________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यवधीयता
( ४३४ )
यदि
यखूधीयता-पु० तरकस ।
यज-पु० [सं०] १ विजय, जीत । २ वस्त्र विशेष । ३ यज्ञ । यगरणा-पु० छन्दशास्त्र में एक गरण ।
४ बलिदान । ५ नैवेद्य । ६ पूजन । यगताळीस-देखो 'इकताळोस' ।
यजदा-पु० ईश्वर का नाम (फारसी)। यग्य-पु० [सं० यज्ञ] १ वेद मंत्रों सहित हवन करते हुए किया |
यजन-देखो 'जजण'। जाने वाला पूजन । २ पूजन की क्रिया। ३ अग्नि का एक यजमान-देखो 'जजमान'। नाम। ४ विष्णु का एक नामान्तर । ५ अग्निहोत्र ।
यजमानी-देखो 'जजमानी'। -प्रधिपति प्रात्मा-पु० विष्णु ।-कारी-पु० यज्ञ करने | यजार-देखो इजारबंद'। वाला ।-ऋतु-पु. विष्णु का एक नामान्तर । --- क्रिया- यजुरवेद-पु० [सं० यजुर्वेद] एक प्रकार का वेद । स्त्री० यज्ञ कर्म । कर्म कांड ।-पति-पु० विष्णु भगवान । यजुरवेदियो, यजुरवेदीयो-पु० [सं० यजुर्वेदिन] यजुर्वेद का ज्ञाता । एक गोत्रकार ।-पसु-पु० यज्ञ का बलि पशु, घोडा, बकरा | यण-देखो 'पण' । प्रादि ।-पात्र-पु० यज्ञ के काम आने वाला पात्र । -पाळ- यणणो (बो)-देखो 'जणणो' (बी)। पु० यज्ञ का सरक्षक । --पुरुस-पु. विष्णु । -भाग-पु. यतन (न)-देखो 'जतन' । यज्ञ में किसी देवता का भाग । इन्द्रादि देवता ।-भाजन
यतमामी-पु. व्यवस्थापक। प० यश का पात्र ।-भूमि-स्त्री० यज्ञ करने का स्थान । | पतलाकनवेस-प. एक राज्य अधिकारी। -रप-१० यज्ञ के लिये निमित मडप-मंडळ-पु० यज्ञ काये | यतक्त-कि. वि. इधर-उधर । के लिये घेरा गया स्थान ।-मदिर-पु० यज्ञशाला । -मय- यति- देखो 'जती'। पू०विष्णु ।-यूप-पु० यज्ञ के बलि पशु को बाधने का खंभा। यतिवर-40 मि01 चहा। -वराह-पु० विष्णु एक का नामान्तर ।-वाह-पु० यज्ञ करने | यतिधरम-पु० [सं० यति-धर्म] १ संन्यास। २ यतियों के वाला । स्कंद का एक अनुचर । एक गोत्रकार ।-वाहन- प्राचरण । पु० विष्णु । ब्राह्मण । शिव । याज्ञिक । -वक्ष-पु० बट यतिभग (भ्रस्ट)-पु० [सं०] छन्द शास्त्र संबंधी एक दोष । वृक्ष ।--सरण-पु० यज्ञ मण्डप ।--साळा-स्त्री० यज्ञ करने | यतिसांतपन-पू० दिवसोय एक व्रत । का स्थान । कक्ष ।-सास्त्र-पु० यज्ञ की विधि एवं महत्व | यती-सर्व०१ इतना । २ देखो 'जतो'। बताने वाला ग्रंथ ।-सोल-पु० ब्राह्मण । यज्ञ करने वाला। यतीम-पू० [१०] १ बिना मां-बाप का बच्चा, अनाथ । २ एक -सूकर-पु० विष्णु । -सूत्र-पु. जनेऊ, यज्ञोपवीत ।
बड़ा मोती। ३ बहुमूल्य रत्ल । -खांनो-पु. अनाथालय । -स्तंभ-पु० बलिपशु बांधने का ख भा।-स्थळ-पु० यज्ञ
यतीस्वर-पु० [सं० यतीश्वर] योगीराज, यति राज । करने का स्थान ।-होता. होत्र-पु० यज्ञ कर्ता । देवता का
यतौ-सर्व०१ इतना । २ जहां । ३ देखो 'जती' । पाह वान करने वाला । मनु का एक पुत्र ।।
यान देखो 'जतन'। यग्य कोप-पु० [सं० यज्ञकोप ] विष्णु का एक नामान्तर । | यत्र-देखो 'जत्र'। यग्यवत्त-पु० [स० यज्ञदत्त] १ कापिल्य नगर का एक अग्निहोत्री
यत्र-तत्र-प्रव्य० [सं०] १ जहां-तहां, इधर-उधर । २ यहां-वहां । ब्राह्मण । २ भगदत्त राजा के पुत्र का नामान्तर । ३ यज्ञ
३ कुछ-कहां, कुछ-वहां । कर्म में निपुण एक ब्राह्मण । ४ एक प्राचीन राजा।
यथा--देखो 'जथा'। पग्यवाहु-पु० [सं०यज्ञ बाहु] १ अग्नि का एक नाम । २ शाल्मलि
यथाक्रम-देखो 'जथाक्रम'। द्वीप का एक राजा।
यथानियम-देखो 'जथानियम' । पग्य सेन-पु० [सं० यज्ञमेनः] १ पांचाल नरेश द पद का एक यथापूरव-प्रय० [सं० यथा-पूर्व] जैसा पहले था, पूर्ववत्, ज्यों एक नाम। २ विष्णु ।
___का त्यों। यग्यांग-पु० [सं० यज्ञ +अंग] १ यज्ञ की सामग्री। २ विष्णु । यथायोग्य-देखो 'जथाजोग' । ३ गूलर । ४ खदिर।
ग्याविधि-देखो 'जथाविधि'। यग्यारमा-देखो इगियारमौं'।
यथासक्ति (सगती)-देखो 'जथासकती' यग्यारि-पु० [सं० यज्ञारि| १ शिव महादेव । २ राक्षस । यथोगित-प्रव्य जो उचित हो, उपयुक्त । यछ-प्रव्य० चाहे भले। अगर, यदि ।
यपि-देखो 'जदपि'। यजंगम-देखो प्रजगप' ।
यदि-देखो 'जदी'।
For Private And Personal Use Only