Book Title: Samaysundar Kruti Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta
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( ५६६ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
पाधरी पहुँती धरमसाला, साधवी धरम सुणावियउ । चारित लीधउ चतुर नारी, भाई मारि भुंडउ कीयउ ॥७॥
ढाल बीजी। राग-कालहरउ, तुङ्गिया गिरि शिखरि सोहइ
अथवा-बूझि रे तू बूझि प्राणी ए गोत नी ढाल. भली साधवो यशोभद्रा, पालइ पंचाचार रे।। विनय वेयावच करइ वारू, गिणइ गुरुणी नी कार रे। १। भ.। एक दिन पेट नउ गरभ दीठउ, गुरुणी पूछयुस्युएह रे।। पति नउ गरभ ए हुतउ पहिलउ, नहिं पछिलउ निसंदेह रे।। भ.। बाई तु बाहिर म जाई, करिस्यां अम्हे सहु काज रे। गुरु गुरुणी मा बाप सरिखा, राखै छोरू लाज रे।३। भ.। पूरे मासे पुत्र जायउ, नामइ खुल्ल कुमार रे । सज्यातरी श्राविका पाल्यउ, पडदा पोश प्रकार रे । ४ । भ.। आठ वरस नउ थयउ एहवइ, माता नी मानी सीख रे। आचारिज श्री अजितसरि नइ, पासइ लीधा दीख रे । ५। भ.। सूत्र सिद्धांत भण्या भली परि, बार बरस थया जाम रे। हरिहर ब्रह्मा जिण हराव्या, ते तसु जाग्यउ काम रे । ६ । भ.। मा पास जइ कहइ मुनिवर, मन नहीं माहरु ठाम रे। श्रा ल्यइ ओघउ महपती तं, को नहीं माहरइ कामरे। ७ । भ.। कठिन लोचनइ कठिन किरिया, कठिन मारग जोगरे। सील पालिवउ नहीं सोहिलउ,हुँ भोगविसुं काम भोगरे। ८ । भ.।
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