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धम महिमा गीतम्
(४२७ )
आप समउ और लेखियइ, तुझे बहुत क्या कहणा। समयसुन्दर कहइ जीव कुं रे, ऐसी सीख में रहणा ।।म०॥॥
घड़ी लाखीणी गीतम्
राग-श्रासारी घड़ी लाखीणी जाइ बे, कछु धरम करउ चित लाइ बेघ.१॥ इहु मानव भव दोहिलालाधा,रमत खेलत मान्हन गया आधा।घ.।२। कुण जाणइ आगइ क्या होई, मरण जरा मिलि आवत दोई घ.३। वरसां सौ जीवण की आसा, पण एक घड़िय नहीं वेसासा घ.।४। समयसंदर कहइ अथिर संसोरा, जनमि २ जिनध्रम आधारा ।घ.५॥
सूता जगावण गीतम्
राग-भैरव जागि जागि जागि भाई जागिरे जागि।
भोर भयो ध्रम मारगि लागी ॥जा०११ सूता रे तेह विगूता सही ।
जागंतां कोउ डर भय नहीं । जा०।२। देव जुहारी गुरु वांदण जाइ ।।
मुणि रे वखाण तोरा पाप पुलाई ॥जा०॥३॥ देहु दान कछु कर उपगार ।
__ समयसुन्दर कहइ ज्युं पामइ भव पार ।।जा०1४।
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