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पुण्य छत्तीसी
भद्रबाहु स्वामी पूरबधर,
सज्जंभव यशोभद्र जी । साधु आचार थकी सुख लाधा,
वयर स्वामी थूलभद्र जी ॥ पु०॥१६॥ महावीर थी नवसै असीयां,
सकल सूत्र सिद्धान्त जी । पुस्तकारूढ किया देवर्द्धि गणि,
मोटा साधु महंत जी ॥ पु०॥२०॥ आनंद कामदेव सुश्रावक,
व्रत रूड़ी परि राख जी । प्रथम देवलोक सुख पाम्या,
सूत्र उपासक साख जी ॥ पु०॥२१॥ साढी बारै सत्रुजे यात्रा,
कीधी इण कलिकाल जी । संधपति थई सुरलोक सिधाया,
वस्तुपाल तेजपाल जी ॥ पु०॥२२॥ पाल्यउ शील कष्ट पणि पड़ियउ, ___कुलधज नाम कुमार नी । इरत परत लाधा सुख उत्तम,
सलहीजे संसार जो ॥ पु०॥२३॥ चंपानगरी पोल उग्धाड़ी,
सती सुभद्रा नार जी ।
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