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श्री गौतम स्वामी गीतम्
(३४५)
वीर वीर केहनइ कहूं जी रे जी,
वीरजी हिव हूं प्रश्न करूँ किण पासि रे। कुण कहस्यइ मुझ गोयमा जी रे जी,
बीरजी कुण उत्तर देस्यइ उल्हासि रे॥ वी०॥४॥ हा हा वीर तई स्यु करयं जी रे जी,
गौतम करत अनेक विलाप रे । जेतलउ कीजइ नेहलउ जी रे जी,
जिवड़ा तेतलउ हुयइ पछताप रे॥वी०॥॥ जगि मांहे को केहनु नहीं जी रे जी,
गौतम वाल्यु मन बहराग रे। मोह पडल दूरे करया जी रे जी,
गौतम जाण्यु जिन नीराग रे ॥ वी०॥६॥ गौतम केवल पामियु जी रे जी,
त्रिभुवन हरख्या सुरनर कोड़ि रे । पाय कमल गौतम तणा जी रे जी,
प्रणमइ समयसुन्दर कर जोड़ि रे ॥ वी०॥७॥ (३) श्री गौतम स्वामी गीतम्
राग-परभाती श्री गौतम नाम जपउ परभाते, रलिय रंग करउ दिन राते ॥१॥
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