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श्री जिनचंद्रसूरि अलिजा गीतम्
काती चौमासो विउ पूज जी, अवसर सर्व ॥ ५० ॥ १ ॥
आया
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तुमे वो रे सिरिया का नंदन पू०, तुम बिन घड़िय न जाय । तुम बिन अलजउ जाय पू० तु० ॥ श्रकरणी || साहि सलेम ने वलि उमरा पू०, संभारइ सहु कोय ॥ ५० ॥ धर्म सुगावो आवि नह पू०,
जीव दया लाभ होय || पू०|| २ || तु० ॥ श्रावक आया वांदिवा पू०,
श्रीसवाल नइ श्रीमान ॥ १० ॥
दरसण घउ एक बार तउ पू०,
वाणी सुखावो रसाल ॥ पू०|| ३ || तु० ॥
बाजोट मांडयउ बसणे पू०,
कमली मांडी सुघाट ॥ पू०॥ वखाण नी वेला थई पू०,
श्री संघ जोवर वाट ॥ ० ॥ ४ ॥ तु० ॥ वी सहु पू०, वांदण वे कर जोड़ि || पू०||
श्रीविका मिली
( ३७५ )
वंदावी भ्रमलाभ द्यउ पू०,
जिम पहुँचे मन कोड़ि || पू० ॥ ५ ॥ तु० ॥
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