Book Title: Samaysundar Kruti Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

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Page 787
________________ ( ६१८ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि नेमिनाथ गीतम् राग-आसारी जादवराय जीवे त कोडि वरीस । गगन मंडल उडत प्रमुदित चित, पांख्या देत आसीस ११ जा.। हम उपरि करुणा तई कीनी, जगजीवन जगदीस । तोरण थी रथ फेरि सिधारे, जोग ग्राउ सुजगीस ।२। जा.। समुद्र विजय राजाकउ अंगज, सुरनर नामई सोस । समयसुंदर कहई नेमि जिणिंद कउ,नाम जपुँ निस दीस ।३। जा.। ____ इति नेमिनाथ गीतं (३३) (नेमिनाथ गीत छत्तीसी में स्वयं लिखित ।) यमकबद्ध-प्राकृतभाषायां पार्श्वनाथलघुस्तवनम् परमपासपहू महिमालयं, जस विणिजिय सोमहिमालयं । सम....य रायमयं गयं, सिव पए य पयो अमयं गयं ॥१॥ चरणपाणिजिय (?) नीरयं, सयलदूषणवज्जियनीरयं । नमिर-नाग-पुरंदर-देवयं, भविअ-माणव-सुन्दर-देवयं ।२। तणुविहा वि जिअंजणपव्वयं, कयकसायखयं जणपव्वयं । महिमवम्महमाणस हं सयं, जणणमंजुलमाणसहंसयं ।। वरमरुजयणामहिआयमं, भुवणलच्छिललामहिआयमं । ललिअलच्छणलंछणलच्छि, कणयतामरसेच्छणलच्छि।४। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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