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रत्ननिधान
থাগং
रत्ननिधान-वि० [सं०] रत्नों की निधि वाला । समुद्र । रत्र-देखो 'रक्त'। रत्ननिधि-पु. [सं०] १ समुद्र, सागर। २ सुमेरु पर्वत ।
पवत। | रथंतर-पु० [सं०] १ एक प्रग्नि । २ ब्रह्मा की समा का एक
तर ३ विष्णु का एक नामान्तर ।
साम। रत्नपरीक्षक-पु० जौहरी।
रयंतरी-स्त्री० [सं० रथन्तर्या] राजा दुष्यन्त की माता। रत्नपरीक्षा-स्त्री. १ रनों की जांच । २ पुरुषों की एक कला। रथ-पु. [स] १ प्राचीनकाल की एक घोड़ा गाड़ी, स्पंदन । रत्नपारक्षा रत्नपारख, रत्नपारखी-देखो 'रत्नपरीक्षक' ।
२ गाड़ी, बहल ।३ वाहन, सवारी। ४ सप्त राज्यलक्ष्मियों रत्नप्रदीप-पु० [सं०] १ दीपक की तरह चमकने वाला एक में से एक । ५ प्रात्मा का यान, शरीर । ६ सेना। ७ पर, रत्न विशेष । २ रत्न का दीपक ।
पग। ८ क्रीड़ा या विहारस्थल । ९ एक सामूद्रिक चिह्न रत्नप्रभा-स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी, भूमि । २ एक नरक ।
विशेष । १. किसी चट्टान का बना सिला मंदिर । रत्नबाह-पु० [सं०] विष्णु का एक नाम ।
११ इगण का द्वितीय भेद । -करता, कार, कारक-पु. रत्नमरिता. रत्नमारिता-वि० [सं०] रत्नों से परिपूर्ण ।
बढ़ई, कारीगर-कारतिक-पु. मोर, मयूर। -कुमार-पु. रत्नमाळया, रत्नमाळा, रत्नमाळिका-स्त्री० [सं० रत्नमाला]
मोर । -खांनो-पु. रथ खड़ा करने या रखने का कक्ष ।
-जातरा, जात्रा'रथयात्रा'।-पति, पती-पु० रथ का १ रत्नों का हार । २ राजा बलि की एक कन्या।
मालिक, रथी।-पात्रा-पु० एक पर्व विशेष । -बान-पु. रत्नमाळी-पु. एक प्रकार का देवता।
रथ का सारथी। रथवाला। -बाह-पु० घोड़ा, अश्व । रत्नरासि (रासी)-स्त्री० [सं०] १ रत्नों का ढेर, समूह ।
-वाहक-पु. रथ चालक। -साळ,साळा,साला-स्त्री. २ समुद्र, सागर।
रथ रखने का कक्ष। रत्नवसी-स्त्री० पृथ्वी, भूमि ।
रथऋत-पु० [सं० रथक्रत] एक यक्ष विशेष । रत्नसांनु-पु. [सं०] सुमेरू पर्वत का नाम । रत्नसागर-पु० [सं०] १ समुद्र, जिसमें रत्न निकलते है।
रथक्रांत-पु० संगीत में एक ताल । २ समुद्र, सागर ।
रबड़ो-देखो 'रथ'। रत्नसाळा-स्त्री० [सं० रत्नशाला] १ रत्न रखने का स्थान, रथचरण-पु० [सं०] चक्रवाक पक्षी। कक्ष । २ रत्न जड़ित भवन या कक्ष ।
रपचरघा-स्त्री० [सं० रथचर्या] एक प्रकार की विद्या । रत्नांगर-पु० [सं०] एक प्राचीन राजा।।
रषध्वज-पु० [सं०] राजा जनक के पिता का नाम । रत्ना-स्त्री० [सं०] राजा प्रकर को एक पत्नी।
रपध्वनि, रमप्रभु-पु०[सं०] १ वीर नामक पग्नि का नामांतर। रत्नाकर-पु० [सं०] १ समुद्र, सागर । २ रत्नों की खान ।
। २ रथ का मालिक । ३ गौतम बुद्ध का एक नाम । ४ बाल्मीकि ऋषि का
रयबाहरण-देखो 'रथवाहन'। प्रथम नाम ।
रथमोडण-वि० शत्रु के रथ को मोड़ देने वाला, वीर । रत्नागरि, रत्नागिरि-देखो 'रत्नगिरि।
रथ राजी-स्त्री. वसुदेव की एक पत्नी। रस्नाचळ-पु० [सं०] १ बिहार का एक पर्वत । २ पहाड़ की तरह रत्नों का ढेर ।
रथवर-पु० [सं०] एक यादव राजा । रत्नादि-पु. [सं०] एक पर्वत विशेष ।
रथवाहन-पु. [सं०] विराट राजा का भाई। रत्नाधिपति-पु. [सं०] १ धनपति, कुबेर । २ सेठ, जोहरी, | रथसप्तमी. रथसातम-स्त्री० [सं० रथसप्तमो] माघ शुक्ला प्रमीर।
सप्तमी तिथि। रत्नाभूसण-पु० [सं० रत्नाभूषण] रत्न जड़ित प्राभूषण। रथसेन-पु० [सं०] पाण्डव पक्ष का एक रयी। रत्नावळि (लि), रत्नावळी (ली)-स्त्री० [सं० रत्नावली]| रचस्वन-पु० [सं०] एक यक्ष विशेष ।
१ पुराण प्रसिद्ध एक राजकन्या । २ एक व्रत विशेष (जैन)। रांग-पु० [सं०] १ रथ या गाड़ी का कोई भाग, अंग । ३ एक राग विशेष । ४ एक अलंकार विशेष ।
२ रथ का पहिया । ३ सुदर्शन चक्र । चक्रवाक नामक रत्नोत्तमा-स्त्री० एक तांत्रिक देवी विशेष ।
पक्षी । ५ कुम्हार का चक्र । रत्याव-देखो 'रातीवाहो'।
| रामधर, रथांगपाणि-पु० [सं०] १ विष्णु। २ श्रीकृष्ण ।
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