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लोकलीक
( ५४४ )
लोटारगी
लोकलीक-स्त्री० लोक मर्यादा ।
लोड़वडाई-स्त्री० छोटे-बड़े का मन्तर । लोकवी-वि• लुप्त ।
लोड़ाऊ-वि० लुटाने वाला, उड़ाने वाला, खर्चने वाला। लोकव्यवहार-पु० १ लोगों का परस्पर शिष्ट व्यवहार, लौकिक लोड़ियो, लोड़ो-देखो 'लघु' । रीति । २ स्त्रियों की ६४ कलाओं में से एक ।
लोच-स्त्री० [सं०] १ लचक या लचीनेपन का गुण, अवस्था । लोकस-पु. एक प्रकार का वृक्ष ।
२ नरमी, कोमलता। ३ अभिलाषा, इच्छा । ४ सार; लोकांतर-पु० [सं०] मरणोपरांत मिलने वाला परलोक ।
तत्त्व । ५ गूदे हुए घाटे का एक गुण । ६ चाहे जैसे ऐंठने लोका-देखो 'लांकी'।
मरोड़ने पर न टूटने का गुण । ७ प्रांसू । लोकाई-स्त्री० प्रजा, जन-समूह ।
लोचक-पु० [सं०] १ मूर्ख व्यक्ति । २ प्रांख की पुतली लोकाचार (6)-पु० [सं०] १ समाज के प्राचार-व्यवहार ।
३ काजल, अंजन। २ मेल-जोल व शिष्ट व्यवहार । ३ मृतक के दाह संस्कार
| लोचण-देखो 'लोचन'। प्रादि की क्रिया । ४ पुरुषों की ७२ कलानों में से एक।
लोचरिणयो-पु०१ नाश्ता । २ लोचन । लोकाचारियो-वि० १ समाज के लोकिक व्यवहार का पालन
लोणी (बौ)-क्रि० १ सोचना, विचारना, कल्पना करना । करने वाला । २ दाह संस्कार में सम्मिलित होने वाला।
२ पक्षपात करना । ३ कोशिश करना, प्रयत्न करना । लोकाट-पु. एक प्रकार का पौधा ।
४ लचकाना, लचक पैदा करना । लोकाधिप, लोकाधिपति (ती)-पु. [स०] १ ईश्वर, परमात्मा। २ ईश्वर, प्रभु।
लोचन (न्न)-स्त्री० [सं०] १ प्रांख, नेत्र । २ दृष्टि, देखना लोकाध्यक्ष-पु० [सं०] १ ईश्वर । २ ऐसे किसी पद का
क्रिया । ३ खिड़की। अधिकारी।
लोचपलोच-पु० १ प्रावेष्टन करने या घेरने की क्रिया । २ पोतलोकाय, लोकायक-पु. १ संसार, जगत । २ प्रजा, जगत |
। प्रोब होने की अवस्था । के लोग।
लोचालाची-पु. १ अधिक खाने का प्रयास । २ शीघ्र पूरा लोकायत-पु० [सं०] १ समाज । २ भारतीय दर्शन में एक करने का यत्न ।
प्राचीन भूतवादी नास्तिक सम्प्रदाय । ३ चार्वाक दर्शन। लोचून-पु० [सं० लोह-चूर्ण] लोहे का चूर्ण, बुरादा। ४ दुर्मिल छद का एक नाम ।
लोट-स्त्री० १ लोटना क्रिया । २ कागजी मुद्रा।३ लट । लोकालाज-स्त्री. १ परिवार-समाज प्रादि के प्रति होने वाली
| ४ लुटना क्रिया । ५ वापसी । ___शर्म, शंका । २ लोक निदा का भय ।
लोटड़ी-स्त्री० मिट्टी का जलपात्र विशेष । लोकालोक-पु.१ संसार, जगत । २ एक प्राचीन पर्वत । लोटण-वि० लोटने वाला, लोट-पोट होने वाला ।-पु. १ लकी लोकीक-देखो 'लौकिक' ।
कबूतर । २ लोटना क्रिया। ३ वापसी। लोकेस, लोकेसवर, लोकेस्वर-पु० [सं० लोक-ईश, लोक-ईश्वर]
लोटणकरवो, लोटणकरियो-पू० एक लोक गीत विशेष । १ ब्रह्मा । २ राजा, नृप । ३ इन्द्र ।
लोटणी (बी)-क्रि० [स० लुट] १ सोते हुए इधर-उधर लोकसणा-स्त्री० [सं० लोक-एषणा] १ संसार में यश एवं
लुढकना । लुटना । २ शयन करना, सोना। ३ विधाम प्रतिष्ठा की कामना । २ स्वर्ग के सुख की कामना ।
करना । ४ खुशामद करना । ५ वापस पाना । लोकोकत,लोकोकती,लोकोक्ति, लोकोक्ती-स्त्री० [सं०लोक-उक्ति] |
लोटपोट-वि० प्रस्त-व्यस्त, विपर्यस्त ।-स्त्री० १ लुढ़कने की १ कहावत, जनश्रुति । २ एक अलकार विशेष ।
क्रिया, अवस्था या भाव । २ कुलाच खाने की क्रिया । लोकोत्तर-वि० [सं०] अलौकिक, विलक्षण ।
३ मस्त, उन्मत्त । ४ धुत, बेहोश, मूच्छित । ५ नष्ट । लोको-देखो 'लोक'।
ध्वस्त। लोग, लोगडो-पु. (स्त्री० लुगाई) १ प्रादमी। २ अपरिचित पुरुष । ३ पराया व्यक्ति । ४ समाज । ५ देखो 'लोक'।
लोटमाळी-स्त्री० कच्ची दीवार पर लगाया हुमा घास-फूस लोगाइ (ई)-देखो 'लुगाई'।
प्रादि का छप्पर । छाजन । लोड-स्त्री० १ बलात्कार । २ लूट । ३ लघूता। ४ इच्छा। लोटाणी (बो), लोटावरणौ (बो)-क्रि० १ सोते हुए या पड़े लोड़ो (बी)-क्रि० १ लूटना, खोसना । २ हड़पना, छीनना,
हुए लुढ़काना, घुड़काना, लुटाना । २ वापस भेजना, झपटना । ३ प्राप्त करना, लेना, पाना। ४ स्पर्श करना,
वापस देना । ३ सयन कराना । ४ विधाम कराना छना । ५ मस्ती में झूमना । ६ उमंगित होना । ७ जोड़ना।।
५ धराशायी करना, गिराना । ६ खुशामद कराना।
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