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सग्रहण
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( ६८४ )
संग्रहणी (बो) - क्रि० [सं० संग्रहणम् ] १ संग्रह या संचय करना । २ लेना, ग्रहण करना। ३ पहनना, धारण करना । ४ लाभ प्राप्त करना। ५ रक्षा करना, हिफाजत करना । ६ स्थापित करना । ७ कैद करना । ८ मिलना । ९ युद्ध । करना । १० रोकना, थामना । संग्रह पहली देखी 'ही' सही - वि० 10 संग्रह करने वाला, एकत्र करने वाला । ग्राम- पु० [सं० ग्राम ] युद्ध, समर, लड़ाई । संग्रामसाही पु० महाराणा संग्रामसिंह द्वारा प्रचलित मेवाड़ राज्य का एक सिक्का ।
संग्रामांगण-पु० [सं० संग्राम अंगरण] युद्धभूमि, रणक्षेत्र ।
रणस्थल ।
संग्राह पु० [सं०] १ बोजार या किसी हथियार का दस्ता २ ढाल का हत्था विशेष । ३ मुक्का, मुष्ठिका | संग्राहक - वि० [सं०] संग्रह करने वाला । सग्राही पु० [सं० संग्राहिन् ] १ कफादि दोष, धातु, मल तथा तरल पदार्थों को खींचने वाला तत्व । २ कब्जकारी वस्तु । संघ पु० [सं०] १ लोगों का समुदाय या समूह २ धावक समुदाय । ३ समूह, झुण्ड । ४ तीर्थाटन को जाने वाला यात्री दल । ५ साधुनों का मठ ६ संगठित होने की अवस्था या भाव। ७ कुछ निश्चित उद्देश्य से बना समुदाय, सगठन । ८ एक लोक तांत्रिक शासन व्यवस्था । ९ राष्ट्रों का संगठन । १० देखो 'संग' |
भाव ।
संघ पु० [सं०] १ समूह, समुदाय । २ देखो 'संकट' । संघहरण ० १ संगठित होने की अवस्था या २ इकाइयों का समूह । ३ बिखरी हुई शक्तियों को एक जुट करने की क्रिया । ४ किसी निश्चित लक्ष्य से बनाया गया समुदाय, संस्था ५ रचना, संरचना, बनावट । ६ स्वरों का शब्दों से सयोग ।
वस्तुओं का ढेर ३ भोजन, पान, घोषध खाने की क्रिया ४ मंत्र बल । ५ ग्रहण ६ समूह, जमघट । ७ धारण करना क्रिया । ८ विवाह शादी । ९ मैथुन, संभोग । १० स्वागत सम्मान ११ निग्रह, संयम १२ २१, हिफाजत १३ तालिका सूची १४ योग जोड़ १५ शिवजी का एक नाम । १६ स्कंद का एक अनुचर । संग्रहण १० [सं०] १ लेना क्रिया प्रहरा २ प्राप्ति लाभ ३ गहनों की जड़ाई । ४ अपहरण ५ व्यभिचार, संभोग, मैथुन । ६ संहार, नाश । ७ युद्ध ।
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संग्रह (1) ० [सं०] संपली] पाचन क्रिया का विहार, संघरली (बी) कि० १ संहार करना, मारना २ युद्ध करना। एक रोग 1
३ देखी 'संग्रह' (बो) ।
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संपता-संसर्ग संपतं ।
संघट्टचक्र - पु० [सं०] फलित ज्योतिष में युद्ध फल विचारने का नक्षत्रों संबंधी एक चक्र ।
संघाळौ
संघट्ट देखो 'संघटण' ।
संपत (ति, सी) पु० [सं०] किसी संघ या समूह का मध्यस प्रधान, दलपति, नायक ।
संघर - १ देखो 'संगर' । २ देखो 'संग्रह' ।
संघरण - वि० १ संहार करने वाला, नाश करने वाला
'संग्रहण' ।
संघवाही देखो 'सिंहवाही' । संघवी-देखो 'सिंघवी' ।
संघाट- देखो 'संघात' ।
संघरस, संघरसल पु० [सं० संघर्ष संघर्षण] १ रगड़ने, चिसने या घोटने की क्रिया । २ किन्हीं दो विरोधी दलों या पक्षों में एक दूसरे का दबाने के लिये चलने वाला झगड़ा । ३ कष्ट या प्रभाव से बचने का प्रयाम । ४ प्रतियोगिता, स्पर्धा । ५ द्वेष, वैर । ६ टक्कर, भिड़ंत । ७ डाट, ढक्कन । ८ बाधा, रुकावट ।
संघरसी० [सं० संबंधित] संघर्ष करने वाला, संघर्षरत । संघल (दीप, द्वीप), संघलि (लो), संघलिदीप (द्वीप) - देखो 'सिंहलद्वीप' ।
२ देखो
संघाड - पु० १ दो की जोड़ी, युग्म । २ समूह ।
संघाडि (डी) - स्त्री० [सं० सघाटिका ] १ वस्त्र के टुकड़ों का बना चोगा, कथा । २ प्रोढ़ने का वस्त्र । ३ जैन साध्वियों के वस्त्र |
संघात ( इ ई ) - पु० [सं० संघात ] १ साथ २ ऐक्य, संयोग,
मिलाप । ३ समुदाय, समूह । ४ हत्या, वध । ५ नाश, ध्वंस । ६ कफ, श्लेष्म । ७ एक नरक विशेष । ८ शरीर । - वि० साथ, सहित
संघार- देखो 'संहार' । संधारक देखी 'संहारक' ।
संघारकर - पु० [सं० संहारकर ] सुदर्शनचक्र ।
संघातक - वि० [सं०] १ घात करने या प्राण लेने वाला, मारने वाला । २ नाश या ध्वस करने वाला ।
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संधारण - पु० [सं० सहारा ] १ सुदर्शन चक्र । २ बलराम का एक नाम । - वि० संहार या नाश करने वाला । संधारण (बी) देखो 'संहार' (बी) | संघाळो-देखो 'सिंघाळो' ।