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वासिंग
( ५९३ )
वाहण
वासिंग-देखो 'वासुकि' ।
५ गांव । ६ पड़ाव । ७ एक शिकारी पक्षी। ८ भोजन वासिदो-देखो 'बासिदो'।
करने की दुकान, भोजनालय । व सि-पु० [सं० वाशिः, वासि] १ पग्निदेव । २ वसूला। वास्तव-वि० [सं०] १ असली, मूल, सही, सच्चा । २ प्राकृतिक । ३ कुठार । ४ छनी । ५ देखो 'वास' ।
३ सारयुक्त, तथ्य युक्त । ४ निश्चित । वासिग-देखो 'वासुकि'।
वास्तवा-स्त्री० [सं०] उषाकाल, प्रात:काल । वासिद्द-पु. शिव, महादेव ।
वास्तविक-वि० [सं०] १ सत्य, यथार्थ प्राकृतिक, असली । वासियो-वि० निवास करने वाला, निवासी।
२ ठीक, उचित। . वासिव-देखो 'वासव'।
वास्तविकता-स्त्री० [सं०] १ सच्चाई, असलियत । २ भौचित्य । वासिस्टी, वासिस्ठ-स्त्री० [सं० वाशिष्ठी] राजस्थान की बनास |
वास्तुपूजा-स्त्री० [सं०] नवीन गृह प्रवेश पर की जाने वाली नदी का एक नाम ।-वि० १ वसिष्ठ का, वसिष्ठ, संबंधी।
एक पूजा विशेष। . . २ वसिष्ठ का वंशज ।
वास्तुविद्या-स्त्री० [सं०] १ भवन निर्माण कला, अभियान्त्रिकी।
२ शिल्प । ३ चौसठ या बहत्तर कलामों में से एक। वासींदो-देखो 'बासिदो'।
वास्तुसांति-स्त्री० [सं० वास्तु-शांति] नवीन गृह प्रवेश के समय वासी-वि० [सं० वामिन् ] १ निवास करने वाला, रहने वाला,
किया जाने वाला शांति कर्म । निवासी । २ मुहल्ले का, मुहल्ले संबंधो। ३ किसी मुहल्ले
वास्तुसास्त्र-पु० [सं० वास्तु शास्त्र] भवन निर्माण या शिल्प का जागीरदार । ४ देखो 'बासी' ।
__ संबंधी शास्त्र । वासोजवारी-स्त्री दूल्हे को सुसराल से दी जाने वाली एक भेंट।
वास्तुसिद्धि-स्त्री० [सं०] स्त्रियों की चौसठ कलामों में से एक । वासीब-पु. मृतक के बारहवें दिन स्त्रियों द्वारा प्रातःकाल
वास्ते, वास्त-अव्य०१ निमित्त, लिये । २ कारण से,प्रयोजन से। किया जाने वाला रुदन ।
वास्तौ-पु० [सं० वास्त:] १ संबध, लगाव । २ प्रयोजन, मतलब । वासु-पु० [सं०] १ जीव, प्रात्मा। २ विश्वात्मा, परमात्मा। - ३ माध्यम, जरिया। ४ कारण । ५ शक्ति, बल । ३ विष्णु का एक नामान्तर।
६ पुरुषार्थ । वासुकि (की, गि, गी)-पु० [सं० वासुकिः] १ पाठ नाग | वास्प-स्त्री० [सं० वाष्पा] १ प्रांसू । २ भाप । कोहरा ।
राजामों में से एक । २ शेषनाग। ३ एक प्राचीन देवता। ४ लोहा। ४ सर्प सांप।
वाह-स्त्री० [सं०] १ शस्त्र प्रहार, चोट । २ माक्रमण, हमला। वासुदे वासुदेव-पु० [सं० वासुदेव] १ श्रीकृष्ण। २ परमेश्वर, ३ युद्ध । ४ प्रवाह । ५ प्रहार की सीमा, परिधि, क्षेत्र । ईश्वर । ३ वासुदेव के वंशज ।
६ शस्त्र, प्रायुध । ७ धनुष । ८ गति, चाल । ९ वाहन, वासुदेवक-पु० श्रीकृष्ण का उपासक ।
सवारी। १० घोड़ा, अश्व । ११ बैल । १२ बोझा लादने वासुदेवा-पु० भाटों की एक शाखा ।
वाला पशु। १३ नदी। १४ मदद । १५ वायु, हवा । वासदेवो-पु० उक्त शाखा का भाट ।
१६ सुगंध, महक । १७ बदबू, दुर्गन्ध । १८ खेत में हल
चलाने की अवस्था, दशा, मौसम । -प्रव्य. १ धन्य, वासुपुज्य, वासुपूज्य-पु० [सं० वासुपूज्य] जैनियों के बारहवें तीर्थकर।
शाबास । २ पाश्चर्य, हर्ष, घृणा सूचक ध्वनि । ३ खूब,
प्रत्यन्त । ४ बस। वासुभद्र-पु० [सं०] श्रीकृष्ण ।
वाहक-वि० [सं०] १ लेजाने वाला, ढोने वाला । २ वहन करने वासुर-देखो 'वासर'।
वाला । -पु.१ कुली,हमाल । २ गाड़ीवान । ३ घुड़सवार । वासरा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, धरती । २ रात्रि, रात।। ४ एक विला कीड़ा। __३ स्त्री, नारी । ४ हथिनी।
| वाहण-देखो 'वाहन'। वासू-स्त्री० [सं०] १ जवान लड़की । २ कुवारी लड़की। वाहणगरुड़-पु. विष्णु । कन्या।
वाहणवखम-देखो 'वाहनवखम' । वासूळो-देखो 'वसूलो'।
वाहरणसंभु-पु०१ नन्दी बैल । २ वृषभ, बल । वासे, वास-देखो 'वांस'।
वाहणसिखी-पु० स्वामिकात्तिकेय का एक नाम । वासो-पु० [सं० वास:] १ रहने की क्रिया या भाव, निवास । वाहण, वाहणी-स्त्री. १ एक प्रकार की, खेत की जुताई।
२ निवास स्थान । विश्राम । ४ विधामस्थल, डेरा: २ देखो 'वाहन' । ३ देखो 'वाहनी'।
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