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लक्ष्मी
लछमीधर देखो 'लक्ष्मीधर' ।
समीप (पति, पती) देखो 'लक्ष्मीपति' । लक्ष्मीवर देखो 'बयोवर'
।
लक्ष्मीवाल पु० [सं०] लक्ष्मी बासुप] धनवान, धमीर खबर-देखो 'समीर'।
ललियो लखि- देखो 'लक्ष्मी', 'ल'।
लछिपती- देखो लक्ष्मीपति' ।
समिरतार देखो 'लक्ष्मीचरतार'।
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लक्ष्मी १० हृषिकेश व बद्रीनारायण के बीच का एक शाप नजानुपली पु० लज्जा की घोट में रहने की क्रिप तीर्थ स्थान ।
या भाव ।
लछमी- देखो 'लक्ष्मी'।
लछमीकंत ( कांत ) - देखो 'लक्ष्मीकांत' ।
( ५१६ )
लछिमन - देखो 'लक्ष्मण' ।
लखी- देखो 'लक्ष्मी' । देखो 'लच्छी' ।
महीधर पु० १ एक वणिक छंद विशेष २ देखो 'समीर'।
लहीनाथ- देखो 'क्ष्मीनाथ ।
सद्दीवर देखो 'लक्ष्मीवर'
लज - देखो 'लज्जा' ।
लजकांणी, लजखांगो-देखो 'लचकांरणी' | लजगी - स्त्री० एक पौधा विशेष ।
सजली (बी) देखो 'लाजलो' (बो) ।
सखीभरतार देखो 'लक्ष्मीमरतार' |
लछीवर - देखो 'लक्ष्मीवर' ।
सांग -देखो लक्ष्मीन
लछीम-देखो 'लक्ष्मीस' ।
लछो- पु० १ रेशम की डोरियों का रंगीन रस्सा । २ पके हुए खाद्य पदार्थ के रेशे । ३ चांदी के तारों का पांव का प्राभूधरण विशेष ४ हाथ को चूटियों का समूह ५ हाथी के गर्दन पर बांधने की रंगीन डोरी ।
लजदार - वि० लाज शर्म वाला, शर्मीला 1 लजरख - वि० [सं० लज रख ] इज्जत या लज्जा रखने वाला ।
- पु० वस्त्र |
लजाथंभ - वि० लाज या इज्जत का रक्षक ।
लजापुर- वि० समना ।
बराह पु० [सं०] लज्जा का मार्ग ।
वाळी वि० [स्त्री० मवाळी) जाशील, समला। लजाणी- वि० लज्जित करने वाला, इज्जत गंवाने वाला । लगाणी (बी) - क्रि० १ लज्जित करना, शर्मिंदा करना । २ संकोच करना ।
जावि० [सं० सा] मज्जाशील समला।
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लजावत लजावंती- देखो 'लज्जावत' । लजावल, लजावणी-देखो 'बो' | लजावणौ (बी) - देखो 'लजागो' (बी) । लजीज - वि० स्वादिष्ट, उत्तम । लजीली - वि० [स्त्री० जीसी) लावाला लज्ज - देखो 'लाज' ।
लटकन
मा शर्मीला ।
(बी) देखो 'लावणी' (बो)।
लज्जत स्त्री० १ खाद्य पदार्थ का जायका, स्वाद । २ प्रानन्द । -बार वि० जायकेदार । प्रानन्ददायक ।
लज्जा स्त्री० ० १ शर्म, लाज, संकोच । २ मान-मर्यादा ।
३ प्रतिष्ठा, इज्जत । ४ एक मात्रिक छंद विशेष ( गाथा ) । लज्जाखौ (बी) - देखो 'लजाणी' (बी)
लज्जाप्रद - वि० लज्जाजनक ।
लजालु (पू) देखो 'बजाळू'।
लावंत, लगायत वि० (स्त्री० लज्जावती) शर्मीला
लज्जाशील ।
लज्जावणी (बौ) - देखों 'लजारणी' (बौ) ।
लज्जावती, लज्जावान
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सज्जाशील शर्मीला ।
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लज्जू - वि० लाज शर्म व इज्जतवाला ।
लज्ज्या, लज्या - देखो 'लाज' ।
लझिका स्त्री० १ वेश्या, गणिका । २ विपरीत लक्षणा व निर्लज्ज स्त्री ।
लट-स्त्री० [सं०] अवा] १ बालों की झलक, जुल्फ २ शिर के बालों का गुच्छा । ३ छोटा पर कुछ लंबा, रेंगने वाला कीड़ा । ४ कृशकाय, दुर्बल ५ देखो 'लठ' ६ देखो 'लट्टी' । लटक ( उ ) - १ देखो 'लटकरण' । २ देखो 'लटको' । लटकजुहारी शुककर किया जाने वाला अभिवादन। लटकरण - स्त्री० १ लटकने की क्रिया या भाव। २ लटकती हुई वस्तु । ३ वीरघट के बीच लटकने वाला उपकरण । ४ नरक का श्राभूषण । ५ माकर्षक चाल या गति । ६ आकर्षक भाव-भंगिमा । ७ कान का प्राभूषण । ८ सिन्दूर पुष्पी नामक ग्रुप ।
लटकण (ब) - क्रि० [सं० लडन् ] १ किसी वस्तु या प्राणी का, ऊपर कहीं घटक कर, झूलती हुई दशा में होना, झूल कर रह जाना, लटकना । २ झुकना । ३ बात या कार्य में कोई बाधा पड़ने पर अपूर्ण रहना । ४ वचित होना । ५ अनिश्चित स्थिति में होना
लटकवार वि० १ जो भूलता हुआ हो, लटकने वाला। २ जिसमें कुछ प्राकर्षरण या रोचकता हो ।
लटकन - देखो 'लटकरण' ।