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रोद
( ५०४ )
रोरव
रोद-देखो रौद्र'।-कार='रौद्रकार'।
रोबीलो-वि० (स्त्री० रोबीलो) १ जिसका रोब हो । २ जिसको रोवन-पु० [सं० रोदनम्] १ रोने की क्रिया या भाव, रुदन, धाक हो । ३ जिसका चेहरा रोबदार हो। क्रन्दन, विलाप । २ मांसू ।
रोबो, रोमो-पु० प्रापत्ति, कष्ट, तकलीफ संकट । रोल्पत (पति)-१ देखो 'रोद्रपत' । २ देखो 'रुद्रपत' । रोमच-देखो रोमांच'। रोदराव-देखो 'रौद्रराव'।
रोमंचरणो (बी)-कि० रोमांचित होना, कंपकंपी होना, रोम रोदसी-वि० [सं०] स्वर्ग और पृथ्वी का ।
खड़े होना। रोदाळ, रोद्र-देखो 'रोद्र'।
रोम-पु० [सं० रोमन्] १ शरीर के महीन छोटे बाल, रोम, रोदरणी, रोद्राणी, रोवायरिण, रोद्रायणी, रोद्रायरिण, रोद्रायणी- लोम । २ छेद, छिद्र । ३ रोम के छिद्र । ४ जल, पानी ।
स्त्री० १ यवन या मुसलमानों की सेना । २ मुसलमान या ५ रूम देश । ६ रूम देश का घोड़ा। ७ घोड़ा, प्रश्व । यवन स्त्री। ३ असुर सेना। ४ देखो 'गद्राणी'।
८ हरड़, हरे, हरीतकी। एक द्वीप का नाम । रोध-स्त्री० [स०] १ रोक, रुकावट, अवरोध । २ बाधा, | रोमकद, रोमकदी-पु. एक राजस्थानी छंद विशेष । विघ्न, अड़चन । ३ प्रावेश, जोश । ४ क्रोध, गुस्सा। रोमक-पु० १ सांभर झील का नमक, नमक । २ 'रोम' का ५ किनारा, तट । ६ बांध सेतु ।
निवासी । ३ ज्योतिष का एक सिद्धान्त । रोधक-वि० रुकावट पैदा करने वाला, रोकने वाला, बाधक ।
रोमकूप-पु० रोम या लोम के छिद्र ।
रोमकेसर, रोमगुच्छ.-पु० चवर, चामर । रोधरणी (बो)-क्रि० १ रुकावट पैदा करना, रोकना । २ कंद
रोमचरमा-पु० ऊट की चमड़ी का बर्तन । करना, बदी बनाना।
रोमछर-पु. १ मूर्ति, प्रतिमा । २ शरीर की कांति, शोभा। रोधारण-पु. नाम, सहार ।
रोमणकाच-पु. एक प्रकार का प्राइना । रोप--पु० [सं०] १ बांरण, तीर । २ छेद, विवर । ३ प्याज,
रोमत-पु. लालायित होने की क्रिया या भाव । मिरच प्रादि के पौधों की रुपाई, फसल उगाने का एक |
रोमपट-पु० [सं०] ऊन का वस्त्र, ऊनी वस्त्र । ढंग । ४ इस तरह उगाये जाने वाले पौधे ।
रोमबद्ध-वि० १ ऊन का बुना या बना । २ ऊन के योग से बना। रोपणो (बी)-क्रि० १ स्थिर करना, जमाना। २ ठानना, | -पु० ऊन का वस्त्र । ऊनी वस्त्र ।
निश्चित करना। ३ किसी में कुछ फंसा कर स्थिर करना। रोमभूमि-स्त्री० चम, चमड़ी। ४ जमीन में गाडना, फंसाकर खड़ा करना। ५ टिकाना,
रोमराइ, रोमराजी, रोमलता-स्त्री० रोगों की पंक्ति, रोमावली। रोकना, ठहराना। ६ डटाना, अटल करना । ७ बीज
रोमांच-पु० [सं०] हर्ष, भय प्रादि के कारण शरीर के रोम
मन-lial भ निने बौना । ८ पौधों को पुन: उगाना । ९ सम्बन्ध करना ।
___ खड़े होने की अवस्था। १० धारण करना, पहनना ।
रोमांचित-वि० [सं०] भयभीत, हर्षित, जिसके रोम खड़े हों। रोपारणो (बो), रोपावणो (बी)-क्रि० १ स्थिर कराना,
रोमांत-पु० [सं०] हथेली की पीठ के बाल । जभवाना । २ ठनवाना, निश्चित कराना । ३ किमी में कुछ | रोमांतिक-स्त्री० बालकों का एक चर्मरोग। फसवाना. स्थिर कराना। ४ जमीन में गडवाना । फसा रोमाळी. रोमावळ, रोमावळि, रोमावळी-स्त्री० [सं० रोमन + कर खड़ा कराना । ५ टिकवाना, रुकवाना, ठहरवाना।
प्राली] १ रोगों की पंक्ति, कतार । २ नाभि पर होने ६ डटवाना, अटल कराना । ७ बीज बोबाना । ८ पौधों
__ वाली रोंघों की पंक्ति । ३ शरीर के बाल ।-वि० सुन्दर, को रुपाई कराना, उगवाना । ९ संबंध कराना ।
रूपवती। १० धारण कराना पहनाना ।
रोमि-देखो 'रोम'। रोब-पु० [फा०] १ अातंक, दाब । २ प्रताप, तेज । ३ धाक,
रोयण, रोयरिण (पी)-देखो 'रोहिणी'। डर । ४ प्रभाव ।
रोयणौ (बी)-देखो 'रोवणी' (बी)। रोबकार-पु० वह प्रादेश या पत्र जो शासक अपने अधीनस्थों रोर-पु० १ दुःख, कष्ट । २ कंगाली, निर्धनता । ३ काला रंग, के नाम प्रसारित करता है।
श्याम वर्ण । [सं० रवण] ४ तरल हलुवा । ४ कोलाहाल, रोबरणो (बौ)-देखो 'रोवरणो' (बी)।
शोरगुल । ६ कौतुहल । ७ देखो रोड़। रोबदार-वि० [फा०] १ मातंकित करने वाला । २ प्रतापी रोरप्रचार-पु० दुःख, कष्ट ।
तेजस्वी। ३ डराने वाला । ४ प्रभाव रखने वाला। | रोरव-पु० १ कंगाली, निर्धनता, गरीबी । २ देखो 'रौरव'।
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