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बसेक
बहत्तर
वसेक, वसेख, बसेखो-देखो 'निसेस।
वहंग-देखो 'विहंग'।-पत, पति = 'विहंगपति'।-राज,राजा = वसेरो-देखो 'बसेरों'।
विहंगराज'। बसेस-देखो 'विसेस'।
वहंग्पो (बी)-देखो 'विहंडणी' (बौ)। वसोख-पु० [सं० विशिखा] राजमार्ग, प्राम रास्ता । वहत-पु० [सं० वहन्त] १ हवा, पवन । २ बच्चा। बसोलो-देखो 'वसूलो'।
बह-सर्व० [सं० वह,] कर्तृकारक प्रथम पुरुष सर्वनाम जो बसौ-क्रि० वि० १ वैसा-तं सा । २ लिये, निमित्त हेतु।
किसो संदर्भ का अनुमान देता है ।-पु०. [सं० वहः] वस्त-पु० [सं० वस्तु] १ वासा, डेरा । २ गमन । ३ मांगना १ परोक्ष वस्तु का संकेत कारक शब्द । २ समर्थन, क्रिया, याचना। ४ मार-पीट । ५ नाभि के नीचे का हिस्सा,
सहमति । ३ लेजाने की क्रिया । ४ वाइन, सवारी। मूत्राशय । ६ परवस्ती, कृपा। [सं० वस्तः] ७ बकरा। ५ घोड़ा। ६ हवा, पवन । ७ मार्ग सड़क। ८ नद । [प्र.] ८ बीच का भाग, मध्य भाग । ६ देखो 'वस्तु'।
९ बैल का कंधा। १० कंधा, स्कंध । ११ चार सौ द्रोण वस्तपांचम, वस्तपांचम-देखो 'वसंतपाचम'।
मर का एक नाप । १२ देखो 'वाह'। यस्तर, वस्तर-देखो 'वस्त्र' ।
वहकरणो (बो), बहकरणौ (बो)-देखो 'महकणो' (बी)। वस्तवंत-वि० [सं० वस्तु-वत् वस्तुओं से परिपूर्ण, वस्तु युक्त । वहचरा, वहचराय-देखो 'बहचराय'। वस्ति, स्ति-स्त्री० [सं० वस्तिः] १ निवास, ठहराव। २ नाभि | वहजावणी (बी), वहजावणी (बी)-देखो 'बजाणी' (बी)।
के नीचे का, पेट का भाग। ३ कोख। ४ मूत्राश। वहण-वि० १ वार करने वाला, मारने वाला । २ चलने वाला, ५ पिचकारी । ६ उदर शुद्धि हेतु एक यौगिक क्रिया ।।
गमन करने वाला। ३ धारण करने वाला ।-पु० [सं०वहन] ७ देखो 'बस्ती'।
१ वाहन, सवारी। २ रथ । ३ नाव, नौका। ४ नदी बस्तिकरम-पु० [सं० वस्तिकमं] १ पिचकारी देने की क्रिया । सरिता । समय ।६ वार,प्रहार ७ चाल,गति ।देखो'वहन'।
२'एनिमा' देने की क्रिया । ३ योग की एक क्रिया। वहणी-स्त्री० १ चलने की क्रिया या भाव । २ भाचारवस्तिमळ-पु० [सं० बस्ति-मल] पेशाब, मूत्र ।
व्यवहार, चाल-चलन । ३ बर्ताव । ४ तेज चलने वाली, बस्ती, वस्ती-१ देखो 'बस्ती' । २ देखो 'वस्ति' ।
शीघ्रगामी। ५ चाल, गति । ६ बहने की क्रिया या भाव । वस्तु,वस्तु-स्त्री० [सं०वस्तु] १ पदार्थ, चीज । निश्चित प्राकार- वहरणो, वहयो-वि० [सं० वह,] (स्त्री० बहणी) १ चलने गला; प्रकार वाला कोई तत्त्व । २ सारवान चीज, धन, दौलत ।
गतिशील । २ घूमने वाला, टहलने वाला। ३ तेज चाल ३ साधन-सामग्री, साज-सामान । ४ सार, तथ्य । ५ खाका; वाला। ४ बहने वाला। ढांचा । ६ श्रम से निर्मित कोई चीज। ७ विचार-विमर्श | वहणी (बी)-क्रि० [सं० वहन] १ चलकर कहीं जाना । योग्य विषय-वस्तु । ८ कथानक, कथावस्तु ।
२ गमन करना, चलना। ३ गतिशील होना। ४ पास से वस्तुनिरदेस-पु० [सं० वस्तु-निर्देश] नाटक में मंगलाचरण का | गुजरमा । ५ बहना, प्रवाहित होना । ६ भटकना । एक भेद ।
७ भ्रमण करना, घूमना । ८ माचरण करना । ९ चलना। वस्ती, वस्तौ-देखो 'बस्तो।
१० छूटना। ११ उत्तरदायित्व या जिम्मेदारी लेना। वस्य-पु० [सं० वश्य] १ अनुचर, नौकर, दास । २ देखो 'वस्या' । १२ कीति या विरुद धारण करना। १३ स्वाभिमान वस्यकरम-पु० [सं० बस्यकर्म] ७२ कलापों में से एक ।
रखना । १४ घुसना, धंसना । १५ कूए से पानी निकालने वस्या-स्त्री० [सं० वश्या भाज्ञाकारिणी स्त्री।
की क्रिया होना। [सं० वह) १६ प्रचलित होना, फैलना। वस्त्र, वस्त्र-पु० [सं० वस्त्र] १ कपड़ा। २ पोशाक, परिधान। १७ झरना, टपकना । १८ फसल की बुवाई होना । -गांठ, थि-स्त्री० वस्त्रों की पोट, गांठ, बंडल ।
१९ प्राघात या वार होना । २० वीरगति प्राप्त होना। वस्त्रकार-पु. [सं०] १ वस्त्र व्यवसायी, व्यापारी, बजाज।। २१ उछलना । २२ वध करना, मारना, समाप्त करना । २ वस्त्रागार का अधिकारी। ३ वस्त्र निर्माता ।
२३ लादकर लेजाना, ढोना । २४ धारण करना । वस्त्रगोपना-स्त्री. १ वस्त्रों की रक्षा । २ स्त्रियों को ६४ | वहत-पु० [सं० वहतः १ यात्री। २ बैल । कलामों में से एक।
वहतिक-१ देखो 'वहित्रिक' । २ देखो 'बोहित'। बस्त्रपरिधायक-वि० वस्त्र पहनाने वाला, शुगार कराने वाला। वहतीवाण-पु. १ सोमा में होकर पलने का महसूल । २ देखो बस्त्रागार-पु० [सं०] १ वस्त्र रखने का कक्ष, वस्त्र धारण | 'वैतियांण'। करने का कक्ष । २ वस्त्र-भण्डार ।
वहतर, वहत्तरि-देखो 'बमोतर'।
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