________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संकटचाय
।६८०
संकु
सकटचौथ-स्त्री० [स० संकट-चतुर्थी] प्रति माह के कृष्ण पक्ष ।। [सं० शंकराचार्य] एक प्रसिद्ध शेव प्राचार्य जो अद्वैत वाद की चतुर्थी तिथि।
के प्रवर्तक थे। संकटरगो (बी)-क्रि० दुःख या विपत्ति पाना, माफत में फंसना। संकरालय-पु० [सं० शंकरालय] कैलाश पर्वत । संकटा-स्त्री० [सं०] १ एक देवी विशेष । २ एक योगिनी | संकरवास-पु० [सं० शंकर-प्रावास] १ कैलाश पर्वत । २ श्मशान विशेष ।
भूमि। संकणी (बी)-क्रि० [सं० शंकनम्] १ शंका या संदेह करना।। संकरियो-पु. १ एक प्रकार का हाथी । २ देखो 'संकर'। २ डरना, भयभीत होना। घबराना। ३ लज्जित या
संकरी-स्त्री० [सं० शंकरी] १ पार्वती, गिरिजा। २ दुर्गा, शमिन्दा होना।
भवानी । ३ एक महाविद्या । ४ मजीठ । ५ शमी वृक्ष । संकद-देखो 'स्कद'।-जगणी='स्कंदजननी'।
संकळ -देखो 'सांकळ' ।
संकळजथा-स्त्री. डिंगल गीत रचना की एक विधि । संकपाळिका-स्त्री० एक प्रकार का प्राभूषण विशेष । संकप्प-देखो 'संकल्प'।
संकलणी (बो)-क्रि० १ एकत्र करना, संग्रह करना । २ एकत्री संकमान-पु० [सं० शंकमान नागवंशीय एक राजा।
करण करना। ३ चुन कर एकत्र करना। ४ शस्त्र संकर-पु० [सं० शंकर] १ शिव, महादेव । २ शंकराचार्य ।
सज्जित होना। ३ सूर्य, रवि । ४ एक छंद विशेष । ५ एक राग विशेष । संकळप-देखो 'संकल्प'। ६ भीम सेनी कपूर । [सं०संकर]७ भिन्न-भिन्न वणं के माता- संकळपणो (बी), संकळप्पणी (बो)-क्रि० [सं० संकल्पनं] १ पिता से उत्पन्न संतान, वर्ण संकर। ८ विभिन्न वस्तुगों
| किसी कार्य का दृढ़ निश्चय करना, पक्का विचार करना। का मिश्रण। एक ही पाश्रय से अनेक प्रभि-प्राय देने
२ दान करना । ३ इरादा करना। ४ समर्पण करना । वाली ध्वनि । १० साहित्य में दो मलकारों का मिश्रण। संकळि, संकळिक, संकलित-देखो 'मांकळ' । -वि०१ कल्याण एवं मंगलकारी। २ प्रानन्ददायक ।
संकळो-देखो 'सांकळो' । -पास-पु० धनुष । -धरणि, धरणी-स्त्री० शिव की संकल्प-पु० [सं० संकल्प] १ दृढ़ निश्चय या विचार । २ इच्छा, पत्नी, पार्वती।-प्रिय-पु० भाक, भांग, धतूरा ।-संल- | अभिलाषा । ३ इरादा, विचार । ४ दान । ५ दान देते पु० कैलाश पर्वत ।
समय का मंत्र । ६ मन, चित्त । ७ समर्पण । ८ इंद्रियों के संकरखण-पु० [सं० संकर्षण] १ बलराम । २ श्रीकृष्ण ।।
साथ मन की क्रीड़ा। ३ अपनी भोर खींचना क्रिया। ४ हल को जुताई। संकल्पणी (बी)-देखो 'संक्ळपणो' (बी)। ५ संघर्षण । ६ ग्यारह रुद्रों में से एक। ७ एक वैष्णव सकारण, संका, सका-स्त्री० [सं० शंका] १ सदेह, डर, भ्रम, सम्प्रदाय ।
पाशंका, बहम । २ प्रविश्वास । ३ विचार, परवाह । संकरजटा-स्त्री० [सं० शंकरजटा] १ रुद्रजटा । २ सागुदाना, ४ पशोपेश, हिचकिचाहट । ५ उलझन, भ्रम । ६ हाजत, साबूदाना।
अपेक्षा । ७ प्राशा, विश्वास । ८ लज्जा, शर्म । संकरण-पू० [सं०] मिश्रण ।-वि. शिव का. शिव सबंधी। संकारणी (बी), संकावरणी(बी)-क्रि० १ शंकित करना, कराना। सकरणी-स्त्री० १ पार्वती, दुर्गा, शिवा । २ हरीतकी, हरहे।
२ भयभीत करना, कराना । ३ परवाह करना, कराना । संकरता-स्त्री०१ मिश्रित होने की अवस्था या स्थिति ।
४ लज्जित करना, कराना। २ दोगलापन, वर्णसकरता।
| संकाळ, संकाळू-वि० १ शंकित रहने वाला, शंका करने वाला। संकरवाणी-स्त्री० [सं० शंकरवाणी] १ सत्य बात, सत्य वचन । २ भयभीत करने वाला। ३ लज्जित या शमिन्दा होने २ ब्रह्म वाक्य ।
वाला। संकरस्वामी-देखो 'संकराचार्य।
संकित, संकोलो-वि० [सं० शंकित] (स्त्री० संकोली) सकरांत संकरांति, सकरायन (ति)-स्त्री० [सं० संक्रांति] १ १ भयभीत, खौफजदा । २ जिसके मन में शंका हो।
सूर्यादि ग्रहों का एक राशि से दूसरी में जाने का समय या ___३ संदेह करने वाला।
क्रिया । २ मकर संक्रांति का पर्व । ३ संक्रमण । संकु-पु० [सं० शंकु] १ कोई नुकीली वस्तु । २ कील, मेख । संकरा-स्त्री० [स० शंकरा] १ पार्वती, भवानी। २ मजीठ ।। ३ भाला, बरछा । ४ दस लाख कोटि के बराबर की ३ शमी वृक्ष । ४ शंकर राग ।-वि० मंगलदायिनी।
___मंख्या । ५ एक मछली। ६ कामदेव । ७ शिव, महादेव । संकराचारज (चार्य), संकराचारिज, संकराचारी-पु० |
राक्षस, दैत्य । ९ हंस। १० बगुला। ११ लिंग।
For Private And Personal Use Only