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( ६६० )
संपुरण
२ दंडी या अवधूत कहलाने वाले साधु । -वि० त्यागी, प्राप्त । ६ जो हो गया। वैरागी।
संपय-कि०वि० [सं० संप्रति प्रभी, इसी समय । संप-पु० १ मेल, एकता, संगठन । २ स्नेह, प्रेम । [सं० सर्प] संपराय (क)-पु० [सं० संपराय] १ लड़ाई, युद्ध । २ मुठभेड़। ३ शेषनाग । ४ सर्प, सांप । ५ देखो 'संपा।
३ संकट, विपत्ति । ४ भावी दशा। संपड़-पु०१ कोई प्राप्य वस्तु । २ देखो 'सपाडो'। -वि.संभव । संपतरणो (बी)-देखो 'पहुंचणो' (बौ)। संपड़रगो (बी)-क्रि० [सं० सम्प्रापरणम्] १ प्राप्त होना, मिलना। | संपलारणी (बी)-देखो 'संपड़ाणो' (बो)।
२ सम्भव होना । ३ सम्भव करना। ४ स्नान करना । | संपसुज-पु० [सं० संपसृज युद्ध । संपड़ाणी (बी), संपड़ावणी (बी)-क्रि० स्नान कराना, संपा-स्त्री० [सं०] विद्य त, बिजली। नहलाना।
संपाक-पु० [सं० शम्पाक] भीष्म के लिये गुरु तुल्य, एक त्यागी संपचूद-पु० सर्प के फन के माकार का शस्त्र विशेष ।
ब्राह्मण। संपजणी (बी)-कि० [सं० संपदनम्] १ उत्पन्न होना, पैदा | संपाडणी (बी)-क्रि० स्नान कराना।
होना । २ होना । ३ संचित होना, एकत्र होना। ४ प्राप्त । | संपाडो-पु० [सं० संप्लावनम्] स्नान, मज्जन । होना, मिलना।
संपाट-पु० संहार, नाश । संपजाणी (बी), संपजावणी (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न करना/कराना।। संपाठच-पु० चौसठ कलानों में से एक।
२ संचित करना/कराना। ३ प्राप्त करना/कराना । ४ कुछ संपाडणी (बो)-देखो ‘संपाड़णो' (बी)। करना/कराना।
संपात-पु० [सं० सम्पातः] १ एक साथ प्रहार, बौछार । २ वार संपट-वि० १ समाप्त, लुप्त । २ मूर्ख, पज्ञानी। ३ देखो 'संपुट'। प्रहार, प्राघात । ३ मुठभेड़ । ४ युद्ध, समर । ५ संगम, -पु. १ अवसर, मौका । २ संयोग, मिलन ।
समागम । ६ मेल, संसर्ग । ७ एकता । ८ देखो 'संपाति' । संपटपाट-पू०१ सीधा एवं खुला मैदान । २ बरबादी, नाश; संपाति (ती)-पु० [सं० सम्पातिः] १ जटायु का बड़ा भाई एक हवंस ।
गिद्ध जो गरुड़ का ज्येष्ठ पुत्र था । २ विभीषण का मंत्री एक संपडणो (बो)-देखो 'संपड़णो' (बी)।
राक्षस । ३ राम की सेना का एक बंदर। ४ देखो 'संपात' । संपणी (बी)-क्रि०.१ एकता रखना या करना, मेल रखना। संपादक-वि० [सं०] काम को सम्पन्न करने या सम्पन्न करने की २ प्रेम या प्यार करना । ३ देखो 'सूपों ' (बो)।
व्यवस्था करने वाला। -पु. किसी पुस्तक, पत्र या पत्रिका संपत-स्त्री० [सं० संपद्] १ धन, दौलत । २ संपन्नता, समद्धि,
की प्रकाशन योग्य सामग्री को संकलित कर व्यवस्थित खुशहाली। ३ अंकता, मेल । ४ प्रेम, स्नेह । ५ वैभव, करने वाला, एडिटर। ऐश्वर्य । ६ लाभ, फायदा।
संपादन-पु० [सं०] १ ठीक करने या दुरुस्त करने की क्रिया । संपतों (बौ)-क्रि० [सं० संपदनम्] १ पहुंचना। २ उत्पन्न २ पूर्ण करने की क्रिया। ३ तैयार करने की क्रिया। होना । ३ सम्पन्न होना, फलीभूत होता।
४ प्रकाशन योग्य पुस्तक या लेख प्रादि की देख-रेख, पाठ संपति (तो)-स्त्री० [सं० संपत्ति] १ धन, दौलत । २ वैभव, मिलान मादि कार्य । ५ प्राप्ति, उपलब्धि ।
ऐश्वर्य । ३ जमीन-जायदाद । ४ खुशहाली, सम्पन्नता। संपादित--वि० [सं०] १ जिसका संपादन हो चुका हो । २ पूर्ण । .५ लक्ष्मी । ६ लाभ, सिद्धि । ७ प्रेम-स्नेह । ८ ग्रेकता।
तयार । संपत्त-वि० [सं० संप्राप्त] १ समस्त कर्मों का क्षय करके जो संपीड़ण (न)-स्त्री० [सं० सम्पीड्डनम्] १ दबाने की क्रिया। सिद्धि को प्राप्त हुपा हो। २ देखो 'संपति'।
२ निचोड़ना क्रिया । ३ दुःख देने की क्रिया या भाव । संपत्तणो (बो)-देखो 'संपतणी' (बो)।
संपुट-पु०१ पत्तों का बना दोना । २ विचारधारा, भावना, संपत्ति (ती)-देखो 'संपति' ।
नियत । ३ मुलम्मा, कलई। ४ गोद, अंक। ५ औषध संपर, संपदा-स्त्री० [सं० संपद्] १ सुख । २ देखो 'संपत'। । बनाने की एक विधि । ६ अंजलि । ७ कपाल, खोपड़ी। संपनरपो (बी)-क्रि० [सं० सम्पन्नः] १ जन्म लेना, उत्पन्न होना। ८ खडडा, गर्त । ९ संदूक, पेटी। १० उधार दिया
२ प्राप्त होना। ३ पूर्ण होना, सिद्ध होना। ४ समृद्ध गया धन ।
होना, समृद्धिवान होना । ५ कुछ होना । ६ युक्त होना। | संपटी-स्त्री० [सं० संपूट] कोई छोटी कटोरी या तश्तरी । संपन्न, संपन्नउ-वि० १ समृद्धिशाली, समृद्ध । २ भरापूरा, संपुत्त (त.)-वि० [सं० सम्प्राप्त] प्राप्त, लब्ध ।
परिपुरणं । ३ पूर्ण, पूरा। ४ युक्त, सहित । ५ पाया हुमा, संपूरण-वि० [सं० सम्पूर्ण] १ समस्त, सब। २ अन्त तक पूरा।
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