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जन्म स्थान जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी । जन्म देने वाली माता तथा जन्मभूमि स्वर्ग से भी बड़ी होती है। जिन महापुरुष की जीवन गाथा लिखने का उपक्रम किया जा रहा है, उनका जन्म भारत के उस प्रदेश में हुआ था, जो आज भारत के लिये विदेश बन गया है।
वास्तव में भारतवर्ष की सीमाएं प्राचीनकाल से लेकर आज तक न जाने कितनी बार बदल चुकी हैं।
जैन शास्त्रों के अनुसार भारतवर्ष जम्बूद्वीप के सात क्षेत्रों के सब से दक्षिणी भाग में है। जैन शास्त्रों ने इसको धनुष के आकार का माना है। धनुष की सीमा पर तीन ओर समुद्र तथा डोरी के स्थान पर हिमवन् पर्वत माना गया है। फिर इस धनुषाकार क्षेत्र को विजयार्द्ध पर्वत पूर्व से पश्चिम तक नाते हुए दो भागों में विभाजित करता है। हिमवन् पर्वत पर एक बड़ा भारी सरोवर है, जिसका नाम पद्म हद है। उसके पूर्व भाग से गंगा नदी निकल कर विजयीद्ध पर्वत के नीचे से बहती हुई पूर्व समुद्र में मिल जाती है। उसके पश्चिम भाग से सिन्धु नदी निकलती है, जो विजयाद्ध के नीचे से - बहती हुई पश्चिम समुद्र में मिल जाती है। इन दोनों नदियों तथा विजयाद्ध