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विज्जर
विडणी
विज्जर-पु० खजूर का पेड़ विसर्व ।
विटाळण, विटाळणी-वि० १ लज्जित करने वाला, कलंकित विज-देखो 'विजय'।
करने वाला । २ भ्रष्ट करने वाला। विज्जैदसम (मी, म्मी)-देखो 'विजयादसमी'।
विटाळणौ (बी), विटालणी (वी)-क्रि० विचलित करना, विज्या-स्त्री० प्रार्या या गाहा छन्द का एक भेद विशेष ।
अस्थिर करना। २ पथ भ्रष्ट करना, धर्मच्युत करना। विक्षगरि (गिरि, गिरी)-पु० विध्याचल पर्वत ।
३ कलंकित करना। ४ बदनाम करना। विझासरिण (पी)-देखो 'मावलियां'।
विटाळी-देखो 'वटाळी' । (स्त्री० विटाळी). विनोहा-देखो "विजोहा'।
विटोप-पु. लोह का टोप। विटंब-देखो "विटंब'।
विट्ठळ (ल), विठ्ठळी (लो), विठळ (ल)-पु. [सं० विट्ठल] विटंबण, विटंबणा (न, ना)-स्त्री० १ दुःख, कष्ट, पीड़ा। १ विष्णु का एक नाम । २ ईश्वर, परमेश्वर । ३ श्रीकृष्ण। २ देखो 'विडंबना।
४ विष्णु की एक प्रसिद्ध मूर्ति। ५ पुष्टि मार्ग के प्रथम विटंबी-वि० १ दुःखी, पीड़ित । २ लंपट ।
उत्तराधिकारी एवं वल्लभाचार्य के पुत्र । -नाथ-पु. विट-वि० [सं० विट] १ काम वासना अधिक रखने वाला, भगवान विष्णु । पुष्टिमार्गी विट्ठलनाथ।
कामी । कामुक । २ धूर्त, चालाक । ३ मैथुन करवाने का विठलेसवर (स्वर)-देखो 'विदुळ'। मादी । ४ विषधी, ऐयाश। -पु०. १ साहित्य में एक प्रकार | विठायत-पु० बैठने का स्थान, बैठक । का नायक । २ नारंगी का पेड़। ३ मल, विष्ठा। ४ एक | विठोरो-देखो 'भीठोरो'। प्रकार का वर्ग ।
विडंग-पु० [सं० वितुण्ड] (स्त्री० विडंगी) १ प्रश्व, घोड़ा। विटक-पु० [सं०] १ पार्यावर्त के दक्षिण में नर्मदा के किनारे का। २ ऊंट । ३ वायवडिंग नामक झाड़ी । -वि० १मस्त,
एक प्राचीन प्रदेश । २ उक्त प्रदेश की एक प्राचीन जाति । उन्मत्त । २ बेपरवाह, निःशंक । ३ माजाद, स्वतंत्र । विटचर-पु० [सं०] प्राम्य शूकर, गडसूपर।
४ उदासीन । ५ वीर, बहादुर । विटणी (बो)-क्रि० [सं० वेष्टन्] मावेष्टित होना।
| विडंगळी-स्त्री. बैलगाड़ी के अग्र भाग में बंधी रहने वाली दो विटप-पु० [सं० विटप.] १ वृक्ष, पेड़। २ पेड़ या लता की लंबी लकड़ियां (डाई)। ___शाखा । ३ अण्डकोशों के बीच का परदा ।
विडंगाळ-स्त्री. १ घोड़ी। २ देखो "विडग' । विटपतटी-स्त्री० कुज गली।
विडंगि (गी, गो)-देखो विडंग' । (स्त्री० विडंगी)। "विटपी-पु० [सं० विटपिन्] १ जिस वृक्ष में नई शाखाएं या विडंब-पु० [सं० विडव] १ नकल । २ कष्ट, पीड़ा, सन्ताप ।
कोंपलें निकली हों। २ वृक्ष, पेड़। ३ वन, जंगल। ४ वट | ३ हंसी, मखोल, उपहास । ४ चाल-ढाल का अनुकरण। वृक्ष । ५ अंजीर का वृक्ष।
विडंबक-वि० [सं०] १ नकल, अनुकरण करने वाला । २ अपविटब-पु. प्रपंच, प्रफंडा।
मान, तिरस्कार करने वाला। ३ हंसी, उपहास करने विटभूत--पु० [सं०] वरुण की सभा में उपासना करने वाला । वाला । ४ कष्ट, संताप देने वाला। . .. एक मसुर।
विडंबरणी (बी)-क्रि० १ नकल या अनुकरण करना । २ अपमान विटळ, विटल, विटळ-वि० (स्त्री० विटली) १ बिगड़ा हुपा,
तिरस्कार करना । ३ हंसी, उपहास करना। ४ प्रपंच या विकार युक्त । २ पतित, पथभ्रष्ट, भ्रष्ट ३ व्यभिचारी।
जाल फैलाना । ५ उद्वेग या दुःख उत्पन्न करना। ६ वेश ४ दुष्ट । ५ बिगड़ा हुमा, बिगडल ।
बदलना। विटळणी (बी), विटलणी(बी), विटळणी(बी)-क्रि० १ विचलित | विडंबन, विडंबना-स्त्री० [सं० विडंबन] १ किसी की चाल-ढाल होना, अस्थिर होना । २ मर्यादा रहित होना, कुनीति पूर्ण
की नकल, अनुकरण । २ अपमान, तिरस्कार।३ चिढ़ाना होना । ३ पथ भ्रष्ट होना, धर्मच्युत होना।
क्रिया । ४ उपहास, हंसी मजाक। ५ हास्यास्पद स्थिति । विटळाणी (बी), विटलाणी (बी), विटळाणी (गे), विटळावणी ६ प्रपंच, जजाल । ७ उद्वेग, दुःख। (बौ), विटलावणी(बी)-क्रि०१ विचलित करना, अस्थिर करना। विडंबी-देखो 'विडंबक'।
२ मर्यादा रहित करना । ३ भ्रष्ट या धर्मच्युत करना। विश-वि. १ प्रज्ञानी, अनजान । २ शत्रु, दुश्मन। ३ देखो विळियो, विटळो, विटाळियो, विटळो-देखो 'विटळ' ।। बिड़' । ४ देखो 'विट'। (स्त्री० विटळी)
विडोजा-देखो "विडूजा'। विटाणो (बी)-क्रि० सिकुड़ना।
| विष्णो (बी)-देखो 'विढणी' (बी)
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