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माणमस वरिखागिरिकंदरिकसेरू गडझणझंडावकियाशंदीसंउकलससावकिटाश
घल वरपरखरधवलठिहाहोउमकृठिहमखसाणिमुहमियम खलकडियाडवयप। रिमडियएयणमणिहालसरुग्रमागाचमराणिलउडावियगुणाए यसियधोयसुनार, पत्रयाय अविव्याण्टमचालियोग मोह ध्यमारणसीलियाप सत्रंगजबल्लारिसाए पि उपतरमणसयारियाय विससहममश अडरतिमाय किंलनिविडसविरतिमाग में पजपुनारसुनिसिस गुणवतजाहिंसुगुरुविंदेसातहिंछाईलश्काय असणु अहिमासळचरिदानमरण माश्यांदराहिंतहिं थायमियतपदसियम देटिं यरुविणयपणासपणवियसिरहिं पडि व्यदिगुणायरपोरहिछिलाजणमणतिर सारखा मयतववारप पियक्कलगवाणदिवायर सोसाकसवतपुरुहाणवसरुटमुह कबरया पायपायावसडमडवारुढाकाना अणवस्यश्यजिपणाहरन्ति सुडंगदेवकमकमल लसल नाससकलावियाणक्सल पाययकश्कवरसावलधु संपायसरासश्सुरहिड्डु कमलछ।
"पहाड़ की गुफा में घास खा लेना अच्छा, परन्तु कलुषभाव से अंकित, दुर्जनों की टेढ़ी भौंहें देखना अच्छा में मनुष्य सब प्रकार से नीरस होता है, जहाँ गुणवान तक द्वेष्य होता है, वहाँ हमारे लिए तो बन ही शरण नहीं।
है। (कम-से-कम) स्वाभिमान के साथ मृत्यु का होना अच्छा।" यह सुनकर अम्मइया और इन्द्रराज दोनों घत्ता-अच्छा है श्रेष्ठ मनुष्य, धवल आँखोंवाली उत्तम स्त्री की कोख से जन्म न ले, या गर्भ से निकलते नागरनरों ने हँसते हुए भारी विनय और प्रणति से अपने सिरों को झुकाते हुए यह प्रत्युत्तर दियाही मर जाये, लेकिन यह अच्छा नहीं कि वह टेढ़ी आँखोंवाले, दुष्ट और भद्दे प्रभु-मुखों को सवेरे-सवेरे पत्ता-जनमनों के अन्धकार को दूर करनेवाले, मदरूपी वृक्ष के लिए गज के समान, अपने कुलरूपी देखे ॥३॥
आकाश के सूर्य, नवकमल के समान मुखवाले, काव्यरूपी रलों के लिए रत्नाकर, हे केशवपुत्र
(पुष्पदन्त) ॥४॥ जो चामरों की हवा से गुणों को उड़ा देती है, अभिषेक के जल से सुजनता को धो देती है, जो अविवेकशील है, दर्ष से उद्धत है, मोह से अन्धी और दूसरों को मारने के स्वभाववाली है, जो सप्तांग राज्य जिसकी कीर्ति ब्रह्माण्डरूपी मण्डप में व्याप्त है, जो अनवरत रूप से जिनभगवान् की भक्ति रचता रहता के भार से भारी है, जो पुत्र और पिता के साथ रमणरूपी रस में समानरूप से आसक्त है, जिसका जन्म कालकूट है, जो शुभ तुंगदेव (कृष्ण) के चरणरूपी कमलों का भ्रमर है, समस्त कलाओं और विज्ञान में कुशल है, (विष) के साथ हुआ है, जो जड़ों में अनुरक्त है और विद्वानों से विरक्त है, ऐसी लक्ष्मी से क्या? सम्पत्ति जो प्राकृत कृतियों के काव्यरस से अवबुद्ध है, जिसने सरस्वतीरूपी गाय का दुग्धपान किया है।
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