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विभानु
( ६२१ )
विभेदक
विमामांनु (न)-पु. [सं. विभा-भानु] अग्नि, प्राग।
४ शिव, महादेव । ५ प्रभु, ईश्वर, स्वामी। ६ उद्वायी विभाव-स्त्री० [सं० विभाव:] १ रति या रस विधान संबंधी तरल पदार्थ विशेष । ७ नौकर, सेवक। काल, समय । साहित्य में एक अवस्था । २ देखो 'वैभव'।
९ सौवीर देश का एक राजा। १० रैवत मन्वन्तर का विमावन-पु० [सं०] १ विवेक, विचार । २ वाद-विवाद । इन्द्र । ११ विष्णु का एक अवतार । १२ देव विशेष । ३ साहित्य में एक अवस्था विशेष ।
१३ राजा, नृप। विभावना-स्त्री० [सं०] साहित्य में एक अर्थालंकार । | विभूख-देखो 'विभूसण'। विभावरि (री)-स्त्री० [सं० विभावरी] १ रात, रात्रि । | विभूखणी (बी)-देखो 'विभूसों' (बी)।
२ वेश्या।। चतुर स्त्री। ४ दूती, कुटनी। ५ वरुण की | विभूखा-देखो 'विभूसा' । नगरी का नाम। ६ भ्रष्ट एवं पतिता स्त्री। ७ व्यभि | विभूखित-देखो 'विभूसित'। चारिणी। ८ दूसरी पत्नी, रखेल।
विभूत-देखो 'विभूति'। विभावरिस, विभावरीस-पु० [सं० विभावरी-ईश] १ चन्द्रमा, | विभूतसिड (सिध), विभूतासिड (घ)-पु० [सं० विभूति-सिद्ध] चांद । २ उल्लू, घुग्घू।
१ शिव, महादेव । २ सिद्धि प्राप्त महात्मा। ३ एक लोक विमावसु (सू)-पु० [सं० विभा+वसु] १ अधिक प्रकाशमय | देवता विशेष ।
वस्तु । २ सूरज, सूर्य । ३ चांद, चन्द्रमा। ४ अग्नि, | विभूति (ती)-स्त्री० [सं० विभूति] १ बड़ा होने की अवस्था, प्राग। ५ गले का प्राभूषण, हार। ६ पाठ वसुनों में बड़प्पन । २ स्वस्थता। ३ वृद्धि, बढोतरी। ४ वैभव, से एक।
ऐश्वर्य । ५ धन, दौलत, सम्पत्ति । ६ मधिकार, प्रभुत्व । विभास-पु० [सं०] १ चमक, तेज, प्रकाश, कांति । २ एक
७ कान्ति, दीप्ति । ५ श्री विष्णु का नित्य व स्थाई ऐश्वर्य। 'राग विशेष । ३ एक देव योनि विशेष ।
९ दिव्य शक्तियां । १० भस्मी, राख, भभूत । ११ यज्ञ या
पग्नि कुण्ड की भस्म, धुनी की भस्म । १२ श्रीराम का विभासक-वि० [सं०] १ चमकने वाला, प्रकाश युक्त, प्रकाश
एक दिव्यास्त्र । १३ सिद्ध पुरुष। १४ मूखों के लिये एक वान् । २ चमकाने वाला, प्रकाश युक्त करने वाला।
व्यंगात्मक सम्बोधन । १५ एक चर्म रोग। १६ विश्वामित्र विभासणो (बो)-क्रि० १ चमकना, झलकना । २ चमकाना,
का एक पुत्र ।-द्वावस, द्वादसी-स्त्री. शुक्ल पक्ष की झलकाना।
द्वादसी का व्रत ।-मांन, वान-वि० शक्तिशाली, बलवान, विभासा-स्त्री० [सं०] चमक, प्राभा, कांति, दीप्ति ।
वैभवशाली, ऐश्वर्य युक्त । कान्ति युक्त, चमकीला । विभिदु, विभिनुक-पु० [सं०] एक दानवीर राजा।
-सिद्ध, सिध='विभूतासिद्ध'। विभिखण-देखो 'विभीसण'।
| विभूती-वि० भस्म या राख लगाया हुमा। विभिन्न-वि० [सं०] १ अनेक, कई प्रकार के, भिन्न-भिन्न । | PAN
। विभूबस (सु)-पु. एक ऋषि विशेष। २ तोड़ा या छेदा हुपा। ३ पृथक, जुदा । ४ विड, घायल । |
विभूसरण-पु० [सं० विभूषणम्] १ प्रलंकार, भाभूषण, जेवर । ५ उद्विग्न, विकल।
२ अलंकृत या माभूषित करने की क्रिया ।-करता, कारविभिसरण,विभीखण-देखो "विभोसण'।
पु० स्वर्णकार ।-वि० अलंकृत करने वाला। विभीत, विभीतक-वि० [सं० विभीतकी, विभीता] (स्त्री० |
विभूसरणी (बी)-क्रि० [सं० विभूषणम्] १ पलकृत होना विभीता) डरा हुमा, भयभीत ।-पु. बहेड़ा व इसका वृक्ष ।
प्राभूषण पहनना । २ शोभित होना। विभीसण-पु. [सं० विभीषण) १ लंका पति रावण का छोटा
विभूसा-पु० [सं० विभूषा] १ सुन्दरता, शोभा । २ सुन्दरी, भाई जो राम का भक्त था। २ विभीषण वंशीय एक
| मोहिनी। अन्य लंका नरेश । ३ एक यक्ष । -वि० भयंकर, डरावना ।
'विभूसित-वि० [सं० विभूषित] (स्त्री० विभूसिता] १ प्रलंकृत, विमोसणा-स्त्री० [सं० विभीषणा] एक स्कन्द मातृका।
शोभित । २ सुसज्जित । ३ कान्तिवान, मामायुक्त । विभीसिका-स्त्री० [सं० विभीषिका] १ भय प्रदर्शन, पातंक। गगों से यता २ डर, खोफ । ३ भयानक स्थिति, भयानकता ।
विभेद-पु० [सं०] १ भिन्नता प्रकट करने वाला तत्त्व, अन्तर, विभु, विभू-वि० [सं० विभु] १ जो सर्वगत एवं सर्व व्यापक | फर्क । २ अनेक भेद-प्रभेद। ३ अश, खण्ड, विभाग।
हो। २ बहुत बड़ा, महान् । ३ दृढ़, भटल । ४ बलवान, | ४ काटने-छेदने की क्रिया। शक्तिशाली। ५ जितेन्द्रिय, संयमी।-पु० [सं० विभुः] विभेदक-वि० [सं०] १ खण्डन, छेदन या भेद करने वाला। १माकाश, व्योम । २ ब्रह्मा। ३ भगवान श्रीविष्णु। २ अन्तर, फर्क व भिन्नता प्रकट करने वाला तत्व।
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