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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
लाभ घणो विणजे व्यापारइ, आवे प्रवहण कुशले खेम । ए सदगुरु नो ध्यान धरता, पामइ पुत्र कलत्र बहु प्रेम ।प्र.७॥ गौतम स्वामि तणा गुण गातां, अष्ट महासिद्धि नवे निधान। समयसुन्दर कहइ सुगुरु प्रसादे, पुण्य उदय प्रगट्यो परधान । प्र.८।
(२) श्री गौतम स्वामी गौतम्
ढाल-भीली नी मुगति समय जाणी करी जी रे जी.
वीरजी मुझ नइ मूक्यउ दूरि रे । मह अपराध न को कियउ जी रे जी,
वोरजी रहतउ तुम्ह हरि रे॥ वी०॥१॥ वीर जी वीर जी किहां गयउ जी रेजी,
वीर जी नयणे न देखू केमरे। तुम पाखे किम हूं रहूं जी रे जी,
वीरजी साचउ तुम्ह सुं प्रेम रे ।। वी०॥२॥ जाण्यु आइउ मांडस्यइ जी रे जी,
वीरजी गौतम लेस्यइ केवल भाग रे। विलवलतां मू की गयउ जी रे जी,
वीरजी एक पखउ म्हारउ राग रे ।। वी०॥३॥
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१ श्री गौतम गुरु.
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