Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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[श्रीपाल चरित्र तृतीय परिच्छेद पापों का भजन करने वाली प्रतिमा को (कारयन्ति) करवाते हैं (ते) वे (धर्मज्ञाः) धर्म के मर्म को जानने वाले (भूवि) संसार में (सम्यग्दृष्टयः) सम्यग्दृष्टि (भवन्ति) होते हैं ।
भावार्थ--जो भव्य श्रावक, जिनालय बनवाते हैं, प्राचीन मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराते हैं, तथा नानाविध रत्न पाषाणों के प्रतिविम्ब जिनप्रतिमाएँ बनवाकर प्रतिष्ठा करवाते हैं वे धर्म के ज्ञाता हैं और सम्यग्दृष्टि हैं । जिनप्रतिमाएँ पाप का नाश करने वाली हैं। अर्थात् जिनेन्द्रबिम्बों का दर्शन करने से अनादि मिथ्यात्व रूप पापकर्म भी नष्ट हो जाता है । सम्यग्दर्शन प्राप्त होता है। अनन्त संसार का विच्छेद होता है ।।६४||
कृत्वा पञ्चामृतनित्यमभिषेक जिनेशिनाम् ।।
ये भव्याः पूजयन्त्युच्चस्ते पूज्यन्ते सुरादिभिः ॥६५॥ अन्वयार्थ-(ये) जो (भब्या) भव्य श्रावक-श्राविका (नित्यम ) प्रतिदिन (पञ्चामृताभिषेकम.) पञ्चामृत अभिषेक (कृत्वा) करके (निजेशिनाम ) जिनेन्द्र बिम्बों को (पुजयन्ति) पूजते हैं पूजा करते हैं-(उच्चैः) विशेष प्रभावना, उत्सवादि कर (पूजयन्ति ) पूजा करते हैं (ते) वे भव्यात्मा (सुरादिभिः) देवादिकों द्वारा (पूज्यन्ते) पूजे जाते हैं ।
भावार्थ—जो भव्य श्रावक-श्राविका शुद्ध जल, दुग्ध, घी, दही, इक्षुरस सवाषधि एवं नाना फलरसों, कल्कों द्वारा जिनविम्बों का अभिषेक करके अष्ट द्रव्य से पूजा करते हैं वे स्वयं पूज्य बन जाते हैं ! अर्थात् देवता लोग उनकी पूजा करते हैं ॥६५।।
तथा श्रीमज्जिनेन्द्राणां पूजां पापप्रणाशिनीम् ।
ये कुर्वन्ति महाभव्यास्ते लभन्ते सुखं परम् ॥६६॥ अन्वयार्य-(ये) जो (महाभव्या) आसन्नभव्य (तथा) उपर्युक्त विधि से (श्रीमज्जिनेन्द्राणाम् ) श्री जिनभगवान की (पापप्रणाणिनीम् ) पापों की नाशक (पूजाम् । पूजा को (कुर्वन्ति) करते हैं (ते) वे (परम) उत्कृष्ट (सुखम् ) सुख को (लभन्ते) प्राप्त करते हैं।
भावार्थ-जो आसन्नभव्य जीव निधिवत् जिनेश्वर प्रभु की पूजा को करते हैं वे परमसुख को प्राप्त करते हैं ।।६६।।।
यथा देवस्तथा जैनी वाणी सन्मार्गदर्शिनी ।
गुरूणां चरणाम्भोजद्वयं पूज्य सुखाथिभिः ।।६७।।
अन्वयार्थ--(यथा) जिस प्रकार (देवः) जिनदेव (सुम्बाभिः ) सुख चाहने वालों द्वारा पूज्य हैं (तथा) उसी प्रकार (सन्मार्गशिनी) सत्यमार्ग दिखाने वाली (जनीवाणी)