Book Title: Samaysundar Kruti Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

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Page 743
________________ (५७४ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि पोतरा प्रथम तिथंकर केरा, द्राविड नइ "वालखिल्ल रे । काती सुदि पुनिम दिन सीधा,दस कोडि मुनि सुं निसल्ल रे।७। से.। पांचे पांडव इण गिरि सीधा, नव नारद रिषीराय रे। संब प्रजूण गया इहां मुगति, आठे करम खपाय रे । ८ ।से.। नेमि विना तेवीस तिर्थकर, समोसरचा गिरि शृङ्गिरे । अजित शांति तिर्थंकर बेऊ, रह्या चौमासउ रंगि रे । । ।से.। सहस साधु परिवार संघाति, थापच्चा सुत साध रे। पांचसइ साध सू सेलग मुनिवर, सेत्रुञ्ज शिवसुख लाधरे ।१०।से। असंख्यात मुनि सेत्रुञ्ज सीधा, भरतेसर नइ पाट रे। राम अनै भरतादिक सीधा, मुगति तणो ए बाट रे ।११। से.। जालि मयालि अन उवयालि, प्रमुख साधुनी कोडि रे। साध अनंता सेत्रुञ्ज सीधा, प्रणम चेकर जोडि रे ।१२। से.। सर्वगाथा २६ ढाल त्री जी चउपई नी सेत्रञ्जना कहूँ सोल उद्धार, ते सुणिज्यो सहु को सुविचार । सुणतां आणंद अंगिन माइ, जनम जनम ना पातक जाइ ॥१॥ रिषभदेव अयोध्यापुरी, समोसरचा सामी हित करी । भरत गयउ वंदणनइ काजि, ए उपदेस दियउ जिनराजि ॥२॥ जग मांहि मोटा अरिहंत देव, चउसहि इंद्र करउ जसु सेव । तेथी मोटउ संघ कहाय, जेहनइ प्रणमइ जिणवर राय ॥३॥ पवार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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