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वक्तव्य
। ५५२ )
वगतर
५ दिन । ६ विलंब, देरी। ७ अवकाश, फुरसत । ८ मौत | वक्रोदर-देखो 'वकोदर' ।
का क्षरण । ९ किसी कार्य में लगने वाला समय । वक्ष, वक्षस्थल, वक्षोज-पु० [सं० वक्षत] १ छाती, सीना । वक्तव्य-पु० [सं०] १ किसी बात, विषय मादि पर की जाने | २ स्त्रियों के कुच, स्तन ।
वाली टिप्पणी, कथन, स्पष्टीकरण । २ वक्ता की बात । वक्ष्मण-वि० [सं० वक्ष्यमाण] १ कथनीय, वर्णनीय । २ जो -वि० कहने, व्यक्त करने या निरूपण करने योग्य।
कहा जा रहा हो। वक्ता, वक्ता-पु० [सं० वक्तृ] १ कहने वाला व्यक्ति, बोलने वख-१ देखो 'विस' । २ देखो 'वक्ष', 'बख'।
वाला व्यक्ति । २ प्रवचन, भाषण या उपदेश करने वाला वखत, वखत-देखो 'वक्त' । 'वखत' ।-वंत = 'बखतवत' । व्यक्ति । ३ शिक्षक । ४ विद्वान, पंडित ।-वि० १ कहने -वडाल = बखतवडाल' ।-बायरो = 'बखतबायरी' । बोलने या प्रवचन करने वाला। २ बोलने में चतुर, | वखतसर-क्रि०वि० [म. वक्त+राज. सर] ठीक समय पर, वाक्पटु ।
उपयुक्त समय पर । वक्फ-देखो 'वकफ' ।-बार='वकफदार'।-नांमौ='कफनांमौ'। वखतावर (क, रू) बखतावर-देखो 'बखतावर' । वक्र-वि० [सं०] १ टेढ़ा, तिरछा, बांका । २ झुका हुआ मुड़ा वखतावरी-देखो 'बखतावरी' ।
हुमा, नत। ३ छल्लेदार, घुघराला। ४ कुटिल, धूर्त, | वखतो-देखो 'वगतो'। बेईमान। ५ निष्ठुर, निर्दयो। ६ दीर्घ ।-पु० १ मुख । वखत्त, वखत्त-देखो 'वकत्र', 'वक्त', 'बखत' २ रुद्र । ३ मंगल ग्रह । ४ शनि। ५ त्रिपुरासुर । ६ नदो | वखमी-देखो 'विसम'। का मोड़ । ७ प्रथम गुरु के गरण का नाम ।-गति-वि० | वखर-देखो 'भखारी। जिसकी गति टेढी हो, भाचार-विचार से कुटिल । विपरीत' वखसोस-देखो 'बकसीस' । दशा में चलने वाला ।-पु. सर्प, सांप, मंगल ग्रह । सूर्य वखाण, वखरण-देखो 'बखाण' । से पांचवें, छठे, सातवें तथा पाठवें ग्रह ।-गांमी-वि० वरणरणी (बौ)-देखो 'बखांणणों' (बौ)। टेढ़ी चाल व विपरीत पाचरण वाला, कुटिल।-प्रीव-पु. वाणिवू-वि० [सं० व्याख्यातव्य] व्याख्या करने योग्य । ऊंट ।-तु-पु. गणेश । तोता । वंस्ट-पु० सूपर, जिसकी व्याख्या प्रावश्यक हो। वराह । -पुच्छ-पु. कुत्ता, श्वान ।
वखांण (गो)-देखो 'बखाण'। बक्रकोटौ-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
बखात-देखो 'विखायत' । वक्रता-पृ० [सं०] १ टेढ़ा व तिरछापन। २ वक्र होने की | वखारी-देखो 'भखारी'। दशा । ३ साहित्य रचना की एक शैली।
बखिस्थळ-देखो वक्षस्थल'। बक्रति-देखो "विक्रति'।
वखे-देखो 'पखे'। बक्रस्टि-वि० [सं० वक्रदृष्टि] १ जिसकी नजर में क्रूरता भरी
वखेड़ी-देखो 'बखेड़ी'। हो, मंगलकारी दृष्टि वाला। २ क्रोधी। ३ ईर्ष्यालु,
बखेर-देखो 'बिखेर'। डाही । ४ मंद दृष्टि वाला ।-स्त्री. १ तिरछी नजर ।।
बखेरणी (बी)-देखो "बिखेरणो' (बी)।
| वखो-देखो "विखौ'। २ क्रोध पूर्ण प्रांखें। ३ मंद दृष्टि । ४ ऐंचाताना ।
वस्तर, वख्तर-देखो 'बखतर'। वक्रांग-वि० [सं०] १ जिसका अंग तिरछा या टेढ़ा हो ।
वग-१ देखो 'बाग' । २ देखो 'वरग' । २ कूबड़वाला ।-पु. १ हंस। २ चक्रवाक, चकवा । ३ सर्प, सांप।
वगड़, वगह-देखो 'बगड़। वक्री-वि० [स. वक्रिन्] १ विपरीत मार्ग पर जाने वाला।
बगड़ावत, बगड़ावत-पु० [सं० व्याघ्र-पुत्र] १ बाघ नामक क्षत्रिय २ टेढे अंगों वाला । ३ क्रोधी । ४ विपरीत, उल्टा।
के वंशज जो २४ विभिन्न जाति की लड़कियों से उत्पन्न ५ टेढा चलने वाला, विरुद्ध दिशा की ओर बढ़ने वाला।
हुए थे। २ एक प्रकार का लोक गीत ।-वि० बीर, -पु०ज्योतिष में वह ग्रह जो अपनी गति से टेढी
बहादुर। गति पर भागे बढता हो और कुछ समय उपरान्त पुनः | वगट-पु० [सं० भृकुट] शिर; मस्तक । अपनी पूर्व गति पर पाता हो। (मार्गी)
वगणो (बी)-१ देखो 'बजरणो' (बी)। २ देखो'बाजणी' (बी)। वक्रोक्ति-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का काव्यालंकार । वगत, वगत-1 देखो 'वक्त' । २ देखो 'बखत' । काकूक्ति । २ चमत्कारपूर्ण कथन ।
| वगतर, वगतरियो, वगतरो-देखो 'बखतर।
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