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महोपाध्याय समयसुन्दर
(१) शत्रुञ्जय चौत्य परिपाटी स्तव र० सं० १६७१ (२) मध्याह्न व्याख्यान पद्धति र० सं० १६७३ अक्षयतृतीया,
पाटण [त्रिकशब्दाप्तषडेकाब्दे ] प्र० ६००१, (३) गौडीस्तव र० सं० १६८३ (४) ऋषिमण्डल वृत्ति. र० सं० १७०४ वसंतपंचमी, बीकानेर,
कर्णसिंह राज्ये, शिष्य दयाविजय पठनार्थ, (५) स्थानाङ्ग वृत्तिगत गाथा वृत्ति र० सं० १७०५ माघ,
अहमदाबाद प्र० ११०००, सुमतिकल्लोल सह. (६) उत्तराध्ययन सूत्र वृत्ति २० सं० १७११ अक्षयतृतीया,
अहमदावाद, ग्र. १८२६३. प्रथमादर्श लेखक शिष्य
दयाविजय. (७) आदिनाथ व्याख्यान. (८) पाव-नेमि चरित्र. (१) ऋषिमण्डल बालाबोध. (१०) आचार दिनकर लेखन प्रशस्ति. (११) उद्यम कर्म संवाद (प्रति, तेरापंथी संग्रह, सरदार शहर) (१२) जिनसिंहसूरि गीत आदि.
वादी की मध्याह्न व्याख्यान पद्धति, ऋषि मण्डल टीका, स्थानांग वृत्ति गत गाथा वृत्ति और उत्तराध्ययन सूत्र वृत्ति ये चारों ही ग्रन्थ बड़े ही महत्व के हैं। ... मध्याह्न व्याख्यान पद्धति अर्थात् शास्त्रीय परिपाटी के अनुसार प्रातः भागमों का वाचन होता ही है। मध्याह्न में जनता को मनोरंजन के साथ उपदेश प्राप्त हो सके-इसी लक्ष्य से इसका प्रणयन किया गया है। वादी इस ग्रन्थ के प्रति गर्वोक्ति के साथ कहता है कि प्रतिभाशाली हो या अल्पज्ञ, सुस्वर हो या दुःस्वर, गीतार्थ हो या भगीतार्थ, पुरुषार्थी हो या प्रमादी, संकोचशील हो या धृष्ट
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