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( ३८६) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि राय राणा सब मोहिया, मोयो अकबर साहि रे । नर नारी रा मन मोहिया, महिमा महियल माहि रे । श्रा०।२। कामण मोहन नविकरउ, स्वधा दीसउ को साधु रे । मोहनगारा गण तुम्ह तणा, ए परमारथ लाध रे । प्रा०३। गुण देखी रावह स को, अवगुण राचई न कोई रे। हार स को हिपडई धरइ, नेउर पायतलि होय रे। प्रा०४। गुणवंत रे गुरु अम्ह तणा, जिनसिंहमूरि गुरराज रे । ज्ञान क्रिया गुण निरमला, समयसुन्दर सरताज रे । प्रा०५।
· ढाल-नणदल री. चिहुँ खंडिं चावा चोपड़ा,तिण कुलि तुम्ह अवतार हो । पूज्य जी। वइरागइ व्रत आदरचउ, उत्तम तुम आचार हो पूज जी ।।१।। तुम्हे करतार बड़ा किया, कुण करइ तुम होड़ हो पूज जी। सोभागी महिमा निलउ, लोक नमई लख कोड़ि हो पूज जी॥२॥ सबल क्षमा मुण ताहरउ, साधु धरम नउ सार हो पूज जी। जाण पणु पण अति घj, आगम अरथ भंडार हो पूज जी ॥३॥ आचारिज पद थापियउ, सई हथि जिणचंद सूर हो पूज जी। पद ठवणउ क्रमचंद कियउ,अकवर साहि हजूर हो पूज जी ॥४॥ मानइ मोटा उंबरा, मानह राणा राय हो पूज, जी। तेज घणउ जगि ताहरउ, पिशुन लगाड्या पाय हो पूज जी ॥२॥
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