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लपेटमा
( ५२० )
लष.
३ रस्सी, डोरी प्रादि से चारों ओर बंधन लागना । लबद-वि० मुलायम, कोमल, नर्म । ४ घेरना, प्रावृत्त करना। ५ बनाव शृगार करना। लबधणी (ौ)-क्रि० [सं० लब्ध प्राप्त करना, पाना, उपलब्ध ६ काबू या वश में करना। ७ उलझन में फंसाना।।
होना ।
योगा। ८ किसी लड़ाई में सम्मिलित करना। बहाव या झपट | लबगै-देखो 'लपर'। में माना। १० प्राच्छादित करना, ढकना । ११ लेप करना
लबलबो-स्त्री. १ बंदूक, पिस्तौल प्रादि का खटका । २ तरलता। पोतना।
लबलबी-वि० (स्त्री० लबलबी) तर, पाद्र, नम । लचीला । लपेटणी (बी)-वि०१ लिपटा कर रखा या बनाया गया, | लबांग्णा-प० मसलमान भाटों का एक जाति ।
सिमटवां । २ किसी की लपेट में पाया हपा । ३ लपेटने लबाडी, लबाड-देखो 'लबाळो' । योग्य । ४ चक्करदार, गूढ ।
लबादी-पु० [फा० लबादः] रूईदार चोगा । लपेटियो-देखो 'लपेटो'।
लबायची-पु० [फा० लबाच:] पहनने का वस्त्र विशेष । लपेटो-पु०१ दाम्पत्य बंधन । २ विवाह, विवाह में होने वाली लबार, लबारी, लबाळ, लबाल-वि. वाचाल, बातूनी ।
भांवर, फेरा । ३ शिर पर बांधने का वस्त्र, साफा, पगड़ी। बकवादी । ४ टोप के नीचे बांधने का वस्त्र । ५ षड़यंत्र, जाल । लबालब-वि. ऊपरी किनारे तक मरा हुप्रा, छलकने की ६ चक्कर, दाव ।-वि० लपेटा हुमा, बांधा हुमा ।
स्थिति में। लपवार-पु० तार गोटे की पट्टो लगा वस्त्र ।
लबाळी-वि० बातूनी, बकवादी, वाचाल लपोड, लपोडो, लगेडो, लपोळ-वि० मूर्ख, नासमझ ।
लबूकरणौ (बी)-क्रि० १ हरा-भरा होना, लहलहाना । २ फललपो-देखो 'लप्पो'।
फूलादि पाकर डालों पर झूलना। ३ लटकना । लपौलप-क्रि० वि० १ शीघ्रता से, जल्दी से तुरंत । २ फटाफट ।
लबूरणी (बौ)-क्रि० । नाखूनों से नोचना, खरोचना । ३ हाथोहाथ ।
२ छोनना, झपटना। लप्पड-स्त्री० थप्पड़, तमाचा, झापट ।
लबोळ (ल)-देखो 'लबाळो' । लप्पी-स्त्री०१ महीनतम रजकरण, मिट्टी। २ तार गोटे को पट्टी।
लब्ज-देखो 'लफ्ज'। लप्पो-पु० तार गोटे की पट्टी, मोटी किनारी। लफगो-वि० [फा० लफंग] (स्त्री० लफगी) १ चरित्रहीन,
लब्ध -वि० १ मिला हुषा, प्राप्त । २ कमाया हुआ, उपलब्ध ।
३ भाग फल । ४ स्मृति के अनुसार एक प्रकार का दास । दुश्चरित्र । २ लपट, व्यभिचारी। ३ लुच्चा, बदमाश, उद्दण्ड । ४ चोर, लुटेरा।
लब्धक-वि० प्राप्त करने वाला, पाने वाला, उपार्जन करने वाला।
लब्धवरण-पु० [सं० लब्धवर्ण] पंडित, ज्ञानी, कवि । लफ-देखो 'लप' ।
लब्धि-स्त्री. १ प्राप्ति उपलब्धि । २ लाभ, फायदा । ३ तप लफडी-पु० १ बंधन, झंझट । २ अनावश्यक कार्य, प्रपंच ।।
सयम प्रादि से प्राप्त प्रात्मिक शक्ति ।-बंत, वत-वि० ३ काम-धंधा । ४ भूत, प्रेत, शैतान । ५ प्राफत ।
प्राप्तकर्ता, जिसे प्राप्ति हुई हो। लफज-देखो 'लफ्ज'।
लन्भरणौ (बी), लमरणो (बी)-देखो 'लाभणो' (बो)। लफरो-देखो 'लफड़ो'। लफलफणी (बो)-देखो 'लपलपणो' (बी)।
लभस-स्त्री०१ घोड़े बांधने की रस्सी । २ धन, दौलत । लफ्ज-पु० प्र०] १ शब्न, बोल । २ बात । ३ वचन ।
वि० याचक । लबकणी (बी)-क्रि०१ भक्षण करना, खाना । २ हल्का दर्द या लो-पु.१ लाभ. फायदा। २ मिला हमा प्राप्त । चीस उठना । ३ झपट कर खाना ।
लम्भणौ बौ)-देखो 'लाभगो' (बी): लबको-पु०१ मोटा ग्रास, लौंदा। २ प्रानन्द, रस ।
लमछड़-पु० १ भाला, बरछा । २ सांग। ३ छड़ी के समान लबडकारणी (बो), लबड़कावरणौ (बौ)-क्रि० १ परेशान करना, लबा । ४ देखो लांमछड़' ।
तग करना । २ परिश्रम कराना। ३ फटकारना, दुतकारना। लमझम-देखो रिमझिम'। लवडणौ (बो)-कि० फटकारना, डांटना ।
लमटंगौ-वि० लबी व पतली टांगों वाला। लबडाक-वि. वाचाल, बकवादी।
लमतग-वि० छड़ी की तरह लम्बा । लबथब-देखो 'लबालब'।
लमेक-क्रि०वि० एक क्षण या क्षण भर के लिये। लबथबरणी (बो)-क्रि० १ पूर्ण भरा जाना, लबालब होना । लय-पु० [सं०] १ विनाश, समाप्ति । २ विलय, मिल जाना २ डगमगाना, लड़खड़ाना ।
क्रिया, विलीनीकरण । ३ एकाग्रता । ४ कार्य की कारण
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