Book Title: Samaysundar Kruti Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta
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( ६२४ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि अल्पाबहुत्व-विचारगर्भित-श्रीमहावीर-बृहतस्तवनम् अण परूविअमेयं, दिसाणुवारण अप्पबहुठाणं । जीवाण बायराण य, थुणामि तं वद्धमाणजिणं ॥१॥ सामन्नणं जीवा पाऊ-वण - विगल - तिरित्र - पंचिंदी। पच्छिमथोवा - अहिया, पुवादिसि दाहिणुत्तरओ ॥२॥ मणुया सिद्धा तेऊ, सब - थोवा य दाहिणुत्तरो। पुट्विं संखा पच्छिम, अहिया कहिया तुमे नाह ! ॥३॥ वाउ थोवा पुचि, तत्तो अहिश्रा य पच्छिमुत्तरो । दाहिण नारय थोवा, पुव्वुत्तर पच्छिमासु समा ॥४॥ दाहिण असंख पुढवी, दाहिण थोवा कमेण अहिअ तो। उत्तर पुव्वा वरदिसि, तुज्झ नमो जेण निदिट्ठा ॥ ५॥ भवणवइ-पुव्व-पच्छिम, थोवा तुल्ला य उत्तर असंखा । दाहिण तो असंखा, वंतर - थोवा य पुव्वदिसि ॥६॥ पच्छिम उत्तर दाहिण, अहिया थोवा य जोइसा तुल्ला। पुव्वा वरदिसि दाहिण, उत्तर अहिया कमा भणिया ॥ ७ ॥ पढम - चउकप्प - देवा, सव्वत्थोवा य पुठ्यपच्छिमओ। उत्तर-असंख दाहिण, अहिश्रा तुह मय विऊविति ॥८॥ बंभाइ - कप्प - चउगे, पुव्वुत्तर पच्छिमासु थोवसमा । दाहिण संखा तत्तो, उवरिम देवा य सम सव्वे ॥६॥ थोवा पुग्गल उट्ट, अहित्र अहे तह य संखतुल्ला य । उत्तरपुरथिमेणं, दाहिण पचत्थिमेण तो ॥१०॥
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