Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Nathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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श्रीपाल चरित्र पञ्चम परिच्छेद ]
[ ३२५
श्रन्वयार्थ - ( यतः ) क्योंकि ( चाण्डालाः ) चाण्डाल ( चाण्डालिम् ) चाण्डाल ( जातिकाम ) जाति का ( वदन्ति ) कहते हैं ( ततः ) इसलिए ( भूपतिना ) राजा ने (भृत्यानाम ) जल्लाद नौकरों को ( मारणाय) मारने के लिए (सः) उसे (दत्तः ) दे दिया |
मावार्थ हे सखि ! क्या बताऊँ ! वही प्राश्चर्य की बात है कि चाण्डालों ने उसे अपनी जाति का बतलाया है। इसी से राजा ने रुष्ट होकर उसे मृत्यु दण्ड दिया है। इस समय बह जल्लादों के हाथों में है । यदि विलम्ब होगा तो अपाय की संभावना है अस्तु, आप शीघ्र ही उनका कुल कम कहो क्योंकि - - ।। १४८ ।।
मया गत्वा ग्रहेणैव पुष्टः कुलमसौ ततः ।
त्वत्पार्श्वे प्रेषिता तेनाहं पृष्टुं स्व कुलक्रमम् ॥ १४६॥
श्रन्वयार्थ - ( मया ) मैंने (गत्वा) जाकर ( श्राग्रहेण ) आग्रह पूर्वक (एव) ही (असौ ) उसका (कुलम ) कुल ( पृष्ट: ) पूछा ( ततः ) इसलिए ( तेन ) उन्होंने - श्रीपाल ने ( स्वकुलक्रमम् ) अपनी कुल परम्परा ( पृष्ट म ) पूछने के लिए ( त्वत्पार्श्वे ) तुम्हारे निकट ( अहम ) मैं ( प्रषिता ) भेजी हूँ ।
भावार्थ - राजा द्वारा अकस्मात् बिना विचारे दण्ड देने पर मैं ज्ञात होते ही दौड़कर वहाँ पहुँची। मैंने अपने प्राणेश्वर से अपना कुलक्रम निरूपण करने का अत्याग्रह किया। मेरे हठ पूर्वक प्रार्थना करने पर उन्होंने स्वयं अपना परिचय न देकर आपके पास मुझे भेजा है । अब आप ही प्रमाण हैं आपके हाथ मेरा सौभाग्य या दुर्भाग्य है । आप शीघ्र यथार्थ कुलकम बताकर सनका सन्देह दूर करो ॥१४६॥
जग मदनमञ्जूषा शीघ्रमागच्छ सुन्दरी ।
राजानं दर्शय त्वं मे तवसे तत् कुलादिकम् ॥। १५० ।।
वक्ष्येऽहं तत्समाकर्ण्य सा नीता गुरणमालया । तत्र राजा यदत्पुत्रि कोऽयमस्य कुलं किमु || १५१ ॥
अन्वयार्थ - गुणमाला से पति के प्राणदण्ड की वार्ता सुन मदनमञ्जूषा व्याकुल हो
बोली - ( मदनमञ्जूषा ) मदनमञ्जूषा ( जग्री) बोली (सुन्दरी) हे सुन्दरी (शीघ्र ) शीघ्र ही ( आगच्छ ) आओ, (म्) तुम (मे) मुझे ( राजानम्) राजा को (दुर्शय) दिखाश्रो ( तद् ) उसके ( अ ) सामने ( तत) उसकी ( कुलादिकम् ) कुलपरम्परा को ( अहम् ) मैं (वक्ष्ये ) कहूँगी ( तत्समाकर्ण्य ) इस प्रकार सुनकर ( गुणमालया ) गुणमाला ने (सा) उसको (नीला) लाया गया (तत्र) वहाँ थाने पर (राजा) राजा ( अवदत् ) बोला, (पुत्रि ! ) हे बेटी बताओ (अपम्) यह (कः ) कौन है ? (अस्य) इसका ( कुलम् ) कुल ( किमु ) क्या है ?