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रंडापरण
( ४४२ )
पण पिणी), रंडापी-पु. १ विधवापन, वैधव्य । २ दुःखी | रंध्र-पु. [सं०] १ छिद्र, छेद, सूराख । २ गह्वर, गुफा । जीवन ।
३ दीवार में बना छन, तीरकश । ४ तूणीर । ५ योनि, रंडाळ-१ देखो 'रांड' । २ देखो 'रदाळ' ।
भग । ६ त्रुटि, कमी, दोष । ७ दुर्बल या कमजोर स्थान । रंडाळी-वि०१ व्यभिचारी। २ देखो 'रताळ' ।
रंब-देखो 'रंभा'। रडि, रंडी-स्त्री० [सं० रंडा] १ पैसा लेकर नाच-गाना करने व
रंबी-पु.१ लोहे का मोटा छड़ विशेष । २ दीवार में छेद करने संभोग कराने वाली स्त्री। २ व्यभिचार से धन कमाने
का लोहे का मोटा डंडा। वाली स्त्री। ३ स्त्रियों की एक गाली। ४ देखो 'रोड'।
रंभ-पु० [सं० प्रारम्भ] १ शुरूपात, पारंभ, प्रारंभ । २ युद्ध, रंडीजणी (बी)-देखो 'रांडीजणी' (बी)।
समर । ३ एक प्रकार का तीर, बाण। ४ बांस । ५ जोर रंडीबाज-वि० वेश्यागामी, व्यभिचारी।
का शब्द या पावाज । ६ एक प्रकार का हरिन । ७ महिरडीबाजी-स्त्री. १ वेश्यामों के यहाँ नियमित जाने की क्रिया
षासुर का पिता । ८ मायु राजा का पुत्र एक राजा । __ या अवस्था । २ वेश्या के साथ किया जाने वाला व्यभिचार।
९ एक अन्य राजा। १० राम की सेना का एक वानर । रंतुनो (बो)-देखो 'रंडवो'।
११ एक दानव । १२ देखो 'रंभा'। रंपड़ो-देखो 'रंडापों'।
रंभगांरण-पु० [सं० रंभा-गायन] रंभा भादि अप्सरामों का रंढ-देखो 'रढ'। रंडरांण (रणो)-देखो 'रहरीण' ।
गायन । रंढाळ, ढाल, रंढाळी, रढालो-देखो 'रढाळ' ।
रंभा-स्त्री० [सं०] १ इन्द्र सभा को एक अप्सरा। २ परी, रंदु. रंदू-देखो 'रांद'।
अप्सरा । ३ पार्वती, गौरी। ४ मयदानव की पत्नी का रंत-देखो 'रत्त'।
नाम । ५ प्रेमिका। ६ वेश्या, रंडो। ७ उत्तर दिशा । रति-देखो 'रति'।
८ कदली. केला। -तर, तरु-पु. कदली वृक्ष, केला। रंद-देखो 'रंध्र'।
-पत, पति, पती-पु० इन्द्र । कुबेर का पुत्र, नलकूबर । रवणी (बी)-क्रि० १ 'रंदा' लगाकर लकड़ी साफ करना। | रंभारणो(बो)-क्रि० [सं० रवण] १ गाय का बोलना। २ ममत्व (बढ़ई) २ देखो 'रधरपो' (वी)।
भाव से दौड़ कर माना। रंबाई-स्त्री. १रंदे से लकड़ी साफ करने की क्रिया या भाव ।
रंभातीज-स्त्री० [सं० रंभा- तृतीया] ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया । २ देखो रंधाई।
रंभाळ-देखो 'रंभा'। रंवारणी (बी)-कि० १ लकड़ी पर 'रंदा' लगवाना। २ देखो
रभावणो (बी)-देखो 'रंभाणी' (बी)। 'रंधाणो' (बी)। रंदेज, रंदोज-देखो 'रंधोण' ।
रंमोल-वि० [सं० रंभा उरु] सुन्दर जंधोंवाली स्त्री। रंवी-पु.१ लकड़ी को साफ व चिकनी बनाने का एक उपकरण ।
रंमताराम-पु० भ्रमणशील साधु । २ कमान की डोरी, प्रत्यंचा । ३ ऊंटों का एक रोग।
रमानमा-देखो 'रिमझिम'। रंध-देखो 'रंध्र'।
रयरणी (बो)-देखो 'रहणो' (बी)। रधक-पु. [सं०] रसोइया, बावरची। -वि० प्रनिष्टकारक। ररकार-देखो 'ररंकार'। रघण, रधन-पु. भोजन बनने या पकने की क्रिया। २ स्त्रियों | र-पु० [सं०] १पावक, अग्नि, माग । २ कामाग्नि, काम की चौसठ कलामों में से एक ।
पिपासा । ३ जलन । ४ ताप, गर्मी ।५ प्रेम, स्नेह । रंधणी (बी)-क्रि० १ भोजन पकना । २ खिचड़ी भादि पकना। ६ गति, वेग, रफ्तार । ७ स्वर्ण। ८ रगण का संक्षिप्त रूप ३ देखो 'रंदणी' (नौ)।
-वि० प्रखर तीव्र, तेज। रंधर-देखो रंध्र।
रमय्यत-देखो 'रइयत'। रवाण-देखो 'रंधीरण'।
रई-देखो 'रई', 'रई', 'रति'। रंधाई-स्त्री० भोजन, खिचड़ी मादि का पकना, पकाना किया।
रण(रिण, पी)-देखो 'रयण' । रंधाणी (बी), रंधावरणी (बी)-क्रि० १ भोजन प्रादि बनवाना। २ खिचड़ी पकवाना। ३ कुछ पकाने के लिये प्रेरित करना।
ई-पु०१ धर्य, संतोष । २ देखो 'रति' । ३ देखो २', 'रई। रंधीण, रंधीन, रघेज-पु. १ खीच, खिचड़ी भादि पकवान । | रइप्रत-देखो 'रइयत'।
२ ठण्डी रोटियों को पकाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ ।। रहरण-देखो 'रयण'।
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