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वरवरण
। ५६८ )
वरसाळी
वरवरण, वरवरण-पु० [सं० वर-वर्ण] १ स्वर्ण, सोना । | वरससत-पु० [सं० शत-वर्ष] सौ वर्ष । २ अच्छा व सुन्दर वर्ण ।
वरसा,वरसा-स्त्री० [सं० वर्षा] १ आकाश से मेघों से पानी की वरवरणी, वरवरणी-स्त्री० [सं० वरवरिणनी] १ लक्ष्मी ।। वर्षा, वृष्टि बारिस। २ बरसात का मौसम, वर्षा ऋतु ।
२ दुर्गा। ३ सरस्वती। ४ सुन्दर स्त्री। ५ उत्तम स्त्री।। ३ बरसने की क्रिया या भाव । ४ किसी वस्तु की वृष्टि, ६ लाख । ७ हल्दी। ८ प्रियंगुलता।
बौछार । ५ अधिक मात्रा में प्राय होने या देने की क्रिया वरवरणो (बौ)-देखो 'बड़बड़णी' (बी)। .
या भाव । ६ प्रहारों की झड़ी।-काळ-पु० वर्षा ऋतु । वरवासण (णी)-स्त्री० [सं० वरवासिनी] कछवाहों की -रित, रितु-स्त्री० वर्षा ऋतु, मौसम । कुल देवी।
वरसाउ (ऊ), वरसाऊ-वि० १ बरसने योग्य, बरसने वाला। वरवीर-पु. [सं० वर-वीर] १ श्रेष्ठ वीर । २ श्रेष्ठ विद्वान, | २ प्राभा, कांति वाला।
पंडित । ३ बुद्धिमान, विवेकी । ४ एक छन्द विशेष । बरसाकरण (न)-पु० इन्द्र । वरवेरण-पु० [सं० वडवा-रमण] घोड़ा।
वरसागम-पु० [सं० वर्षा भागम] वर्षा का पागमन, वर्षारंभ । वरसंत (ति)-पु० [सं० वर्ष+मंत] किसी वर्ष का अंत, साल
वरसारणो(बी),वरसाणो(चौ)-क्रि० १ पानी बरसाना,वर्षा करना की समाप्ति ।
२ प्रांसुषों को झड़ी लगाना। ३ फूल प्रादि वस्तुओं को वरस-पु० [सं० वर्ष] १ बारह मास की अवधि । २ संवत्सर,
उछाल कर वर्षा करना। ४ मधुर शब्द कहना, बोलना । साल, वर्ष। ३ भारतवर्ष । ४ सप्तद्वीपों का एक विभाग।
५ खूब प्राय कराना । ६ अत्यधिक देना । ७ क्रोध दिलाकर ५ बादल । ६ पाणिनी का गुरु । ७ वसुदेव व उपदेवी का
भला-बुरा कहाना। प्रहारों की झड़ी लगाना। ९तुष्ट
मान करना । १० दान दिलाना । एक पुत्र । ८ सहस्रार्जुन का एक पुत्र । वरसकटी-स्त्री० [सं० वर्ष + कट्य] १ भूमि पर ऋण देने पर,
.. बरसात. वरसात-देखो 'वरसा' । अमि के उपयोग संबंधी एक करार । २ ऋण के ब्याज पर
वरसाति, वरसाती, वरसाद-वि० १ वर्षा का, वर्षा सबंधी। भी ब्याज जोड़ने की एक विधि ।
२ वर्षा की सूचना या पाभास देने वाला । ३ वर्षा ऋतु में
होने वाला। वरसट, वरसठ-पु० [सं० वरिष्ठ] ताम्र, तांबा।
बरसाति, वरसातो-स्त्री० १ वर्षा ऋतु में पहनने का 'प्रोवर बरसण, वरसरण-पु० [सं० वष्णं बादल, मेघ ।-वि० १ बरसने
कोट' । २ घोड़ों का एक रोग । ३ देखो 'वरसा'। ___ वाला । २ दानी, दातार ।
वरसाभू-पु० [सं० वर्षाभू] १ मेंढक । २ इन्द्र गोप या वीर वरसणी, वरसणी-स्त्री० [सं० वर्षरिण] १ वृष्टि । २ व्यवहार,
___बहूटी नामक कीट । ३ लाल पुनर्नवा । बर्ताव । ३ यज्ञोय कर्म, यज्ञ। ४ क्रिया। ५ एक महाविद्या।
वरसायत-देखो 'वरसा'। बरसरणौ (बौ), वरसणौ (बी)-क्रि० [सं०वर्षणं]१ बदलों से पानी
वरसाळ (ल)-स्त्री. १ वर्षा, वष्टि, बारिस । २ वर्षा ऋतु । बरसना, वर्षा होना । २ प्रासुमों की झड़ी लगना । ३ फूल
वरसाळइ (उ)-देखो 'वरसाळो' । पादि कोई वस्तु ऐसे उछाला जाना कि वर्षा की तरह
वरसाळा (ला), वरसाळा-देखो 'वरसाळ' । गिरे। ४ लगातार मधुर वाणी बोलना। ५ अत्यधिक देना ।
वरसाळी (लो), वरसाली-वि०१ वर्षा का, वर्षा संबंधी । २ वर्षा ६ अनायास ही खूब आमदनी होना। ७ क्रोध या प्रावेश
ऋतु में होने वाला ।-स्त्री० १ वर्षा ऋतु की खरीफ की में फटकारना, भला-बुरा कहना। - लगातार शस्त्र प्रहार
फसल । २ इस फसल के मुप्रावजे का हिस्सा या अंश । होना । ६ चेहरे पर कांति झलकना । १० किसो पर तुष्ट
३ देखो 'वरसाळो'। मान होना।
वरसाळु (ळू), वरसालु-वि० १ बरसने की स्थिति में, बरसने वरसधर-पु० [सं० वर्ष-धर बादल, मेघ ।
योग्य । २ बरसने वाला। ३ वर्षा ऋतु संबंधी। ४ वर्षा बरसप, वरसपत (पति, पती)-पु० [सं० वर्षप, वर्षपति] किसी
ऋतु में चलने या होने वाला ।-स्त्री. १ वर्षा, बारिस । वर्ष या संवत्सर का अधिपति ग्रह ।
२ वर्षा ऋतु । ३ खरीफ की फसल । ४ इस मौसम होने वरसफळ, वरसफळ-पु० [सं० वर्ष-फल] १ वर्ष भर के शुभाशुभ वाला विषम ज्वर ।
कार्य या घटनाएं। २ इन बातों को प्रगट करने वाली वरसाळे (0) वरसाले-क्रि० वि० वर्षा ऋतु में। कुडलो।
वरसाळी (लो) वरसालो-पु० १ वर्षा या पावस ऋतु । २ इस बरसवियांणि, वरसवियावरिण वरसवियांरिण बरसव्यावणी, ऋतु की अवधि, चातुर्मास । ३ इस ऋतु का एक लोक गीत
वरसव्यावणी-वि० जिसके प्रति वर्ष प्रसव होता हो। । विशेष । देखो 'वरसाळु।।
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