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मंडळोखो
( ३१२ )
मदरसा
२१ पांच शामियानों का खेमा । २२ ऋग्वेद का एक १४ चलाने के लिये स्थापित कराना, रखवाना । १५ सहारे खण्ड या भाग । २३ संसार । २४ तीर्थ स्थान । २५ एक लगवाना, खड़ा कराना, स्थिर कराना । १६ हाथ या
जाति विशेष का सर्प । २६ मुड़ी हुई तलवार, खांडा । दामन फैलवाना । पसराना । १७ तनवाना । १८ घोड़े या मंडळओखी-पु० द्वारिका के समीपवर्ती एक क्षेत्र ।
ऊंट पर चारजामा कसवाना । १६ सजन करवाना । मंडळक-देखो 'मंडळीक'।
२० रचवाना, रचना कराना। २१ मनवाना । २२ सुसज्जित मंडळकरणिक-पु. राज्य के एक सूबे का अधिकारी ।
करवाना, सजवाना । २३ माच्छादित करवाना, ढकवाना । मडळाग, मरळाप्र-स्त्री० [सं० मण्डलान] तलवार ।
२४ तैयार या प्रस्तुत कराना । २५ छितरवाना, बिखरवाना मंडळाधीस-देखो' मंडळेस्वर'।
२६ प्रबंध या व्यवस्था कराना। २७ व्यक्त करवाना। मंडळि-देखो 'मंडळी'।
२८ सबंध जुडवाना, मेल कराना । २९ संधान करवाना। मडळिक-देखो 'मंडळीक।
३० प्राभूषणों में रत्नादि जड़वाना। ३१ ढोल मादि पर मंडळी-स्त्री० [सं० मण्डली] १ मानव दल, मानव समूह । चमड़ा लगवाना । ३२ तश्वीर प्रादि को शीशे या चौखट में
२ गोलाकार वृत्त, वर्तुल । ३ समान विचारों वाले व्यक्तियों | बिठवाना, फिट कराना। ३३ प्रावेष्टित कराना, मडित का दल, वर्ग । ४ सर्पो का एक वर्ग विशेष । ५ वट वृक्ष । कराना । ३४ शुगार कराना,सजवाना। ३५ कुछ करवाना। ६ गेहूँ व चने के कटे पौधों का ढेर। ७ नाच-गान व नाटक | मंगवी-देखो 'मांडवी'। करने वाले लोगों का समूह ।
मंडित-वि० [सं०] १ शोभित, विभूषित, सजाया हुमा। मंडळीक, मउलीक-पु० [सं०मांडलिक्] १ प्रदेश, प्रांत या जिले २ छाया हुमा, पाच्छादित । ३ जड़ित, जड़ा हुआ।
का प्रशासक । २ राजा, नृप । ३ बारह राज्यों का अधिपति। मंडी-स्त्री० १ दशनामी साधुओं के रहने का स्थान, मठ । मंडळेसर, मडलेस्वर-पु० [सं० मंडल-ईश्वर] १ एक मंडल या | २ किसी वस्तु विशेष या वस्तुओं का व्यापारिक केन्द्र ।
प्रदेश का शासक, अधिपति । २ बारह राज्यों का अधिपति । मंडुक, मडूक-पु० [सं० मंडुक] (स्त्री० मंडुकी) १ चार पैरों ३ खाखी साधुनों का कोई मठाधीश, महन्त । ४ महादेव, __ वाला छोटा जलचर प्राणी, मेंढ़क, दादुर । २ एक ऋषि शिव ।
विशेष । ३ दोहे छंद का एक भेद । ४ रुद्रताल के बारह मडव - देखो 'मंडप'।
भेदों में से एक । ५ एक प्रकार का वाद्य । ६ एक प्रकार का मडवी-देखो 'मांडवी'।
नत्य । ७ घोड़ों की एक जाति विशेष । मडवो-पु. १ एक प्रकार का कदन्न । २ देखो 'मंडप' । ३ देखो | मंडूकपरणी-स्त्री० [सं० मंडूकपर्णी] १ ब्राह्मी बूटी । 'मांडो'।
२ मजिष्टा, मंजीठ। मंडारण-पु० [सं० मंडनम्] १ मंडित करने की क्रिया या भाव। मंडूकासण (न)-पु० [सं० मण्डकासन] योग के चौरासी आसनों
२ विशेष कार्य की तैयारी। ३ रचना, बनावट। ४ प्राडंबर।। में से एक । ५ सजावट, सजधज । ६ तैयारी हलचल, चहल-पहल । महको-स्त्री० [सं०] १ मादा मेंढ़क, मेंढ़की। २ स्वेच्छाचारिणी
७ निशान, चिह्न। ८ लक्षण, प्रासार । ९ भूमिका। | छिनाल स्त्री। मंडाई-स्त्री०१ मंडने की क्रिया या भाव । २ मंडने का व्यवसाय। मंडूर-स्त्री० [सं०] लोहे के जंग से बनी भस्म, औषधि ।
३ इस कार्य का पारिश्रमिक । ४ लिखने का कार्य । | मंडेरी-स्त्री० [सं० मंडप] १ विशाल भवनों के तोरण द्वार पर ५ लिखने का ढंग।
बना बड़ा छज्जा । २ भवन के ऊपर,चारों ओर बनी छोटी मंडणी (बी), मंडारणी (बी), मंडावणी (बो)-क्रि० १ होने दीवार ।
की स्थिति में लाना । २ ठनवाना, पक्का करवाना, निश्चित | मंडेलौ-पु० बड़े-छोटे के क्रम से एक दूसरे पर रखे बर्तनों का ढेर । करवाना । ३ कटिबद्ध, तत्पर या उद्यत होने के लिये प्रेरित
मंडोर, मंडोउर, मंडोवर-पु० [सं० मंडपपुर] जोधपुर या करना । ४ स्थिर कराना, रुपवाना, जमवाना। ५ पटल,
___ मारवाड़ की प्राचीन राजधानी। अडिग या दृढ़ करने के लिये प्रेरित करना। ६ जुड़वाना, | लगवाना। ७ स्थापित करवाना, कायम करवाना। भारंभ |
| मंडोवरौ-पु. १ मंडोर का निवासी। २ मंडोर के शासक या शुरू करवाना । ६ कार्य या व्यापार के लिये खुलवाना,
राठौड़ों की एक उपाधि । -वि० मंडोर का, मंडोर संबंधी । लगवाना, चालू करवाना । १० चित्रित या चित्रांकित | मंढ़-पु० [सं० मंडम] १ दशनामी साधुनों का मठ । २ चौकी कराना। ११ लिखवाना, दर्ज कराना। १२ मंकित करवाना | या चबूतरे पर बना छोटा देव मंदिर । ३ देवी का मंदिर। चिह्नित करवाना । १३ निर्माण कराना, बनवाना । मंढरणो (बी)-देखो 'मंडणी' (बी)।
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