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मूरखौ
( ४०८ )
मूळगउं
मूरखो-देखो 'मूरख'।
रखने वाला । २ शिर या मस्तक में स्थित । ३ चोटी का। मूरच्छना- देखो 'मूरछना'
४ मुख्य, सर्वोत्तम । मूरच्छा- देखो 'मुरछा'
मूरखन्यवरण-पु० [सं० मूर्धन्य-वर्ण] मूर्दा से उच्चारित होने मूरछत-देखो 'मुरछित' ।
वाले वर्ण। मूरछन, मूरछना, मूरछा-पु० [सं० मूर्छना] १ मूच्छित होने की मूरद्धा-स्त्री० [सं० मूर्धा] १ मस्तक, शिर । २ मुंह के
अवस्था या भाव । २ मूर्छा, बेहोशी । ३ एक मंत्र अन्दर तालु व जिह्वा का अग्रभाग जो कुछ वर्गों के विशेष । ४ पारे का तीसरा संस्कार । ५ संगीत में | उच्चारण के समय परस्पर टकराता रहता है । प्रारोह-अवरोह । ६ काम का एक बाण ।
मूरद्धाभिसेक-पु० [सं० मूर्धाभिषेक] शिर पर किया जाने वाला मूरछागत (गति)-देखो 'मुरछागत'
अभिषेक, जल सिंचन । मूरछारणी (बो)-देखो 'मुरछाणो' (बो)।
मूरधन-पु० [सं० मूर्धन] १ शिर. मस्तक । २ भृकुटि, भौं । मूरचित-देखो 'मुरछित'
३ शिखर, चोटी। ४ प्रधान, मुख्य। ५ नेता, नायक, भूरट-देखो 'मरट'
अग्रणी। ६. प्रगला, अन । ७. एक देव विशेष । मूरत-१ देखो 'मूरति' । २ देखो 'महरत' ।
मूरधा-देखो 'मूद्धा'। मूरतवंत, मूरतवत-वि० [सं० मूर्तिमत] १ शरीरधारी, देह- मूरवा-देखो 'मुरवा'।
धारी, सशरीर । २ प्राकार-प्रकार या रुप वाला, साकार । | मूरिख-देखो 'मूरख'। ३. मूर्ति या प्रतिमा की तरह स्थिर, अचल । ४. प्रत्यक्ष, | मूरी-देखो 'मोरी'।
साक्षात् । ५ प्रतिमा के रूप में, प्रतिमा की तरह बना। मूरो-देखो 'मो'रो' । मूरति-स्त्री० [सं० मूर्ति] १ कोई देव प्रतिमा मूर्ति । मूळ,मूल-पु० [सं० मूलं] १ वृक्ष, पौधा, लता प्रादि की
२ पत्थर या धातु की पुतली, प्रतिमा। ३ चित्र, तस्वीर ।। जड़, मल । २ पेड़ का तना। ३ बीज । ४ जमीकंद, कद ४ शक्ल, सूरत, प्राकृति। ५ स्वरूप, रूप। ६ शरीर, देह। मूल । ५ किसी वस्तु के नीचे का भाग। ६ पिप्पल की ७ प्रतीक । ८ देवता की तरह माना जाने वाला प्राणी, जड़ । ७ प्रारंभ, शुरूपात, प्रादि । ८ उत्पत्ति, उद्भव । साधू । ९ प्राचेतस दक्ष की एक कन्या। १० स्वारोचिष ६ कारण, प्रयोजन । १० नीच, बुनियाद, प्राधार । ११ मन्वन्तर का एक प्रजापति । ११ ब्रह्म सावरिण मन्वन्तर के प्रादि या बीज मंत्र । १२ सत्ताईश नक्षत्रों में से उन्नीसवां सप्तर्षियों में से एक । १२ देव प्रतिमा युक्त प्राभूषण। नक्षत्र । १३ असल पूजी, शुद्ध धन । १४ मुद्रा विशेष । -कार-पु. मूर्तियें बनाने वाला शिल्पी। चित्रकार, चितेग। १५ दलाल । १६ तल। १७ छोर, शिरा । १८ वर्ग-पु० पूजक-किसी देवता का पुजारी । सगुण भक्तिधारा का मूल । १९ चन्दन । २० परम्परानुगत सेवक । २१ पडोस,
अनुगामी। -पूजा-स्त्री. सगुण भक्ति, देव पूजन । सामीप्य । २२ असल कृति या लेख, Original | मूरतिमत-पु० [सं० मूर्ति-मत] १ मूर्तरय राजा का एक २३ रात में जलाशय के निकट शिकार में बंटने की __ नामान्तर। २ देखो 'मूरतवंत'
क्रिया । २४ इस प्रकार बैठने का स्थान । २५ पूर्व दिशा। मूरतिमान-वि० [सं० मूर्ति-मान] १ शरीरधारी, देहधारी, -वि० १ मुख्य, खास, प्रधान । २ असल । ३ मोलिक, साकार । २ प्रत्यक्ष, साक्षात् ।
निजी, खुद का । ४ पहला, प्रथम । ५ किंचित, थोड़ा। मूरतिवंत (उ) मूरतिवतो-देखो 'मूरतवंत' ।
६ दृढ़, मजबूत । -क्रि० वि० १ कतई, बिल्कुल । मूरतिविद्या, मूरतिविध्या-स्त्री० [सं०मूर्ति विद्या] १ प्रतिमा २. जड़ा मूल से,जड़ से ।
बनाने की विद्या, शिल्पी कर्म। २ चित्रकारी का कार्य । मूल-देखो 'मूल्य' । मूरती-देखो 'मूरति'
मूळकरम-पु. [सं० मूल-कर्मन्] १ पौषधियों की जडों द्वारा मूरस, मूरत्ति-१ देखो 'मूरति'। २ देखो 'महुरत' ।
किया जाने वाला प्रयोग । २ जादू, टोना. मूठ ।
३ प्रधान कम । मूरख-पु० [सं० मूर्धन] शिर, मस्तक ।
मूळकवळ-पु० [स० मूल-कमल] नाभि कमल (हठयोग)। मरखज-वि० [सं० मूर्धज] शिर से उत्पन्न होने वाला । -पु० | मळकूण-पु. पूर्व दिशा ।। केश, बाल। श, बाला
मूळको, मूलको-पु. १ जड़ सहित उखाड़ा हुमा छोटा वृक्ष । मूरखज्योति (ती)-स्त्री० योग में ब्रह्मरंध्र ।
२ देखो मुळगो'। मूरद्धन्य मरधम्य-वि० [सं० मून्य, मूर्धन्य] १ मूर्द्धा से संबंध | मूळगडं, मूलगउ, मूलगु मूळगू, मूळगो, मूलगो-देखो 'मुळमौ' ।
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