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तिन
। ६७७ )
वसभाण
व्रतिन-पु० [सं०] एक व्यास ।
होने की अवस्था, बुढापा । ३ ब्याज, सूद । ४ लाभ । बती, प्रतीक-पु० [सं० वतिन्] १ व्रत धारण करने वाला ५ प्रगति, विकास । ६ सूतक । ७ वद्धियोग। व्यक्ति। २ देखो 'अति'।
वद्धिका-स्त्री० [सं० वृद्धिका] मानव मांस भक्षी स्त्रियों का तु-देखो 'व्रत'।
एक वर्ग। व्रतेसर, अतेसरी, धतेसुर (री), अतेस्वर, अतेस्वरी-पु० वत्ति के वद्धितिथ (तिथि, तिथि)-स्त्री० [सं० वृद्धितिथि] वह तिथि जो
लिये घरों पर कार्य करने वाला व्यक्ति या वर्ग, याचक । । दो दिन के सूर्योदय तक चालू रहे। वस-पु० [सं० वृत्त] १ जीविका का साधन । २ चरित्र, पाच
वध-१ देखो 'वृद्ध' । २ देखो 'वध' । रण । ३ गोला, गोल रेखा। ४ मंडल। ५ मंडलाकार
वधपण (णो)-देखो 'बद्धता'। क्षेत्र । ६ एक प्रकार का छन्द ।-वि०१ जीवित, जिन्दा।
वधांराज, अधाराय (राव)-पु० [सं० वृद्धराज] ब्रह्मा। २ घटित हुवा, हुमा । ३ मृत, मरा हुप्रा । ४ बीता या
बधा-देखो व्रद्ध'। गुजरा हुमा । ५ दृढ़, मजबूत । ६ देखो 'व्रत'। ७ देखो
वधि, अधी-१ देखो 'वध' । २ देखो 'द्धि'। 'व्रतांत'।
वधु-वि० [सं० वृद्ध] १ दीर्घ, बृहद, विशाल । २ देखो 'वर'। व्रतांत-देखो 'व्रतांत'।
व्रध्ध-पु. १ एक सूर्य वंशी राजा । २ देखो 'ब्रद्ध'। अत्तिकार-वि० [सं० वृत्तिकार] १ वृत्ति करने वाला । २ टीका
वध्धपण (परणो)-देखो 'बद्धता'। करने वाला, टीकाकार।
वन (न)-१ देखो 'वण' । २ देखो 'वरण' । वृत्ती-देखो 'वति'।
वनअढ़ार-पु०१ प्रति उदार या दातार व्यक्ति । २ प्रजा ममूह । वत्यानुप्रास-पु. एक प्रकार का अनुप्रास ।
वनरणौ (बो)-देखो 'वरणपो (बी) बत्र-पु० [सं० वृत्रः] १ अंधेरा, अंधकार । २ पर्वत, पहाड़ । अप-देखो 'विप्र'। ३ बादल । ४ शत्रु, दुश्मन । ५ देखो 'वत्रासुर'।
व्रमंड-देखो 'ब्रह्मांड'। अत्रपरि (री) अत्रघन, अत्रघ्न, धत्रहा-पु० इन्द्र का एक बम-१ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा' । नाम।
अमसूत । सूत्र)-देखो 'ब्रह्मसूत' । वत्रारि (री)-पु० [सं० वृत्रारि] इन्द्र ।
वमहत्या-देखो 'ब्रह्महत्या'। त्रासुर-पु० [सं० वृत्रासुर] एक राक्षस जिसे इन्द्र ने दधीचि मांगी-देखो ‘ब्रह्माणी'। की हड्डियों से बने वन से मारा था।
अम्म-१ देखो 'ब्रह्म' । २ देखो 'ब्रह्मा'। वय, प्रथा-वि० [सं० था] १ व्यर्थ, फिजूल, फालतू, बेकार ।
व्रम्मधिया, अम्मधी, धम्मधीया-देखो 'ब्रह्मधीया' । २ निरर्थक । ३ असत्य, झूठ।
वम्मा-देखो 'ब्रह्मा'। खब(ह)-देखो विरुद' ।-धारी= विरुदधारी' ।-पूर= ब्रम्ह-१ देखो 'ब्रह्म'। २ देखो ‘ब्रह्मा' । 'विरुदधारी'।-राज='विरुदधारी'।
वरख, घरस-१ देखो वरस' । २ देखो 'वृक्ष' । बर-पु० [सं० वृद्ध] १ बुढ़ापा, चौथापन । २ बूढा प्राणी।
वव-देखो ब्रव। -वि० (स्त्री० ब्रद्धा) १ वृद्ध, बूढ़ा। २ पूर्ण रूपेण वृद्धि
प्रवण-पु० दान, पुण्य । प्राप्त । ३ बुद्धिमान, पंडित । ४ बड़ी उम्र का, बुजूर्ग,
ववरणलोकेस (सु सू)-पु० ईश्वर, परमात्मा ।
व्रवणो (बो)-क्रि० १ दान देना । २ देना। ३ वितरण करना, दाना।
बांटना । ४ त्यागना, छोड़ना। ५ अर्पण करना। ६ बोलना बद्धकेसव-पु० [सं० वृद्धकेसव] सूर्य की एक मूर्ति ।
कहना। बद्धता-स्त्री० [सं०] १ बुढ़ापा, वृद्धावस्था । २ बुजूगियत
वस-१ देखो 'ख' । २ देखो 'वखम' । ३ देखो 'विस' । ४ देखो दानापन । ३ दुःख, कष्ट
'वक्ष'। बद्धवयस (वेस)-स्त्री० वृद्धावस्था, बुढ़ापा । बद्धसरवा, अद्धलवा-पु० [सं० वृद्धश्रवस्] देवराज इन्द्र
वसचक (चकर, चक्र)-पु० [सं० वृश्चिक] १ वृश्चिक राशि । वडाचल-पु० दक्षिण स्थित एक तीर्थस्थान ।
२ देखो 'व्रखचक्र'। वयापरण (न)-पु. वृद्धावस्था, बुढ़ापा ।
वसदरभ-देखो 'वखदरभ' । बद्धास्रम-पु० [सं० वृद्धाश्रम] वृद्धावस्था, बुढापा । [ सभांण (य, न, नु)-पु० [सं० वर्षभानु] श्रीकृष्ण की प्रेमिका अति-स्त्री० [सं० वृद्धि] १ बढ़ने की स्थिति, बतढोरी। २ वद्ध राधा के पिता का नाम ।
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