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अमरूसञ्चसिधुरणसरधुरधरणधिहखेषु सविलासविलासिणिदिययथणु सुपसिहमदाका कामवण काणाणदीपपरिपूरियास जसपसरपसादियदसदिसासु परमणियरमुसुइसाला ममयमश्य हरपलाल गुस्यणपययणधियउसमय सिरिदेवियगञ्जनवरा अमाध्यतण यतपरकपस हरियाणाजियदीहहहू महानवसधयद्याहारुलकपलरकभिनवर सरीरु डबसणसाहसंघामसडाणचियापडिकिणामेणसरडावना आरजातदोमंदि। रुण्यणाणंदिरुसुकवरतपुजाणा
शंसायणगणततिबउविजयणसल्लामिका
सरयमंत्री उष्कदंत्येडिन मागमन
जो कमलों के समान नेत्रवाला है, मत्सर से रहित, सत्यप्रतिज्ञ, युद्ध के भार की धुरा को धारण करने में अपने समान, दान (दान और मदजल) से उल्लसित दीर्घ हस्त (सूंड और हाथ) वाला है, जो महामंत्री वंश का कन्धे ऊँचे रखनेवाला है, जो विलासवती स्त्रियों के हृदयों का चोर है, और अत्यन्त प्रसिद्ध महाकवियों के गम्भीर ध्वजपट है, जिसका शरीर श्रेष्ठ लक्षणों से अंकित है, जो दुर्व्यसनरूपी सिंहों के संहार के लिए श्वापद लिए कामधेनु के समान है, जो अकिंचन और दीनजनों की आशा पूरी करनेवाला है, जिसने अपने यश के के समान है, ऐसे भरत नाम के व्यक्ति को क्या आप नहीं जानते? प्रसार से दसों दिशाओं को प्रसाधित किया है, जो परस्त्रियों से विमुख है, जो शुद्ध स्वभाव और उन्नत मतिवाला घत्ता-आओ उसके घर चलें, नेत्रों को आनन्द देनेवाला वह सुकवियों के कवित्व को अच्छी तरह है, जिसका स्वभाव सुजनों का उद्धार करना है, जिसका सिर गुरुजनों के चरणों में प्रणत रहता है, जिसका जानता है। गुणसमूह से सन्तुष्ट होनेवाला वह, त्रिभुवन में भला है और निश्चय ही वह तुम्हारा सम्मान शरीर श्रीमती अम्बादेवी की कोख से उत्पन्न हुआ है, जो अम्मइया के पुत्र का पुत्र है, प्रशस्त जो हाथी के करेगा॥५॥
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