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विरणसखकाळ
वितिपात
विणसरकाळ-देखो 'विणसिकाळ'।
ढमाका । ३ जैनियों के ८८ ग्रहों में से ७४ वां बह । -वि० विणसणी (बो)-क्रि० १ नाश होना, मिटना । २ बिगड़ना, . विस्तृत, फैला हुमा; लंबा-चौड़ा।
खराब होना। ३ मरना, खत्म होना। ४ नाश करना | विततपक्ष (पख)-पु. एक पक्षी विशेष । मिटाना। ५ मारना, संहार करना । ६ बिगाड़ना, खराब | वितत्य-पु० [सं०] एक प्राचीन ऋषि । करना।
| वितष (न्य)-पु. [सं०] १ झूठ, असत्य । २ भरद्वाज ऋषि का विरणसाडणी (बी), विरणसाणी (बो)-देखो "विणासणी' (बो)। एक नाम । -वि० प्रसत्य, झूठा । विणसिगकाळ-पु० [सं० विनाशकाल] १ बुरा समय, विनाश- | वितदाता-पु० पिता। -वि० धन देने वाला, दातार । काल । २ पापात काल ।
वित-पु० [सं०] १ पंजाब की झेलम नदी का नाम । २ एक विणा-देखो "बिना'।
यादव । विणाठरणो (बो)-देखो ' बिट्ठणी (बी)।
वितपन्न-वि० [सं० व्युत्पन्न] शास्त्र मादिका पूर्ण ज्ञाता। विणायक-देखो "विनायक'।
वितरक-वि० [सं०] वितरण करने वाला। -पु० [सं० वितर्क] विरणावट, विसावटी-देखो 'बनावटी'।
| १ तर्क के जवाब में तकं, विवाद । २ संदेह, शक । विरणास-देखो "विनास'।
३ अनुमान । ४ धृतराष्ट्र का पुत्र एक राजा। विणासणी (बी)-क्रि० १ नष्ट करना, नाश करना, मिटाना । | वितरण (न)-पु० [सं०] १ दान । २ अर्पण, समर्पण। ३ देना
२ मारना, संहार करना। ३ बिगाड़ करना, नुकसान या बांटना क्रिया। करना। ४ बुरा करना।
वितरणदान (दांनी)-पु० दातार, दानी। विणासी, विणासु (स)-१ देखो 'विनास' । २ देखो "विनासी' वितरणी (बो)-क्रि० १ अर्पण करना। २ बाटना, वितरण विरिण (पी)-१ देखो 'बिना'। २ देखो वणी'। ३ देखो 'बीपी'। करना । ३ दान देना। ४ पुण्य करना। विरियाणी, विरणीयारणी, विरिणयारणी, विणीयांणी-देखो वितरां-क्रि० वि० इतने में। 'वरिणयाणी'।
वितरित-वि० [सं०] १ बांटा हुमा। २ दान दिया हुमा । विशु, (ए)-देखो 'बिना'।
३ अर्पण किया हुमा, अर्पित। विणोकड़ी, विणोखड़ी विणोकड़ी, विणोखड़ी-स्त्री० [सं०वाणि वितरेक-पु० एक उपमालंकार विशेष । -क्रि० वि० [सं० यष्टि] कपास का पौधा ।
___ व्यतिरिक्त] छोड़कर, सिवा, अतिरिक्त। विरोव (वि)-पु. १ एक छन्द विशेष । २ देखो 'विनोद'। वितरेकजथा-स्त्री. डिंगल-गीत रचना का एक प्रलंकार। वितंड, वितंड-पु० [सं०] १ हस्ती, हाथी। २ घोड़ा, अश्व । वितल (ल)-पु० [सं० वितल] १ सात पातालों में से तीसरा
३ सूरज, सूर्य । ४ चटखनी। -वि०१ जबरदस्त, जोरावर । पाताल । २ पाताल । -वि. नीच, अधम, पतित । २ मनमोजो, मस्त । ३ मूर्ख । ४ पागल । ५ उद्दण्ड, वितसार (6)-प्रव्य० यथा शक्ति । झगड़ालू। -मुख-पु० गजानन, विनायक।
वितस्ता-स्त्री० पंजाब को झेलम नदी का नाम । वितंडा-स्त्री० [सं० वितण्डा] १ कुतर्क, अपनी बात पर किया | वितांन (क)-पु० [सं० वितान:] १ विस्तार, फैलाव । २ बड़ा जाने वाला जिद्द । २ व्यर्थ का झगड़ा, कहा-सुनी।
चंदोवा । ३ सूर्य, रवि । ४ यज्ञ, हवन ।-वि० १ रीता, वितंशवाद-पु. [सं. वितण्डावाद] १ स्त्रियों की चौसठ कलामों खाली। २ उदास, खिन्न । ३ मूढ़ । ४ पतित ।
में से एक । २ अपना मत स्थापन करने की क्रिया। ३ व्यर्थ | वितांना-स्त्री० [सं०विताना] भौत्य मनवन्तर के वहमान की का झगड़ा या कहा सुनी।
_माता का नाम । वितंती-देखो "वितत'।
विताणी (बौ), विताणो (बो)-देखो "बिताणों (बी)। वित, वित-वि० [सं०] १ चतुर, निपुण । २ ज्ञाता । -पु० [सं० विताव-वि० [सं० वि-ताव] १ मंद, ठंडा । २ नम्र । ३ जोश
वित्त] १ पशु धन, मवेशी। २ धन दौलत. द्रव्य, सम्पत्ति । या क्रोध रहित । ४ ताप रहित । वितकर-पु० धोखा, कपट ।
वितावरणो (बी), वितावणी (बी)-देखो "बिताणो' (बी)। वितड़णी (बी), वितड़णो (बो)-क्रि० बिगड़ना, विकृत होना । | विति-पु० [सं०] तुषित तथा साध्य देवों में से एक। वितड़ी (को)-देखो 'वित' ।
वितिक्रम-देखो 'व्यतिक्रम' । वितणी (बी)-देखो 'बीतणी' (बी)।
वितिक्रमी-देखो 'व्यतिक्रमो'। वितत-पु० [सं०] १ तंतु या तारवाद्य । २ वाद्य ध्वनि । | वितिपात-देखो 'व्यतिपात' ।
का नाम।
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