्पित करना, कंपाना । २ डराना,
ऋषि के वंशज । ४ ख्याति, प्रसिद्धि, कीर्ति। [सं० विधव:] भयभीत करना । ३ हिलाना-डुलाना ।
५ प्राश्रय, सहारा। विस्फोट-पु० [सं०] १ भूमिगत पाग, गैस प्रादि का जोर की विस्रांत-वि० [सं० विश्रान्त] १ जिसने पाराम किया हो ।
भावाज के साथ फूट कर निकलने की क्रिया । २ इस २ शान्त, सुशील । ३ प्रवशिष्ट । क्रिया से होने वाला जोर का शब्द । ३ कोई गोला या विस्रांति (ती)-स्त्री० [सं० विश्रान्ति] १ विधाम, पाराम । वस्तु जोर की पावाज के साथ फटना, फूटना। ४ जहरीला | २ अवसान, मौत, मृत्यु । ३ एक तीर्थ का नाम । फोड़ा। ५ एक प्रकार का कुष्ठ रोग । ६ चेचक की विस्रांम-देखो 'विसरांम' । बीमारी।
विस्रांमणो (बी)-देखो "विसरांमणो' (बी)। विस्फोटक-पु० [सं०] १ बारूद मादि शीघ्र प्राग पकड़ने वाला विस्रांमी-देखो 'विसरामी'।
पदार्थ, विस्फोट करने का सामान । २ धमाके के साथ विस्रांमु (मू)-देखो 'विसरांम'।। फटने वाली वस्तु । ३ जहरीला फोड़ा। ४ शीतला रोग, विस्राळ (ल,ळी, ळो, लौ)-वि० १ शान्त । २ देखो "विसराळ' ।
चेचक । ५ छत्तीस प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों में से एक । | विस्र त-वि० [सं० विश्रुत] १ जाना हुमा, सुना हुप्रा । विस्फोटणी (बो)-क्रि० १ धमाके के साथ फूटना, फूटकर | २ प्रसिद्ध विख्यात । ३ प्रसन्न, खुश ।-पु. १ वसुदेव का
निकलना । २ विस्फोट होना । ३ जहरीला फोड़ा होना ।। | पुत्र एक राजकुमार । २ पमिताभ देवों में से एक । विस्फोटता-स्त्री० पालस्य में अंग मोड़ने की क्रिया। विस्र तात्मा-पु० [सं० विश्रुतात्मन्] भगवान विष्णु । विस्मय-पु० [सं०] १ प्राश्चर्य, ताज्जुब । २ अद्भुत रस का | विस्र ति-स्त्री० [सं० विश्रुति] प्रसिद्धि, ख्याति ।
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