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समय सुन्दरकृति कुसुमाञ्जलि
सण नइ आराधना गति पामइ जी, खड़ी नह पचखाण देवगति पामइ जी । सूर्धं समकित सरदह गति पामइ जी,
अरिहंत देव प्रमाण देवगति पामइ जी ||४|| पंच महाव्रत जे धरह गति पाम जी,
श्रावक ना व्रत बार देवगति पामइ जी । ध्यान भलु हिंड़ धरह गति पामइ जी,
पालइ शील उदार देवगति पाम जी ||५|| पुण्य करइ जे एहवा गति पामह जी,
आणी अधिक उल्लास देवगति पामइ जी । समयसुन्दर पाठक भरणइ गति पामइ जी,
( ४६२ )
पामइ लील विलास देवगति पामइ जी || ६ ||
नरक गति प्राप्ति गीतम्
ढाल - सीखि नइ सीखि नइ चेला - एहनी
जीव तणी हिंसा करह, प्राणसमा परधन हरइ, नरक जाय ते जीवड़उ, छेदन भेदन ते सहइ, परदारा सुं पापियउ,
बोलह मिरषावाद | सेवइ पंच प्रमाद || १ ॥ पामइ दुख अनंत । भाखड़ श्री भगवंत ॥ न० ॥ २ ॥ भोगवह काम भोग ।
विषयारस लुब्धउ थकउ, न बीहड़ पर लोग || न० ॥ ३ ॥
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