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संकुकरण
सक्षेप
१२ वस्तु को तीखी नोक । १३ विष, जहर । १४ बारह | ६एक प्रकार की मछली। ७ केसर। ८ एक प्रकार का अगुल के बराबर का माप । १५ घड़ी की सुई। १६ पाप, अलंकार । कलुष ।
संकोचणी (बी)-क्रि० १ संकुचित होमा, भयातुर होना । संकुकरण-पु० [सं० शंकु+कर्ण] १ शंकु के समान लंबे कान २ असमंजस या झिझक होना । ३ कम होना, घटना । ___वाला गधा । २ शिव का एक पार्षद। ३ स्वामिकात्तिकेय । ४ लज्जित होना, शमिन्दा होना। ५ सिकुड़ना। संकुडणी (बी)-देखो 'सिकुड़णो' (बी)।
संकोचित-वि० [सं० संकुचित] १ सिकुड़ा हुअा, तंग । संकुड़ित-वि० [सं० संकुचित] १ सिकुड़ा हुप्रा, संकुचित ।
२ लज्जित, शमिन्दा । ३ अनुदार, रूखा। ४ जिसमें २ लज्जित, शमिन्दा । ३ तंग, सकड़ा।
संकोच हो। संकुचण-स्त्री० [सं० संकुचन] संकुचित होने की क्रिया या | संकोची-देखो 'सेळो' । भाव । संकोच ।
संकोज-देखो 'संकोच'। संकुचणि-स्त्री० संकोच, लज्जा ।-वि. संकोच करने वाली, | संकोडणी (बी)-देखो 'संकोड़णों' (बी)। लज्जावान ।
संको, सको-पु० [सं० शका] १ सन्देह, शक, भ्रम। २ डर, संकुचरणी (बी), संकुचारपो (बी)-क्रि० १मिन्दा या लज्जित भय, पातंक । ३ लज्जा, शर्म। ४ दुराव, छिपाव । होना । २ सिमटना, छोटा होना, सिकुड़ना। ३ सलवटें
५ खयाल, विचार। ६ चिंता, परवाह। ७ लिहाज । पड़ना, झुरिया पड़ना। ४ बन्द होना ।
८ संकोच, झिझक । संकुचित-वि. १ सिकुड़ा हुया, सिमटा हुप्रा । २ लज्जित, संक्रवन-पु० [सं०] १ श्रीकृष्ण का एक नाम । २ इन्द्र।
मिन्दा । ३ सलवर्ट या झुर्रियां पड़ा हमा। ४ बन्द । | संक्रांत (ती)-पु० [सं० संकृती] १ यम। २ रंतिदेव के पिता -स्त्री० कली।
एक प्राचीन राजा। संकुडपो (बो)-देखो 'सिकुड़णो' (बी))।
संक्रम-पु० [सं० संक्रम] १ दुःख, कष्ट या कठिनाई बढ़ने की संकुळ-वि० [सं० संकुल] १ भरा हुअा, परिपूर्ण । २ घना ।
स्थिति । २ पुल, सेतु । ३ किसी ग्रह का एक राशि से ३ पूर्ण, पूरा। ४ अस्त-व्यस्त ।-पु. १ झुड, समूह । |
दूसरी राशि में प्रवेश । ४ चलने या गमन करने की क्रिया। २ भीड़ । ३ जनता । ४ तुमुल युद्ध । ५ वाद-विवाद ।।
५ स्थिति का बदलाव । ६ दुर्गम या संकरा रास्ता । संकुळणी (बी)-क्रि० [सं० संकुलन] १ पूर्ण भरना । २ घना
७प्राप्ति का साधन । ८ स्कन्द का एक मनुचर। होना। ३ प्रस्त-व्यस्त होना। ४ तुमुल युद्ध होना। संक्रमण-पु० [सं०] १ चलने की क्रिया, गमन । २ प्रतिक्रमण । ५ वाद-विवाद होना।
३ सूर्य का किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश । संकुळि, संकुळित-वि० [सं० संकुलित] १ परिपूर्ण, भरा हुग। ४ सूर्य का उत्तरायण या दक्षिणायण में होने का दिन । ___ २ एकत्र, इकट्ठा । ३ अस्त-व्यस्त ।
५ घुमाव, चक्कर। ६ परिवर्तन ।--काळ-पु. बदलाव संकुळी-स्त्री० [सं० संकुली] रीढ़ की हड्डी ।-वि० संकुलित। का समय । परिवर्तन काल । संकुळी, संकुनी-पु० [सं० शकुला] १ सुपारी काटने का संक्रमणो (बी)-क्रि. १ गमन करना, जाना, मागे की भोर
सरौता । २ नश्तर या छुरी विशेष । ३ सुपारी का बढ़ना । २ प्रतिक्रमण करना। ३ घूमना, फिरना । टुकड़ा।
४ रोग का फैलना। ५ प्रवेश करना, पहुंचना । ६ एक संकेत-पु० [सं० संकेतः] १ घर, भवन । २ नाम । ३ इशारा स्थिति से दूसरी स्थिति में होना। ७ बदलाव माना ।
४ चिह्न, निशान । ५ निशानी या पहचान के तौर पर ८ परिवर्तन होना। दी जाने वाली वस्तु । ६ भाव प्रगट करने की चेष्टा । | सक्रांत (ति, ती)-देखो 'संकरांत'। ७ प्रासंगिक बात । ८ शृगारिक चेष्टा । ९ प्रेमी-प्रेमिका संक्रामण-देखो 'संक्रमण' । के मिलने का सांकेतिक स्थान ।
संक्रांमि, सक्रांमी-पु० [सं० संक्रामिन] सक्रमण कराने वाला। संकोड़णो (बो)-क्रि० १ सकुचित या लज्जित होना। २ भय
संक्रांयत-देखो 'संकरात'। भीत होना, डरना। ३ सिकुड़ना, बद होना। ४ सलवटें | सक्षिप्त-वि० [सं०] १ सूक्ष्म रूप में। २ लघु। ३ घटा कर पड़ना । ५ दबाना, मजबूर करना ।
या काट कर छोटा किया हुआ। संकोच-पु० [सं०] १ लज्जा, शर्म । २ सकुचाहट । ३ झिझक, | संक्षिप्ता-स्त्री० [सं०] बुध ग्रह की एक गति ।
असमंजस । ४ सिकुड़न, सलवट । ५ लिहाज, प्रभाव । | सक्षेप-पु० [सं०] १ थोड़े में कही हुई बात, सारबात ।
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