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समय सुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
विन अपराध तजह को बालंभ, पंच राति वलि देख ॥ रू. ॥ ३ ॥ हंस कहइ हूं न रहूं परवश, संबल द्य मुझ साथ । समयसुन्दर कहै ए परमारथ, हंस नहीं कि
हाथ ॥ रू.॥४॥
जीव कर्म संबन्ध गीतम्
राग - भूपाल
जीव नइ करम माहो मांहि संबंध, अनादि काल नउ कहियह रे । ए पहिलउ ए पछड़ न कहियह,
धातु उपल भेद लहियइ रे ॥ जी० ॥ १ ॥ तप जप अनि करी नइ एहनउ,
दुष्ट करम मल दहियह रे । समयसुन्दर कहर एहिज श्रातमा,
सिद्ध रूप सरदहियइ रे || जी० ॥ २ ॥
सन्देह गीतम्
राग-भूपाल
करम अचेतन किम हुयउ करता, कहउ किम सकियइ थापी रे । परमेसर पि किम हुइ करता, धड़ दुख तउ ते पापी रे । क. । १ । आरसा मांहि मुहडउ दीसर, कहउ ते पुदगल केहा रे । जीव अरूषी करम सरूपी, किम
संबंध
संदेहा रे । क. | २ |
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