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मंजू
मंडळ
मंजू-१ देखो 'मंजु' । २ देखो मंजूस' ।।
कार्य करने लगना। १६ अंकित होना, चिह्नित होना । मंजूर-वि० [अ०] स्वीकारा हुआ, माना हुआ। स्वीकृत । १७ बनना, निर्मित होना । १८ संलग्न करना लगाना, जिसकी सहमति हो।
खड़ा करना। १९ लेने या झेलने के लिये हाथ या वस्त्र मंजूरी-स्त्री० स्वीकृति, सहमति, मान्यता । इजाजत, अनुमति । प्रादि फैलाया जाना । २० तनना। २१ घोडे, ऊंट प्रादि मंजूस, मंजूसी, मंजूसौ-पु० [सं० मंजूषा] १ छोटा पिटारा, पर चारजामा कसा जाना । २२ सर्जन होना, सृष्टि होना ।
डिब्बा। २ पक्षियों का पिंजरा। ३ हाथी का होदा । २. रचा जाना, रचित होना । २४ मनाया जाना । ४ संदूक, पेटी।
२५ सजना, सज्जित होना । २६ पाच्छादित होना, ढका मंजेस-पु० चरखे के नीचे की लंबी लकड़ी, डंडा ।
जाना । २७ तैयार, उद्यत या प्रस्तुत होना । २८ छितरना, मंजौ-देखो 'मांजो'।
बिखरना । २६ प्रबन्ध होना, व्यवस्था होना। ३० व्यक्त मंझ, मंझम-देखो 'मध्य' ।
होना । ३१ संबंध जुड़ना, मेल होना। ३२ संधान होना। मंझळो-वि० [सं० मध्यम] (स्त्री० मंझळी) बीचका, मध्यका।। ३३ शोभित होना। ३४ आभूषणों में रत्न मादि जड़ा मंझा-स्त्री० [सं० मध्या] १ कमर, कटि । २ मध्या।
जाना । ३५ ढोल आदि पर चमड़ा चढ़ाया जाना । मझार, मझारि, मंझार, मंझाळ, मंझि-क्रि० वि० बीच में, मध्य ३६ प्रावेष्टित करना। ३७ तश्वीर आदि काच में लगायी में। घेरे, दायरे.या क्षेत्र में। मध्य ।
जाना। ३८ शुगार किया जाना। ३६ कुछ करना। मंझिम-वि० [सं० मध्यम] १ मध्य । २ मध्यम ।
४० देखो 'मोडणो' (बौ)। . मंतियार-वि०१ मध्य का, बीच का, मझला।२ देखो 'मझार। | मंडन-देखो 'मंडण'। मंठणी (बौ)-क्रि० रचना, बनाना, निर्माण कराना। सजन मंडर-० [सं०] १देव मन्दिर, देवालय । २ भवन । ३ वितान कराना।
चंदोवा । ४ पाच्छादित स्थान । १ छपरा, छप्पर । मंठाणी (बी), मंठावरणौ (दो)-क्रि० १ रचवाना, बनवाना, ६ मंदिर में दर्शक कक्ष । ७ देवालय प्रादि पर बना गुबज,
निर्माण कराना । सर्जन कराना । २ देखो मठारणों' (बौ)।। अण्डा । ८ देवालय में मूर्ति पर तना चंदोवा। १ तंबू, मंड-पु० [सं०] १ आभूषण, गहना । २ रचना, सृष्टि । शामियाना । १० सामयिक तंबू या मंडप ।
३ ब्रह्माण्ड । ४ शरीर, देह । ५ निर्भरता। ६ मावागमन। मंडपपुर-पू० [सं०] म'डोर का नामान्तर । ७ देखो 'मंडप' । ८ देखो 'मंडारण' । ९ देखो 'मांडो'।
मंडपराइ, मंडपाळ-पु० [सं० मडपराज, मड-पाल] राजा, नृप । १० देखो 'माडांणी' । ११ देखो 'मंढ' । १२ देखो 'मुड'।
मंडपि-देखो 'मडप'। १३ देखो 'मांड'।
मंडरणौ (बी)-क्रि० चारों ओर से घिरना, छा जाना। मंडक, मंडको-पु० [सं० मण्डकः] १ मैले में घी-शक्कर मिला
मंडराणी (बो)-कि० [सं०मडल] १ मंडलाकार उठ कर छा ___ कर बनाई जाने वाली रोटी । २ मोटी रोटी या चपाती।
जाना। २ पक्षियों का किसी घेरे या वृत्त में उड़ना । मंडण (उ)-पु० [सं०मण्डनम्] १ सजावट, शृगार । २ प्राभूषण
३ किसी के पास-पास चक्कर लगाना । गहना । ३ शोभा । ४ पुष्टि, प्रमाणीकरण ।
मंडळ-पु० [सं० मडलम्] १ किसी स्थान या बिन्दु पर चारों मंडरणकोट, मडणगढां-पु० [सं० मंडन-कोट] हाथी, गज ।
पोर बना घेरा, वृत्त । २ सूर्य, चन्द्रमा प्रादि के चारों पोर मंडपछत्र-पु० [सं० मंडन-छत्र] प्राकाश, नभ ।
का प्रकाश वृत्त । ३ किसी वस्तु का मुख्य गोलाकार भाग । मंडणी (बी)-क्रि० [सं० मंडनम्] १ होने की स्थिति में प्राना,
४ गोलाकार प्राकृति, रचना या वृत्त । ५ पाकाश वृत्त । होना । २ ठनना, पक्का होना, निश्चित होना । ३ कटिबद्ध ६ श्वान, कुत्ता। ७ मित्रों का समाज, वर्ग। लोगों का तत्पर या उतारू होना। ४ उत्पन्न होना, अंकुरित होना । समाज । ८ किसी विभाग या संस्था के संचालन के लिये ५ स्थिर होना, रुपना, जमना, रुकना । ६ अटल, अडिग बना विभिन्न सदस्यों का समूह, बोर्ड। नक्षत्रों का रा। या बढ़ होना, डटना । ७ जुड़ना, लगना । ८ प्रारंभ होना, कक्षा। १० ढेर, समूह । ११ दल, समूह, १२ देश। शुरू होना । ९ स्थापित या कायम होना । १० सार्वजनिक १३ बारह राज्यों का संघ । १४ कोई क्षेत्र या प्रदेश विशेष । लेन-देन या व्यापार के लिये चालू होना, कार्य करने लगना। १५ गोल चिह्न या दाग। १६ चालीस योजन लंबा व ११ उमड़ना, उभरना, मंडराना । १२ चित्रांकित, चित्रित बीस योजन चौड़ा भू-भाग । १७ प्रशासनिक दृष्टि से होना । १३ लिखा जाना, दर्ज होना । १४ चलने या कार्य विभाजित प्रदेश, जिला। १८ गोलाकार विस्तार। १९ एक रूप में पाने के लिये स्थापित होना। १५ चलना,पल पड़ना, । प्रकार का कुष्ठ रोग । २० सैन्ध संगठन या यूह रचना।
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