Book Title: Samaysundar Kruti Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta
View full book text
________________
श्री मुनिसुव्रत पक्ष पवास स्तवन
(६०१ )
श्री मुनिसुव्रत पक्षोपवास स्तवन
जंबूदीव सोहामj, दक्षिण भरत उदार । राजगृह नगरी भली, अलकोपुरि अवतार ॥१॥ श्री मुनिसुव्रत स्वामि जी, समरंतां सुख थाय । मन वंछित फल पामियइ, दोहग दूरि पुलाय ॥२॥ श्री.॥ राज करइ तिहां राजियउ, सुमित्र नरेसर नाम । पटराणी पदमावती, शील गुणे अभिराम ॥३॥ श्री.॥ श्रावण ऊजल पूनिमइ, श्री जिनवर हरिवंश । माता कुक्षि सरोवरइ, अवतरियउ रायहंस ॥४॥श्री.॥ जेठ पढम पखि अष्टमी, जायउ श्री जिनराय । जनम महोच्छव सुर करइ, त्रिभुवन हरख न माय ॥ ५ ॥ श्री.।। सामल वरण सोहामणउ, निरुपम रूप निधान । जिनवर लांछन काछवउ, वीस धनुष तनुमान ॥६॥ श्री.।। परणी नारि प्रभावती, भोग पुरंदर सामि । राजलीला सुख भोगवइ, पूरइ वंछित काम ॥७॥ श्री.॥ नव लोगान्तिक देवता, प्रावि जंपइ जयकार । प्रभु फागुण सुदि बारसइ, लीधउ संजम भार ॥८॥श्री.॥ फागुण बदि प्रभु बारसइ, मनि धरि निर्मल ध्यान। च्यार करम प्रभु चूरियां, पाम्यउ केवल ज्ञान ॥8॥श्री.॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802