________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मशि
( ३२२ )
मठार
मझि, मझिलो, मझी-देखो 'मध्य'।
मटियामेट-वि० नष्ट, ध्वस्त, तहस-नहस । मझे, मझेण, मश-१ देखो 'मध्य' । २ देखो 'मध्ये'। मटियाळ, मटियाळी-स्त्री० चिकनी व भूरी मिट्टी।-वि० खाखी, मझ्यांन-पृ० [सं०मध्याह्न] दोपहर का समय, दिन का मध्यभाग। मटमैला । मटंब-स्त्री. वह बस्ती जिसके पास-पास पांच मील तक कोई | मटियाळी-वि० (स्त्री० मटियाळी) १ चिकनी या भूरी मिट्टी बस्ती न हो।
वाला । २ खाखी, मटमैला। मट-१ देखो 'मटको' । २ देखो 'मठ' । ३ देखो 'मंढ'। मटियौनीलो-पु. एक प्रकार का घोड़ा। मटक-स्त्री०१ चाल,गति । २ चलने का विशेष ढग । ३ नाज, मटु, मड़ी-स्त्री० हाथ को तीसरी अंगुली, अनामिका । नखरा । ४ गर्व, अभिमान । ५ प्रांख की एक मुद्रा।
-वि० प्रिय। मटकरणो (बी)-क्रि० [सं० मठ] १ विशेष ढंग या प्रदा से | मटुकनाथ-पु. एक तीर्थ स्थान ।
चलना । २ नाज-नखरे बताना । ३ प्रांख की विशेष मुद्रा | मटोटपो (बी)-देखो 'मठोठणो' (बी)। बनना । ४ गर्व करना, ऐंठना।
मट्ट-१ देखो 'माट' । २ देखो 'मटको' । ३ देखो 'मठ' । मटकारणौ (बी)-क्रि० [सं० मठ] १ चलते समय कमर को | मट्रिया, मट्री-देखो 'माटी'।
विशेष ढंग से हिलाना । २ शरीर के किसी अंग या आंखों | मटो- देखो 'माटोटेखो ' टेडो : से नखरे दिखाना, अदाएं बताना। ३. गर्व या ऐंठन दिखाना। मट्ठ-१ देखो 'मठ' । २ देखो 'मट्ठौं। ४ खाना, निगलना।
मट्ठी-पु० दही को मथकर मक्खन निकाल लेने के बाद बनने मटकार-पु० [सं० मुष्ठिका-प्राकार] १ मुट्ठी के आकार का वाली छाछ तक। -वि० कृपण कंजूस । काचर, बड़ा काचर । २ देखो 'मटक' ।
मठ-पु० [सं० मठ] १ दशनामी साधुओं का गुरुद्वारा । मटकारणो(बो)-देखो 'मटकाणो' (बो)।
२ दशनामी साधुनों का निवास स्थान । ३ प्राचीन का काल मटकाळी-वि० (स्त्री० मटकाळी) अंग मटकाने वाला, नखरे |
में विद्यार्जन या ज्ञानार्जन का केन्द्र, पाश्रम । ५ देवी का बाज।
मंदिर। ६ गर्व, अभिमान । ७ तनाव, खिंचाव,ऐंठन । मटकावरणौ (बो)-देखो 'मटकारणो' (बी)।
८ छवि, शोभा। ९ आनन्द, सुख । १० मोज, मस्ती, मटकी-स्त्री० [सं० मार्तिकी] १ मिट्टी का जल-पात्र, चौड़े मुह मजा। ११ महत्व । १२ ऊंचा व लंबा टीला ।- वि.
का घड़ा, घटक । २ एक प्रकार का लोक नृत्य । ३ एक कृपण, कंजूस । वाद्य विशेष ।
मठठ-देखो 'मठोठ'। मटकीलो-देखो 'मटकाळी' (स्त्री० मटकीली)।
मठणी (बी)-क्रि० १ मथा जाना,मथना । २ देखो मठाणी' (बौ) मटको-पु० [सं०मातिक]१ मिट्टी का बड़ा व चौड़े मुंह का जल- | मठधारी, मठपति-पु० [सं०] १ दशनामी संन्यासी के गुरु द्वारे पात्र, बड़ा घड़ा । [सं०मटः स्फटि] २ नाज, नखरा,प्रदा।
___का महन्त । २ मठ का अधिष्ठाता । ३ प्राचार्य गद्दी का मटखोरी-पु. एक प्रकार का हाथी।
- अधिकारी। मटणी (बो)-देखो 'मिटणी' (बी)।
| मठमठौ-वि० (स्त्री० मठमठी) १ कृपण, कजूस । २ जो अधिक मटमेलो-वि० मिट्टी जैसे रंग वाला।
सख्त या अधिक मुलायम न हो। मटर-पु० १ चने से कुछ बड़ा, गोल दाने वाला द्विदल अन्न । | मठर-पू० १ हठ, जिद्द । २ देखो ‘मटर'। २ उक्त अन्न का पौधा ।
मठरी (लो)-स्त्री० पुड़ो की तरह बनी मैदे की पपड़ी। मटरको-पु० नाज, नखरा, प्रदा।
मठसेडी (सेढी)-स्त्री० कठोर स्तनों वाली गाय या भैस । मटरगस्त, मटरगस्ती-स्त्री० १ धीरे-धीरे घूमना। २ व्यर्थ मठाठ-देखो 'मठोठ'। भटकना।
मठारणी (बी)-क्रि० १ प्राटे को गूदना। २ मथ कर गाढ़ा मटरमाला-स्त्री० मटर के दाने जैसे मणिकानों की माला । करना । ३ अच्छा बनाने की कोशिश करना । मटली-देखो 'मट की।
मठाधीस-देखो 'मठधारी' । मटल्लौ-देखो 'मटको'।
मठारणी (बौ), मठावरणौ (बी)-क्रि०१ लोहे की चद्दर या पत्तरों मटवी-पु. एक प्रकार का वस्त्र ।
को 'मठरना' नामक प्रौजार से पीटना । २ पत्तरों को मटाणो (बी)-१ देखो 'मिटाणी' (बी)। २ देखो 'मठाणी'(बी)। पीटकर गोलाकार बनाना । ३ माटे या मैदे आदि को मटि-देखो 'माटै'।
हाथों से गूदना । ४ किसी वस्तु को संवारना । ५ बातों का मटिया,मटीया-पु० मटमैला या खाखी रंग। -वि० उक्त रंग का। रंग जमाना । ६ पत्थरों की घड़ाई करना।
For Private And Personal Use Only