________________ धर्म-देशना। प्रातःकाल का समय समस्त जीवों के लिए सुखदायी होता है। चाहे वे योगी हों या भोगी; रोगी हों या नीरोगी। जिस प्रातःकाल में समस्त वनस्पतियाँ जल बिन्दुओं से तृप्त हो जाती हैं; जिस में मंद मंद पवन की शीतल लहरें चलती हैं; भक्तजनों का-देवपूना को मंदिर जाने के लिए, या गुरुवंदना को जानेके लिए होता हुआ कोलाहल सुनाई देता है। जिसमें पक्षीगण मधुर स्वर में आनंदगीत गाते हैं; जिसमें विद्यार्थीगण सरस्वती महादेवी की आराधना में लगते हैं, जिसमें महामुनिजन आत्मकल्याण के लिए शुभ क्रियाओं की श्रेणीरूप वेणी में गुंथ जाते हैं, जिसमें सूर्य की मंद किरणे पृथ्वी पर पड कर, उसको कबूतरों के पदराग तुल्य-पैरों के रंगती-बना देती हैं, जिसमें अन्धकार दिशा विदिशाओं का परित्याग कर, भाग जाता है; जिसमें चोर, जार और राक्षस आदि निशाचरों का विचरण बंद हो जाता है, जिसमें व्यापारी लोग बेचने खरीदने वाले की