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पुण्य छत्तीसी
धन्य धन्य सार्थवाहज धनउ,
दीधउ घृत नउ दान जी। तीर्थकर पदवी तिण पामी,
आदीश्वर अभिधान जी ॥ पु०॥८॥ उत्तम पात्र प्रथम तीर्थकर,
श्री श्रेयांस दातार जी । सेलड़ी रस सूधउ वहरायो, ___ पाम्यउ भव नउ पार जी ॥ पु०॥६॥ चंदन बाला चढते भावे,
पडिलाभ्या महावीर जी । देव तणी दुंदुभी तिहां वाजी,
सुन्दर थयउ सरीर जी ॥ पु०॥१०॥ समुख नाम गाथापति सुनियइ,
दीधउ साधु नइ दान जी । हुओ सुबाहुकुमर सोभागी,
वधता सुख विमान जी ॥ पु०॥११॥ संगमे साधु भणी वहिराव्यउ,
खोरखांड' घृत सार जी । गोभद्र सेठ तणे परि लाधउ,
सालिभद्र नउ अवतार जी ॥ पु०॥१२॥ मूलदेव मुनिवर पडिलाभ्यउ,
मास क्षमण अणगार जी ।
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