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संतोपरणी
(
६८८
)
सबब
संतोपणो (बो)-क्रि० संतुष्ट करना ।
संदरणी (बी)-क्रि० १ मकान या दीवार प्रादि में नमी या संतोल-देखो 'सतोल।
प्राता पाना । २ गीलापन होना। संतोळियौ-देखो 'सतोळियौं'।
संवन-देखो 'स्यंदन'। संतोस-पु० [सं० संतोष] १ वह मानसिक अवस्था जब व्यक्ति संदरभ-पु० [सं० सन्दर्भ] १ पूर्व वणित विषय । २ बनावट,
किसी दशा या पदार्थ के प्रति प्राश्वस्त हो जाता है, संतोष, | रचना । ३ ग्रंथ रचना । ४ निबन्ध, लेख । ५ विवेचन । सब, तुष्टि । २ इच्छा पूर्ति की अवस्था । ३ हर्ष, प्रसन्नता । ६ अध्याय । ७ पूर्व बात का उल्लेख, प्रसंग । ४ धैर्य, शांति । ५ भरोसा, विश्वास । ६ प्रेम, प्यार। संदरी-१ देखो 'सुदरी' । २ देखो 'सदरी' ७ स्नेह ।
संबळ (ल)-पु. [फा० संदल] चन्दन । संतोसणी-वि. १ संतुष्ट होने वाला । २ संतुष्ट करने वाला।
संबळी, संबली-वि० चन्दन का, चन्दन के रंग का ।-पु. संतोसरणौ (बो)-देखो संतोखणौ' (बी)
१ चन्दनी रंग का घोड़ा। २ चंदन की गंध का शराब । संतोसन-पु. संतोष, संतुष्टि तृप्ति ।
३ वह हाथी जिसके बाहरी दांत न हो। ४ मकान या संतोसी-वि० (स्त्री० संतोसण) १ संतोष करने वाला, संतोषी।
कक्ष में लगाया गया टांड। २ संतोष संबंधी।
संबळी-पु० छत या प्रांगन में चूना-मसाला भादि जमा कर की
जाने वाली घिसाई। संतोसीमाता-स्त्री० एक देवी विशेष ।
संदाणी (बो)-देखो 'संधाणो' (बी)। संत्य-पु० [सं०] अग्निदेव का एक नाम ।
संवानित-वि० [सं०] बधा हुग्रा । संथ-क्रि० वि० [सं० सति] हैं, हुए हैं ।
संदावरणौ (बौ)-देखो सधारणो' (बी), संथइ (उ)-पु० [स० सीमंतक] स्त्रियों का प्राभूषण विशेष ।
संदावेस-पु० [स० सन्देश] समाचार, सन्देश । संथगर-वि० [स० सस्त्यानं] संग्रह करने वाला, संग्रह कर्ता।
संदिगध-वि० [सं० सदिग्ध] जो सदेह योग्य हैं, जिस पर संपणो (बी)-क्रि० [म. सस्त्यानम] संचय करना, संग्रह करना।
विश्वास करना सभव न हो। संथरइ-स्त्री. १ बिछौना । २ सोने की क्रिया ।
संदिपति (पती)-पु० [स० स्पंदन-पति] रथ हांकने वाला, रथी। संघव-पु० [सं० संस्तव] स्तुति, गुणगान ।
संवी-देखी 'हंदी'। संथा-स्त्री० [सं० संहिता] १ गुरु के द्वारा पढ़ाया गया पाठ, संदोरणी, सदोलो (नौ)-पु० [सं० संधान] दवामों के साथ
, पाठ का अंश । २ विद्या, ज्ञान । ३ वेदों का मंत्र बनाया हुमा पौष्टिक खाद्य पदार्थ । भाग। ४ धर्मशास्त्र । ५ शिक्षा, उपदेश । ६ ईश्वर। संदूक (डी, डो),संदूकची, संदूख-स्त्री० [अ०] वस्त्र, आभूषण ७ इतिहास, वृत्तान्त।
प्रादि रखने की पेटो। संथार, संथारउ, संचारड़उ-देखो 'संथारौ' ।
संदूर-देखो "सिंदूर'। संपारणो (बो)-क्रि० बिछाना, फैलाना।
संदे, संदे-देखो 'सदेह'। संथारपयन्न-पु० संथारे की विधि सबधी ग्रंथ ।
संदेडो-पु. एक प्रकार का वृक्ष । संघारौ-पु० [सं० सस्तारक] १ जनमत में शरीर त्याग हेतु | संदेस, संदेसउ (उ हौ)-पु. [सं० सन्देश] १ खबर, समाचार,
किया जाने वाला अन्न-जल मादि का त्याग। [सं० संस्तरः] सूचना । २ प्रेम । ३ एक प्रकार की मिठाई।
२ तण, डाभ प्रादि का बिछौना । ३ बिस्तर । ४ शयन। संदेसी-वि० [सं० सदेशिन] (स्त्री० सदेसणा) सदेश वाहक । संपुरणपो (बो), संपूणणो (बौ)-क्रि० [सं० संस्तुनोति] गुण संदेसो-देखो ‘स देस'।। ___गाना, स्तुति करना।
संदेह-पु० [सं०] १ मन की अनिश्चित अवस्था, सशय, शंका, संव-स्त्री० [सं० स्यन्द] १ वर्षा या बरसाती हवा से उत्पन्न भ्रम । २ खतरा, भय । ३ अविश्वास । ४ साहित्य में एक नमी, पाता। २ धूलि, रेत ।
प्रलकार । संबइ, संदउ-वि० १ भाद्र, नम । २ देखो 'हदै'।
संदेहाल-पु० १ सदेहशील, भ्रम में पड़ा हुमा। २ शकी, वहमी। संवक-स्त्री० १ गहरी निद्रा। २ नमी, पाता।
संदेही-देखो 'संदेह। संबग्ध-पु० [सं० संदिग्धत्व] १ काव्य का एक दोष विशेष । | संदोल-पु. एक प्रकार का कान का पाभूषण। २ संदिग्ध ।
संदोह-पु० [सं०] १ समूह, झुण्ड । २ दोहन, दुहना क्रिया । संवरण-देखो 'स्यंदन'।
संदब. संक्रम-देखो 'सदरभ' ।
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