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विस्रय
( ६४३ )
विस्ववत्त
विस्रय-वि० [सं० वि-श्रेयस्] १ विशेष श्रेष्ठता वाला, उत्तम, नामान्तर । २ ईश्वर, परमात्मा । ३ इंद्र सभा के एक श्रेष्ठ । २ श्रेष्ठता रहित, बुरा।
ऋषि । ४ नारद के शिष्य एक प्राचार्य । ५ चौदहवें मनु का विस्लय-वि० [सं० विश्लथ] १ शिथिल, ढीला। २ सुस्त, थका नामान्तर। हुप्रा।
विस्वकाय-पु० [सं० विश्वकाय] भगवान् श्रीविष्णु । विस्लेस-पु० [सं० विश्लेष] १ अलग या पृथक होने की क्रिया विस्वकाया-स्त्री० [सं० विश्वकाया] दुर्गा का एक नामान्तर ।
या भाव । २ वियोग, विछोह । ३ थकावट, सुस्ती। विस्वकारक-पु० [सं० विश्वकारक] विष्णु । ब्रह्मा । शिव । ४ शिथिलता, ढोलापन।
विस्वकारज (कार्य)-पु० [सं० विश्वकार्य] सूर्य की सप्तरंगी विस्लेसण-पु० [सं० विश्लेषण] १ किसी पदार्थ के संयोजक | प्रमुख सात ज्योतियां।
तत्वों को पृथक करने की क्रिया या भाव। २ विषय या विस्वकारणी, विस्वकारिणी-स्त्री० [सं० विश्वकारिणी] विश्व पदार्थ के तत्त्वों की पृथक-पृथक जांच या अध्ययन ।। को कारण रूपा शक्ति, देवी। ३ अध्ययन या विवेचन की विधि । ४ वायु प्रकोप से बने
| विस्वकूट-पु० [सं० विश्वकूट] हिमालय की एक चोटी का नाम । फोड़े में होने वाला दर्द । ५ भंग करना क्रिया ।
विस्वकेतु-पु० [सं० विश्वकेतु] १ अनिरुद्ध का एक नामान्तर । विस्लेसणात्मक-वि० [सं० विश्लेषणात्मक] १ जिसका विश्लेषण
कवि० [सं० विश्लेषणात्मक] १ जिसका विश्लेषण | २एक पर्वत का नाम । किया गया हो। २ विश्लेषण कर तैयार किया गया। विस्वकोस-पु० [सं० विश्वकोश] , संसार के समस्त पदार्थ ३ विश्लेषण करने योग्य ।
प्रादि का संग्रह, कोश या भण्डार। २ संसार के समस्त विस्लोक-पु० [सं० विश्लोक] एक मात्रिक छंद विशेष ।
विषयों के विस्तृत विवेचन का ग्रंथ । विस्वंतर-पु० [सं० विश्वंतर] भगवान बुद्ध ।
विस्वक्रत-पु० [सं० विश्वकृत] १ संसार का सृष्टि कर्ता, विस्वभर-पु० [सं० विश्वंभर] १ समस्त संसार का भरण-पोषण
ब्रह्मा । २ विश्व का पालनहार, विष्ण । ३ शिव, करने वाला, ईश्वर, श्रीविष्णु । २.देवराज इन्द्र । ३ अग्नि
महादेव । देवता। ४ एक उपनिषद् ।
विस्वगंध-पु० [सं० विश्वगंध] १ लहसुन । २ लोबान । विस्वंभरा (री)-स्त्री० [सं० विश्वंभरा] १ पृथ्वी, भूमि ।
| विस्वगंधा-स्त्री० [सं० विश्वगंधा] पथ्वी, भूमि । २ एक रागिनी विशेष ।
विस्वगधि (घी)-पु० [सं० विश्वगंधि] पृथु नामक राजा के विस्वंभरेसर (सुर, स्वर)-पु० [सं० विश्वंभरेश्वर] १ हिमालय
पुत्र का नाम। स्थित एक शिव लिंग का नाम। २ शिव, महादेव ।
विस्वगरम-पु० [सं० विश्वगर्भ] १ भगवान विष्ण । २ शिव। ३ ईश्वर ।
विस्वगस्व-पु० [सं० विश्वगश्व राजा पृथु के पुत्रों में से एक । विस्व-पु० [सं० विश्व] १ संसार, जगत, दुनिया। २ ममस्त
विस्वगोला-पु० [सं० विश्वगोप्ता] १ विष्ण । २ देवराज इन्द्र । ब्रह्माण्ड । ३ विष्ण का एक नामान्तर । ४ शिव, महादेव ।
३ विश्वंभर । ५ दश देवों का एक गण विशेष । ६ फाल्गुन मास में सूर्य के साथ भ्रमण करने वाला गंधर्व । ७ प्रात्मा, जीव ।
विस्वचक्ख (चक्ष, पक्ष, चख)-पु० [सं० विश्वचक्षुस्] १ ईश्वर ८ नगर निवासी।-वि० १ समस्त, समग्र। २ प्रत्येक,
परमात्मा । २ सूर्य, रवि । हरेक ।
विस्वचक्र-पु० [सं० विश्वचक्र] बारह प्रकार के महादानों में विस्वईस-देखो "विस्वेस'।
- से एक। विस्वईसर (सुर, स्वर)-देखो "विस्वेस्वर'।
विस्वजीत-पु० [सं० विश्वजित्] १ एक प्रकार का यज्ञ । विस्वकरण-देखो "विस्वकरमा' ।
__ २ वरुण का पाश । ३ अग्नि, माग। ४ बृहस्पति के एक विस्वकरमजा-स्त्री० [सं० विश्वकर्मजा] सूर्य की पत्नी संज्ञा पुत्र का नाम । ५ विष्ण। का एक नाम ।
विस्वजीव-पु० [सं० विश्वजीव] ईश्वर, परमात्मा । विस्वकरमा (म्मा)-पु० [सं० विश्वकर्मन्] १ विश्व की सृष्टि | विस्वजण (जोनि, जोनी)-देखो 'विस्वयोनि'।
करने वाला ब्रह्मा, विधि । २ ईश्वर, विष्णु । ३ शिव, विस्वजोतिस-पु० [सं० विश्वज्योतिष] एक ऋषि विशेष । महादेव । ४ सूर्य, रवि । ५ शिल्प शास्त्र के अधिष्ठाता एक विस्वतन (तनु)-पु० [सं० विश्वतनु] भगवान विष्ण। देव । ६ बढ़ई, लुहार प्रादि शिल्पी।
विस्वतोया-स्त्री० [सं० विश्वतोया] गंगा नदी । विस्वकसेन-पु० [सं० विश्वक्सेनः] १ भगवान विष्णु का एक ! विस्वदत्त-पु० [सं० विश्वदत्त] सोमवंशीय एक राजा ।
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