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गसीका
वसूली
बसीका-स्त्री० [अ० वसिका] प्रगर की लकड़ी।
२५ पाभा, कांति, दीप्ति । २६ पग्नि, माग । २७ किरण, बसीको-वि० [अ० वसिक] १ शून्य, रहित। २ रौता, खाली । रश्मि । २८ पृथ्वी, धरती। २६ उषा। ३० प्रश्वी।
[प० बसीक:] ३ पेंचन पाने वाला ।-पु. १ ऋणपत्र । ३१ इन्द्रपुरी। ३२ स्वर्ग की एक नदी। ३३ पलकापुरी। २ दस्तावेज । ३ इकरारनामा। ४ सरकारी खजाने में जमा ३४ प्रजापति दक्ष की एक कन्या । ३५ मौलश्री। ३६ वृद्धि करवाया जाने वाला धन ।
नामक प्रौषधि । ३७ लगाम, रास, बागडोर । ३८ पाठ वसीक्रत-वि० [सं० वशीकृत] १ मोहित, मुग्ध । २ वश में की सख्या*।-वि०१ जो सब में निवास करता हो। किया हुमा।
२ जिस में सब का निवास हो। ३ अधीन, पवलम्वित । बसोटाळ-देखो "विस्टाळ।
-कि० वि० ४ अधिकार में, कब्जे में। वसोटाळो-देखो "विस्टाळी'।
वसुचरण-पु. डगरण के चौथे भेद का नाम । वसीट्ठी-पु. १ दूत । २ देखो 'वसीठी' ।
वसुद-पु० [सं० वसु+प्र० द०] १ विष्णु । २ कुबेर । बसीठ-पु०१ संदेशवाहक, दूत । २ राजदूत। ३ देखो 'वसिस्ठ'। वसुदरम (धरम)-पु० [सं० वसु धर्म] इन्द्र। बसीठी-स्त्री. १ वसीठ का कार्य । २ संदेश लेजाने का कार्य । | वसुदा-देखो 'वसुधा'। बसीता-देखो 'वसित्व।
वसुदेव-पु० [सं०] श्रीकृष्ण के पिता। वसीतुनीर-पु० तीर, बाण।
वसुधर, वसुधरा-देखो 'वसुधरा' । बसीभूत-वि० [सं० वशीभूत] १ वश में किया हमा। २ अधीन, | वसुधांन, वसुधा-स्त्री० [सं० वसुधा] पृथ्वी, धरती, भूमि । नियंत्रित । ३ मोहित, मुग्ध । ४ दूसरों की इच्छा के अधीन
-घर-पु. विष्णु । शेषनाग । पर्वत ।-धिप, धिपति-पु. राने वाला।
राजा, नृप ।-धोख-पु० पानी, जल । पति-पु. राजा, वसीयत-स्त्री० [4.] अपनी संपत्ति या जायदाद का उत्तरा- नृप । जागीरदार । जमीदार।
धिकार देने की एक प्रणाली। २ इस विधि से की गई | वसुधारा-स्त्री० [सं०] । कुबेर की राजधानी अलकापुरी। व्यवस्था । ३ उत्तराधिकार के लिये लिखा गया दस्तावेज। २ एक प्राचीन तीर्थ का नाम । ३ जैनों की देवी, शक्ति। ४ मरणासन्न व्यक्ति का अपनी जायदाद के प्रति अंतिम | - ४ प्राकाश से स्वर्णवृष्ठि । कथन या इच्छा।
| वसुधेस-पु० [सं० वसुधा-ईश] १ ईश्वर । २ राजा, नृप । सीयतनामी-पु० [अ० वसीयतनामः] १ अपनी जायदाद का वसुध्धा-देखो 'वसुधा'।
वारिस बनाने या उत्तराधिकार देने संबंधी कानूनी | वसुपय-पु० डगण के चतुर्थ भेद का नाम । दस्तावेज । २ इच्छा-पात्र।
वसुप्रसून-पु० [सं० विष-प्रसून] कमल, नील कमल । सीरी-पु० [सं० अवसिक्त] १ प्रजा। २ प्रजा का कोई वर्ग या| वसुमता (मति, मती, मत्ती)-स्त्री० [सं० वसुमति] पृथ्वी, परिवार जो जागीरदार का विशेष कृपा पात्र हो।
धरती। सीलो-पु० [फा०वसील:] १ माश्रम, सहारा । २ संबंध | वरेता-पु. [सं० वसुरेतस्] १ अग्नि । २ शिव ।
लगाव । ३ साधन, जरिया, माध्यम। ४ उपकरण । | वसुरोधो-पु. शिव। .. ५ विचौलिया।
वसुहा-देखो 'वसुधा'। बसीवान-वि० [सं० वसि-प्रा. बत् १ बसने, निवास करने | बसूलो-देखो 'वसूलो' ।
वामा। २ वंश परंपरा से रहने वाला, स्थाई निवासी। | वसू-देखो 'वसु' । ३ जो मकान मादि बनवा कर बस गया हो।
वसूधा-देखो 'वसुधा'। वसुंधरा-स्त्री० [सं०] पृथ्वी, भूमि, धरती।
वसूप्रसून-देखो 'वसुप्रसून'। वसु-पु. [सं०] १ धन, दौलत, द्रव्य । २ प्रकाश, तेज। | वसूमती-देखो 'वसुमती'।
३ रत्न। ४ देवता, सुर । ५ स्वर्ण, सोना। पाठ देवगणों | वसूल-वि० [अ०] १ किसी में बकाया का प्राप्त । २ प्राप्त, का एक समूह । ७ कुबेर। ८ इंद्र। ६ मेघ, बादल ।। लब्ध । ३ बम के प्रतिफल में प्राप्त ।-पू०१पाय, प्राप्ति । १० सूर्य । ११ विष्णु । १२ शिव, रुद्र । १३ जल, पानी। | २ प्राप्त रकम। १४ वायु। १५ प्रजापति । १६ तालाब, सरोवर । १७ मा- | वसूली-स्त्री० [..] १ बकाया की उगाही। २ बकाया धन द्गण । १८ वस्तु, पदार्थ । १६ लवण विशेष । २० अगस्त्य एकत्र करने की क्रिया। का वृक्ष । २१ वक वृक्ष । २२ छप्पय छन्द का एक वसूलो-पु० [सं० वासिः] १ बढ़ई का एक पोचार । २ ईट भेद । २३ साधु पुरुष, सज्जन । २४ अधिकार, कब्जा, वश।। काटने का प्रोजार।
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