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नेमिनाथ फाग
( ११७ )
नेमिनाथ फाग
राग वसंत-जाति फाग नी ढाल मास वसंत फाग खेलतप्रभु, उडत अवल अबीरा हो। गावत गीत मिली सब गोपी, सुन्दर रूप शरीरा हो।शमा०) एक गोपी पकरइ प्रभु अंचल, लाल गुलाल लपेटइ हो। केशर भरी पिचरके छांटत, राजुल हइ अति सारी हो ।२६ मा० रुकमणी कहइ परणउ इकनारी, राजुल हइ अतिसारी हो। जउ निर्वाह न होइ गउ तुम तइ तउ,करिस्य कृष्ण मुरारी हो।३मा० नेमि हंसइ गोपी सब हरखी, नेमि विवाह मनाया हो। छपन कोड़ यादव सुयदुपति, उग्रसेन तोरण आया हो।४। मा०। गोख चढी राजुल पिउ देखत, नव भव नेह जगावइ हो। दाहिनी प्रांखि सखी मोरी फरुकी,रंगमंइ भंग जणावइ हो।।मा० पशुय पुकार सुणी रथ फेर्यउ, राजल करत विलापा हो। सरज्यां बिन सखी क्युकर पाइयइ, मन मान्या मेलापा हो।६मा०। हुँ रागिणी पण नेमि निरागी, जोरइ प्रीति न होइ हो। एक हथि ताली पिण न पड़इ मुझ, मन तरसइ तोइ हो ।७ मा०। राजुल नेमि मिले ऊजल गिरि, दुरि गए दुःख दंदा हो । नेमि कुमार फाग गावत सुख, समयसुन्दर अानंदा हो ।८।मा०।
नेमिनाथ सोहला गीतम् नेमि परणेवा चालिया,म्हारी सहियर रूयडि जादव जान है। छप्पन कोड़ि यादव मिल्या म्हां०,अति घणाअादर मान है।१ने।
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