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समाज का इतिहास / 27
विद्वानों में पं. कैलाशचंद जी शास्त्री वाराणसी, इतिहास रत्न डॉ. ज्योतिप्रसाद जी जैन (11 जून, 1988), जैन मित्र के सम्पादक मूलचंद किशनदास कापड़िया एवं डाह्याभाई कापडिया, श्री कल्याणकुमार जी शशि (9-9-1988 ) प्रसिद्ध उपन्यास लेखक श्री जैनेन्द्रकुमार जी जैन (24-12-89) डॉ. हरीन्द्र भूषण जैन उज्जैन (1989) के निधन से समाज उनकी सेवाओं से सदा के लिये वंचित हो गया।
भारत सरकार की ओर से विशिष्ट सम्मान
भारत सरकार ने जैन समाज के कुछ नेताओं को उनकी विशिष्ट सेवाओं के कारण पद्मविभूषण एवं पद्मश्री उपाधियों से अलंकृत किया। इस अलंकरण से जैन समाज भी गौरवान्वित हुआ है। ऐसे महानुभावों में निम्न नाम उल्लेखनीय है :
1. श्री साहू भेयान्स प्रसाद जी जैन, पद्मविभूषण जनवरी, 1988
2. श्री धर्मचन्द जी पाटनी इम्फाल, पद्मश्री
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3. श्री बाबूलाल जी पाटोदी इन्दौर, पद्मश्री 4. श्री विमल प्रसाद जी जैन- देहली, पद्मश्री
5. श्री प्रद्युम्न कुमार जैन (एयर मार्शल ) देहली, पद्मश्री
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6. श्री यशपाल जैन- देहली, पद्मश्री
7. ब्र. पं. सुमति बाई जी शाह, पद्मश्री
इसी तरह भारतीय डाक विभाग की ओर से दिनांक 9 अप्रैल, 1988 को महाराष्ट्र के जैन कर्मवीर भाउराव पाटिल की स्मृति में डाक टिकट जारी करके समस्त समाज का सम्मान किया गया।
लोक सभा चुनाव
इन दस वर्षों में लोक सभा के सन् 1984 तथा 1989 में दो बार चुनाव हुये। सन् 1984 के चुनावों में जैन समाज के निम्न महानुभाव लोक सभा के लिये चुने गये :
1. श्री प्रकाशचंद सेठी, इन्दौर
2. श्री डालचंद जी जैन, सागर
3. श्री निहालचंद जी जैन, आगरा
4. श्री विरधीचंद जी जैन, बाडमेर
5. श्री मूलचंद डागा, पाली
6. श्री शांतिलाल धारीवाल, कोटा
सन् 1989 के चुनावों मे पूर्व की अपेक्षा बहुत कम जैन बंधु लोक सभा में पहुंच पाये ।